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________________ ठाणं (स्थान) १६७ स्थान ३ : सूत्र २३२-२३६ २३२. तओ पुरिसजाया पण्णत्ता, तं त्रीणि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, तद्यथा- २३२. पुरुष तीन प्रकार के होते हैंजहाभाषे इत्येकः सुमना: भवति, १. कुछ पुरुष संभाषण करता हूं इसलिए भासामीतेगे सुमणे भवति, भाषे इत्येकः दुर्मनाः भवति, सुमनस्क होते हैं, २. कुछ पुरुष संभाषण भासामीतेगे दुम्मणे भवति, भाषे इत्येक: नोसुमनाः-नोदुर्मनाः करता हूं, इसलिए दुर्मनस्क होते हैं भासामीतेगे णोसुमणे-णोदुम्मणे भवति । ३. कुछ पुरुष संभाषण करता हूं इसलिए भवति। न सुमनस्क होते हैं और न दुर्मनस्क होते २३२. तओ पुरिसजाया पण्णत्ता, तं त्रीणि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, तद्यथा- २३३. पुरुष तीन प्रकार के होते हैंजहा भाषिष्ये इत्येकः सुमनाः भवति, . १. कुछ पुरुष संभाषण करूंगा इसलिए भासिस्सामोतेगे सुमणे भवति, भाषिष्ये इत्येकः दुर्मनाः भवति, सुमनस्क होते हैं, २. कुछ पुरुष संभाषण भासिस्सामीतेगे दुम्मणे भवति, भाषिष्ये इत्येक: नोसुमना:-नोदुर्मनाः करूंगा इसलिए दुर्मनस्क होते हैं, ३. कुछ भासिस्सामीतेगे जोसुमणे- भवति । पुरुष संभाषण करूंगा इसलिए न सुमनस्क णोदुम्मणे भवति । होते हैं और न दुर्मनस्क होते हैं। २३४. तओ पुरिसजाया पण्णत्ता, तं त्रीणि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, तद्यथा- २३४. पुरुष तीन प्रकार के होते हैंजहा अभाषित्वा नामकः सुमनाः भवति, १. कुछ पुरुष संभाषण न करने पर अभासित्ता णामेगे सुमणे भवति, अभाषित्वा नामकः दुर्मना: भवति, सुमनस्क होते हैं, २. कुछ पुरुष संभाषण अभासित्ता णामेगे दुम्मणे भवति, अभाषित्वा नामैकः नोसुमनाः-नोदुर्मना: न करने पर दुर्मनस्क होते हैं, ३. कुछ अभासित्ता णामेगे जोसुमणे- भवति । पुरुष संभाषण न करने पर न सुमनस्क णोदुम्मणे भवति । होते हैं और न दुर्मनस्क होते हैं। २३५. तओ पुरिसजाया पण्णत्ता तं त्रीणि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, तद्यथा- २३५. पुरुष तीन प्रकार के होते हैंजहा न भाषे इत्येकः सुमनाः भवति, १. कुछ पुरुष संभाषण नहीं करता हूं ण भासामीतेगे सुमणे भवति, न भाषे इत्येक: दुर्मनाः भवति, इसलिए सुमनस्क होते हैं, २. कुछ पुरुष ण भासामीतेगे दुम्मणे भवति, न भाषे इत्येकः नोसुमनाः-नोदुर्मनाः संभाषण नहीं करता हूं इसलिए दुर्मनस्क ण भासामीतेगे जोसुमणे-णोदुम्मणे भवति । होते हैं, ३. कुछ पुरुष संभाषण नहीं करता भवति। हूं इसलिए न सुमनस्क होते हैं और न दुर्भनस्क होते हैं। २३६. तओ पुरिसजाया पण्णत्ता, तं त्रीणि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, २३६. पुरुष तीन प्रकार के होते हैंजहातद्यथा-- १. कुछ पुरुष संभाषण नहीं करूंगा ण भासिस्सामीतेगे सुमणे भवति, न भाषिष्ये इत्येकः सुमनाः भवति, इसलिए सुमनस्क होते हैं, २. कुछ पुरुष ण भासिस्सामीतेगे दुम्मणे भवति, न भाषिष्ये इत्येक दुर्मनाः भवति, संभाषण नहीं करूंगा इसलिए दुर्मनस्क ण भासिस्सामीतेगे जोसुमणे- न भाषिष्ये इत्येकः नोसुमनाः-नो दुर्मनाः होते हैं, ३. कुछ पुरुष संभाषण नहीं णोदुम्मणे भवति । भवति । करूंगा इसलिए न सुमनस्क होते हैं और न दुर्मनस्क होते हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003598
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Thanam Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1990
Total Pages1094
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_sthanang
File Size23 MB
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