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________________ ठाणं (स्थान) स्थान ३ : सूत्र २१६-२२१ २१६. तओ पुरिसजाया पण्णत्ता, तं त्रीणि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, २१६. पुरुष तीन प्रकार के होते हैं जहा—अहंता णामेगे सुमणे भवति, तद्यथा-अहत्वा नामकः सुमनाः भवति, १. कुछ पुरुष न मारने पर सुमनस्क होते अहंता णामेगे दुम्मणे भवति, अहत्वा नामकः दुर्मनाः भवति, हैं, २. कुछ पुरुष न मारने पर दुर्मनस्क अहंता णामेगे णोसुमणे-णोदुम्मणे अहत्वा नामक: नोसुमनाः-नोदुर्मनाः होते हैं, ३. कुछ पुरुष न मारने पर न भवति। भवति। सुमनस्क होते हैं और न दुर्मनस्क होते हैं। २१७. तओ पुरिसजाया पण्णत्ता, तं त्रीणि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि,तद्यथा- २१७. पुरुष तीन प्रकार के होते हैंजहान हन्मीत्येकः सुमनाः भवति, १. कुछ पुरुष न मारता हूं इसलिए ण हणामीतेगे सुमणे भवति, न हन्मीत्येकः दुर्मना: भवति, . सुमनस्क होते हैं, २. कुछ पुरुष न मारता ण हणामीतेगे दुम्मणे भवति, न हन्मीत्येक: नोसुमना:-नोदुर्मनाः हूं इसलिए दुर्मनस्क होते हैं, ३. कुछ पुरुष ण हणामीतेगे णोसुमणे-णोदुम्मणे भवति । न मारता हूं इसलिए न सुमनस्क होते हैं भवति। और न दुर्मनस्क होते हैं। २१८. तओ पुरिसजाया पण्णत्ता, तं त्रीणि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, २१८. पुरुष तीन प्रकार के होते हैंजहातद्यथा १. कुछ पुरुष न मारूंगा इसलिए सुमनस्क ण हणिस्सामीतेगे सुमणे भवति, न हनिष्यामीत्येकः सुमनाः भवति, होते हैं, २. कुछ पुरुष न मारूंगा इसलिए ण हणिस्सामीतेगे दुम्मणे भवति, न हनिष्यामीत्येकः दुर्मनाः भवति, दर्मनस्क होते हैं, ३. कुछ पुरुष न मारूंगा ण हणिस्सामीतेगे णोसुमणे- न हनिष्यामीत्येकः नोसुमनाः-नोदुर्मनाः इसलिए न सुमनस्क होते हैं और न णोदुम्मणे भवति। भवति। दुर्मनस्क होते हैं। छिदित्ता-अछिदित्ता-पदं छित्त्वा-अछित्त्वा-पदम् छित्त्वा-अछित्त्वा-पद २१६. तओ पुरिसजाया पण्णत्ता, तं त्रीणि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, २१६. पुरुष तीन प्रकार के होते हैंजहातद्यथा १. कुछ पुरुष छेदन करने के बाद सुमनस्क छिदित्ता णामेगे सुमणे भवति, छित्त्वा नामकः सुमनाः भवति, होते हैं, २. कुछ पुरुष छेदन करने के बाद छिदित्ता णामेगे दुम्मणे भवति, छित्त्वा नामकः दुर्मनाः भवति, दुर्मनस्क होते हैं, ३. कुछ पुरुष छेदन छिदित्ताणामेगे णोसुमणे-णोदुम्मणे छित्त्वा नामकः नोसुमना:-नोदुर्मनाः करने के बाद न सुमनस्क होते हैं और न भवति । भवति। दुर्मनस्क होते हैं। २२०. तओ पुरिसजाया पण्णत्ता, तं त्रीणि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, २२०. पुरुष तीन प्रकार के होते हैंजहातद्यथा १. कुछ पुरुष छेदन करता हूं इसलिए छिदामीतेगे सुमणे भवति, छिनमीत्येकः सुमनाः भवति, सुमनस्क होते हैं, २. कुछ पुरुष छेदन छिदामीतेगे दुम्मणे भवति, छिनमीत्येकः दुर्मनाः भवति, करता हूं इसलिए दुर्मनस्क होते हैं, छिदामीतेगे जोसुमणे-णोदुम्मणे छिनमीत्येक: नोसुमनाः-नोदुर्मनाः ३. कुछ पुरुष छेदन करता हूं इसलिए न भवति । भवति । सुमनस्क होते हैं और न दुर्मनस्क होते हैं। २२१. तओ पुरिसजाया पण्णता, तं त्रीणि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, २२१. पुरुष तीन प्रकार के होते हैंजहातद्यथा १. कुछ पुरुष छेदन करूंगा इसलिए सुमछिदिस्सामीतेगे सुमणे भवति, छेत्स्यामीत्येकः सुमनाः भवति, नस्क होते हैं, २. कुछ पुरुष छेदन करूंगा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003598
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Thanam Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1990
Total Pages1094
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_sthanang
File Size23 MB
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