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________________ ( २४ ) १५२. आकाश २७४-२७५. वृत्तवैताढ्य पर्वतों और वहां रहने वाले देवों का १५३-१५४. नैरथिक और देवताओं के दो शरीर-कर्मक वर्णन और वैक्रिय २७६-२७७. वक्षार पर्वतों का विवरण १५५. स्थावर जीवनिकाय के दो शरीर-कर्मक और २७८. दीर्घवेताढ्य पर्वतों का विवरण औदारिक (हाड़-मांस रहित) २७६-२८०. दीर्घवैताढ्य पर्वत की गुफाओं और तत्रस्थित १५६-१५८. विकलेन्द्रिय जीवों के दो शरीर-कर्मक और देवों का विवरण औदारिक (हाड़-मांस-रक्तयुक्त) २८१-२८६. वर्षधरसर्वतों के कूट (शिखर) १५६-१६०.तिर्यञ्च पंचेन्द्रिय तथा मनुष्य के दो शरीर--- २८७-२८६ वर्षधरपर्वतों पर स्थित द्रह और देवियों का कर्मक और औदारिक (हाड़, मांस, रक्त, स्नायु वर्णन तथा शिरायुक्त) २६०-२६३. वर्षधरपर्वतों से प्रवाहित महानदियां १६१. अन्तरालगति में जीवों के शरीर २६४-३००. मन्दर पर्वत की विभिन्न दिशाओं में स्थित १६२-१६३. जीवों के शरीर की उत्पत्ति और निष्पत्ति के प्रपातद्रह कारण ३०१-३०२. मन्दर पर्वत की विभिन्न दिशाओं में प्रवाहित १६४-१६६. जीव-निकाय के भेद महानदियां १६७-१६६. दो दिशाओं में करणीय कार्य ३०३-३०५. दो कोटी-कोटी सागरोपम की स्थितिवाले काल और क्षेत्र १७०-१७२. पाप कर्म का वेदन कहां? ३०६-३०८. भरत और ऐरवत क्षेत्र के मनुष्यों की ऊंचाई १७३-१७६. गति-आगति और आयु १७७-१९२. दंडक-मार्गणा ३०६-३११. शलाकापुरुष के वंश १९३-२००. समुद्घात या असमुद्धात की अवस्था में अवधि ३१२-३१५. शलाकापुरुषों की उत्पत्ति ___ ज्ञान का विषय-क्षेत्र ३१६-३२०. विभिन्न क्षेत्रों के मनुष्य कैसे काल का अनुभव २०१-२०८. इन्द्रिय का सामान्य विषय और संभिन्नश्रोतो करते हैं ? लब्धि ३२१-३२२. जम्बूद्वीप में चांद और सूर्य को संख्या २०६-२११. एक शरीरी, दो शरीरी देव ३२३. विविध नक्षत्र २१२-२१६. शब्द और उसके प्रकार ३२४. नक्षत्रों के देव २२०. शब्द की उत्पत्ति के हेतु ३२५. अठासी महाग्रह २२१-२२५. पुद्गलों के संहनन, भेद आदि के कारण ३२६. जम्बूद्वीप की वेदिका की ऊंचाई २२६-२३३. पुद्गलों के प्रकार ३२७. लवण समुद्र का चक्रवाल-विष्कंभ २३४-२३८. इन्द्रिय-विषय और उनके भेद-प्रभेद ३२८. लवण समुद्र की वेदिका की ऊंचाई २३६-२४२. आचार और उनके भेद-प्रभेद ३२६-३४६. धातकीषण्डद्वीप के क्षेत्र, वृक्ष, वर्षधर पर्वत आदि २४३-२४८. बारह प्रतिमाओं का निर्देश का वर्णन २४६. सामायिक के प्रकार ३४७-३५१. पुष्करवरद्वीप का वर्णन २५०-२५३. परिस्थिति के अनुसार जन्म-मरण के लिए विविध ३५२. सभी द्वीपों और समुद्रों की वेदिका की ऊंचाई शब्दों का प्रयोग ३५३.३६२. भवनपति देवों के इन्द्र २५४-२५८. मनुष्य और पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चों के गर्भ-सम्बन्धी ३६३-३७८. व्यन्त र देवों के इन्द्र जानकारी ३७६. ज्योतिष देवों के इन्द्र २५६-२६१. कायस्थिति और भवस्थिति किसके ? ३८०-३८४. वैमानिक देवों के इन्द्र २६२-२६४. दो प्रकार का आयुष्य और उसके अधिकारी ३८५. महाशुक्र और सहस्रार कल्प के विमानों का वर्ण २६५. कर्म के दो प्रकार ३८६. ग्रंबेयक देवों की ऊंचाई २६६. पूर्णायु किसके ? ३८७-३८६. काल-जीव और अजीव का पर्याय और उसके २६७. अकालमृत्यु किसके ? भेद-प्रभेद २६८-२७१. भरत, ऐरवत आदि का विवरण ३६०-३६१. ग्राम-नगर आदि तथा छाया-आतप आदि जीव२७२-२७३. वर्षधर पर्वतों का वर्णन अजीव दोनों Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003598
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Thanam Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1990
Total Pages1094
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_sthanang
File Size23 MB
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