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________________ ठाणं (स्थान) २०० स्थान ३ : सूत्र २४८-२५२ भवति। भवति। हूँ इसलिए न सुमनस्क होते हैं और न दुर्मनस्क होते हैं। २४८. तओ पुरिसजाया पण्णता, तं त्रीणि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, २४८. पुरुष तीन प्रकार के होते हैंजहातद्यथा १. कुछ पुरुष भोजन नहीं करूंगा इसलिए ण भुंजिस्सामीतेगे सुमणे भवति, न भोक्ष्यामीत्येकः सुमनाः भवति, सुमनस्क होते हैं, २. कुछ पुरुष भोजन ण भुंजिस्सामीतेगे दुम्मणे भवति, न भोक्ष्यामीत्येकः दुर्मनाः भवति, नहीं करूंगा इसलिए दुर्मनस्क होते हैं, ण भुंजिस्सामीतेगे जोसुमणे- न भोक्ष्यामीत्येकः नोसुमनाः-नोदुर्मनाः ३. कुछ पुरुष भोजन नहीं करूंगा इसलिए न णोदुम्मणे भवति । भवति । सुमनस्क होते हैं और न दुर्मनस्क होते हैं। लभित्ता-अलभित्ता-पदं लब्ध्वा-अलब्ध्वा-पदम् लब्ध्वा -अलब्ध्वा -पद २४६. तओ पुरिसजाया पण्णत्ता तं त्रीणि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, २४६. पुरुष तीन प्रकार के होते हैंजहातद्यथा १. कुछ पुरुष प्राप्त करने के बाद सुमनस्क लभित्ता णामेगे सुमणे भवति, लब्ध्वा नामकः सुमनाः भवति, होते हैं, २. कुछ पुरुष प्राप्त करने के बाद लभित्ता णामेगे दुम्मणे भवति, लब्ध्वा नामकः दुर्मना: भवति, दुर्मनस्क होते हैं, ३. कुछ पुरुष प्राप्त लभित्ता णामेगे णोसुमणे-णोदुम्मणे लब्ध्वा नामैकः नोसुमनाः-नोदुर्मनाः करने के बाद न सुमनस्क होते हैं और न भवति। भवति । दुर्मनस्क होते हैं। २५०. तओ पुरिसजाया पण्णत्ता, तं त्रीणि पुरुषजाताति प्रज्ञप्तानि, २५०. पुरुष तीन प्रकार के होते हैंजहातद्यथा १. कुछ पुरुष प्राप्त करता हूँ इसलिए लभामीतेगे सुमणे भवति, लभे इत्येकः सुमनाः भवति, सुमनस्क होते हैं, २. कुछ पुरुष प्राप्त लभामीतेगे दुम्मणे भवति, लभे इत्येक: दुर्मनाः भवति, करता हूँ इसलिए दुर्मनस्क होते हैं, लभामीतेगे जोसुमणे-णोदुम्मणे लभे इत्येकः नोसुमनाः-नोदुर्मनाः ३. कुछ पुरुष प्राप्त करता हूँ इसलिए न भवति। भवति । सुमनस्क होते हैं और न दुर्मनस्क होते हैं। २५१. तओ पुरिसजाया पण्णत्ता, तं त्रीणि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, २५१. पुरुष तीन प्रकार के होते हैंजहातद्यथा-- १. कुछ पुरुष प्राप्त करूंगा इसलिए लभिस्सामीतेगे सुमणे भवति, लप्स्य इत्येक: सुमनाः भवति, सुमनस्क होते हैं, २. कुछ पुरुष प्राप्त लभिस्सामीतेगे दुम्मणे भवति, लप्स्ये इत्येकः दुर्मनाः भवति, करूंगा इसलिए दुर्मनस्क होते हैं, ३. कुछ लभिस्सामीतेगे णोसुमणे-णोदुम्मणे लप्स्ये इत्येक: नोसुमनाः-नोदुर्मनाः पुरुष प्राप्त करूंगा इसलिए न सुमनस्क भवति। भवति। होते हैं और न दुर्मनस्क होते हैं। २५२. तओ पुरिसजाया पण्णत्ता, तं त्रीणि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, २५२. पुरुष तीन प्रकार के होते हैंजहातद्यथा १. कुछ पुरुष प्राप्त न करने पर सुमनस्क अलभित्ता णामेगे सुमणे भवति, अलब्ध्वा नामकः सुमनाः भवति, होते हैं, २. कुछ पुरुष प्राप्त न करने पर अलभित्ता णामेगे दुम्मणे भवति, अलब्ध्वा नामैकः दुर्मनाः भवति, दुर्मनस्क होते हैं, ३. कुछ पुरुष प्राप्त न अलभित्ता णामेगे जोसुमणे- अलब्ध्वा नामक: नोसुमनाः-नोदुर्मनाः करने पर न सुमनस्क होते हैं और न णोदुम्मणे भवति। भवति । दुर्मनस्क होते हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org,
SR No.003598
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Thanam Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1990
Total Pages1094
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_sthanang
File Size23 MB
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