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________________ ठाणं (स्थान) २०२ स्थान ३ : सूत्र २५६-२६३ अपिबित्ता णामेगे सुमणे भवति, अपीत्वा नामकः सुमनाः भवति, २. कुछ पुरुष न पीने पर दुर्मनस्क होते हैं, अपिबित्ता णामेगे दुम्मणे भवति, अपीत्वा नामकः दुर्मनाः भवति, ३. कुछ पुरुष न पीने पर न सुमनस्क होते अपिबित्ता णामेगे जोसुमणे- अपीत्वा नामकः नोसुमनाः-नोदुर्मनाः हैं और न दुर्मनस्क होते हैं। णोदुम्मणे भवति। भवति । २५६. तओ पुरिसजाया पण्णत्ता, तं त्रीणि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, २५६. पुरुष तीन प्रकार के होते हैंजहातद्यथा १. कुछ पुरुष नहीं पीता हूं इसलिए ण पिबामीतेगे सुमणे भवति, न पिबामीत्येकः सुमनाः भवति, सुमनस्क होते हैं, २. कुछ पुरुष नहीं पीता ण पिबामीतेगे दुम्मणे भवति, न पिबामीत्येकः दुर्मनाः भवति, हूं इसलिए दुर्मनस्क होते हैं, ३. कुछ पुरुष ण पिबामीतेगे जोसुमणे-णोदुम्मणे न पिबामीत्येकः नोसुमनाः-नोदुर्मनाः नहीं पीता हूं इसलिए न सुमनस्क होते हैं भवति। भवति। और न दुर्मनस्क होते हैं। २६०. तओ पुरिसजाया पण्णत्ता, तं त्रीणि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, २६०. पुरुष तीन प्रकार के होते हैंजहातद्यथा १. कुछ पुरुष नहीं पीऊंगा इसलिए ण पिबिस्सामीतेगे सुमणे भवति, न पास्यामीत्येकः सुमनाः भवति, सुमनस्क होते हैं, २. कुछ पुरुष नहीं ण पिबिस्सामीतेगे दुम्मणे भवति, न पास्यामीत्येकः दुर्मनाः भवति, पीऊंगा इसलिए दुर्मनस्क होते हैं, ३. कुछ ण पिबिस्सामीतेगे जोसुमणे- न पास्यामीत्येकः नोसुमनाः-नोदुर्मनाः पुरुष नहीं पीऊंगा इसलिए न सुमनस्क णोदुम्मणे भवति । भवति। होते हैं और न दुर्मनस्क होते हैं। सुइत्ता-असुइत्ता-पदं सुप्त्वा-असुप्त्वा-पदम् सुप्त्वा-असुप्त्वा-पद २६१. तो पुरिसजाया पण्णता, तं त्रीणि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, तद्यथा- २६१. पुरुष तीन प्रकार के होते हैंजहासुप्त्वा नामकः सुमनाः भवति, १. कुछ पुरुष सोने के बाद सुमनस्क होते सुइत्ता णामेगे सुमणे भवति, सुप्त्वा नामकः दुर्मनाः भवति, है, २. कुछ पुरुष सोने के बाद दुर्मनस्क सुइत्ता णामेगे दुम्मणे भवति, सुप्त्वा नामैक: नोसुमनाः-नोदुर्मनाः होते हैं, ३. कुछ पुरुष सोने के बाद न सुइत्ता णामेगे जोसुमणे-णोदुम्मणे भवति । सुमनस्क होते हैं और न दुर्मनस्क होते हैं । भवति । २६२. तओ पुरिसजाया पण्णत्ता, तं त्रीणि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, तद्यथा- २६२. पुरुष तीन प्रकार के होते हैंजहास्वपिमीत्येकः सुमनाः भवति, १. कुछ पुरुष सोता हूँ इसलिए सुमनस्क सुआमीतेगे सुमणे भवति, स्वपिमीत्येक: दुर्मनाः भवति, होते हैं, २. कुछ पुरुष सोता हूँ इसलिए सुआमीतेगे दुम्मणे भवति, स्वपिमीत्येक: नोसुमनाः-नोदुर्मनाः दुर्मनस्क होते हैं, ३. कुछ पुरुष सोता हूं सुआमीतेगे जोसुमणे-णोदुम्मणे भवति । इसलिए न सुमनस्क होते हैं और न भवति । दुर्मनस्क होते हैं। २६३. तओ पुरिसजाया पण्णत्ता, तं त्रीणि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, २६३. पुरुष तीन प्रकार के होते हैंजहातद्यथा १. कुछ पुरुष सोऊंगा इसलिए सुमनस्क सुइस्सामीतेगे सुमणे भवति, स्वप्स्यामीत्येकः सुमनाः भवति, होते हैं, २. कुछ पुरुष सोऊंगा इसलिए सुइस्सामीतेगे, दुम्मणे भवति, स्वप्स्यामीत्येकः दुर्मनाः भवति, दुर्मनस्क होते हैं, ३. कुछ पुरुष सोऊंगा www.jainelibrary.org For Private & Personal Use Only Jain Education International
SR No.003598
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Thanam Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1990
Total Pages1094
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_sthanang
File Size23 MB
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