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________________ ठाणं (स्थान) २०१ स्थान ३ : सूत्र २५३-२५८ २५३. तओ पुरिसजाया पण्णत्ता, तं त्रीणि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, २५३. पुरुष तीन प्रकार के होते हैंजहातद्यथा १. कुछ पुरुष प्राप्त नहीं करता हूं इसलिए ण लभामीतेगे सुमणे भवति, न लभे इत्येकः सुमनाः भवति, सुमनस्क होते हैं, २. कुछ पुरुष प्राप्त नहीं ण लभामीतेगे दुम्मणे भवति, न लभे इत्येक: दुर्मनाः भवति, करता हूं इसलिए दुर्मनस्क होते हैं, ३. ण लभामीतेगे जोसुमणे-णोदुम्मणे न लभे इत्येक: नोसुमनाः-नोदुर्मनाः कुछ पुरुष प्राप्त नहीं करता हूं इसलिए न भवति। भवति , सुमनस्क होते हैं और न दुर्मनस्क होते हैं। २५४. तओ पुरिसजाया पण्णत्ता, तं त्रीणि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, २५४. पुरुष तीन प्रकार के होते हैंजहा.तद्यथा १. कुछ पुरुष प्राप्त नहीं करूंगा इसलिए ण लभिस्सामीतेगे सुमणे भवति, न लप्स्ये इत्येकः सुमनाः भवति, सुमनस्क होते हैं, २. कुछ पुरुष प्राप्त नहीं ण लभिस्सामीतेगे दुम्मणे भवति, न लप्स्ये इत्येक: दुर्मना: भवति, करूंगा इसलिए दुर्मनस्क होते हैं, ३. कुछ ण लभिस्सामीतेगे जोसुमणे- न लप्स्ये इत्येकः नोसुमनाः-नोदुर्मनाः पुरुष प्राप्त नहीं करूंगा इसलिए न णोदुम्मणे भवति । भवति। सुमनस्क होते हैं और न दुर्मनस्क होते हैं। पिबित्ता-अपिबित्ता-पदं पीत्वा-अपीत्वा-पदम् पीत्वा-अपीत्वा-पद २५५. तओ पुरिसजाया पण्णत्ता, तं त्रीणि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, २५५. पुरुष तीन प्रकार के होते हैंजहातद्यथा १. कुछ पुरुष पीने के बाद सुमनस्क होते पिबित्ता णामेगे सुमणे भवति, पीत्वा नामैकः सुमनाः भवति, हैं, २. कुछ पुरुष पीने के बाद दुर्मनस्क पिबित्ता णामेगे दुम्मणे भवति, पीत्वा नामकः दुर्मनाः भवति, होते हैं ३. कुछ पुरुष पीने के बाद न पिबित्ता णामेगे जोसुमणे-णोदुम्मणे पीत्वा नामकः नोसुमनाः-नोदुर्मनाः सुमनस्क होते हैं और न दुर्मनस्क होते हैं। भवति । भवति। २५६. तओ पुरिसजाया पण्णत्ता, तं त्रीणि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, २५६. पुरुष तीन प्रकार के होते हैंतद्यथा १. कुछ पुरुष पीता हूं इसलिए सुमनस्क पिबामीतेगे सुमणे भवति, पिबामीत्येकः सुमनाः भवति, होते हैं, २. कुछ पुरुष पीता हूं इसलिए पिबामीतेगे दुम्मणे भवति, पिबामीत्येकः दुर्मनाः भवति, दुर्मनस्क होते हैं, ३. कुछ पुरुष पीता हूं पिबामीतेगे जोसुमणे-णोदुम्मणे पिबामीत्येकः नोसुमना:-नोदुर्मनाः इसलिए न सुमनस्क होते हैं और न भवति । भवति। दुर्मनस्क होते हैं। २५७. तओ पुरिसजाया पण्णत्ता, तं त्रीणि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, २५७. पुरुष तीन प्रकार के होते हैंजहातद्यथा १. कुछ पुरुष पीऊंगा इसलिए सुमनस्क पिबिस्सामीतेगे सुमणे भवति, पास्यामीत्येकः सुमनाः भवति, होते हैं, २. कुछ पुरुष पीऊंगा इसलिए पिबिस्सामीतेगे दुम्मणे भवति, पास्यामीत्येकः दुर्मना: भवति, दुर्मनस्क होते हैं, ३. कुछ पुरुष पीऊंगा पिबिस्सामीतेगे णोसुमणे-णोदुम्मणे पास्यामीत्येक: नोसुमनाः-नोदुर्मनाः इसलिए न सुमनस्क होते हैं और न भवति । भवति । दुर्मनस्क होते हैं। २५८. तओ पुरिसजाया पण्णत्ता, तं त्रीणि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, २५८. पुरुष तीन प्रकार के होते हैंजहातद्यथा १. कुछ पुरुष न पीने पर सुमनस्क होते हैं, www.jainelibrary.org Jain Education International For Private & Personal Use Only
SR No.003598
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Thanam Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1990
Total Pages1094
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_sthanang
File Size23 MB
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