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________________ ठाणं (स्थान) २०५. तओ पुरिसजाया पण्णत्ता, तं त्रीणि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, जहा - तद्यथा- न तिष्ठामीत्येकः सुमनाः भवति, ण चिट्ठामीतेगे सुमणे भवति, ण चिट्ठामीतेगे दुम्मणे भवति, चिट्ठामीणो सुमणेदुम्मणे भवति । न तिष्ठामीत्येकः दुर्मनाः भवति, न तिष्ठामीत्येकः नोसुमनाःनोदुर्मनाः भवति । २०६. तओ पुरिसजाया पण्णत्ता, तं त्रीणि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, तद्यथा जहा - ण चिट्ठिस्सामीतेगे सुमणे भवति, ण चिट्ठिस्सामीतेगे दुम्मणे भवति, ण चिट्ठिस्सामीतेगे णोसुमणे - भव । १६२ न स्थास्यामीत्येकः सुमनाः भवति, न स्थास्यामीत्येकः दुर्मनाः भवति, न स्थास्यामीत्येकः नोसुमनाःनोदुर्मनाः भवति । Jain Education International णिसत्ता-अणिसित्ता-पदं २०७. तओ पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा णिसिइत्ता णामेगे सुमणे भवति, णिसिइत्ता णामेगे दुम्मणे भवति, णिसित्ता णामेगे णोसुमणेदुम्मणे भवति । २०८. तओ पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा णिसीदामीतेगे सुमणे भवति, णिसीदामीतेगे दुम्मणे भवति, सिदामतेगे णोसुम-णोदुम्मणे भवति, त्रीणि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, तद्यथा - निषीदामीत्येकः सुमनाः भवति, निषीदामीत्येक: दुर्मनाः भवति, निषीदामीत्येकः नोसुमनाः - नोदुर्मनाः भवति । २०६. तओ पुरिसजाया पण्णत्ता, तं त्रीणि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, निषद्य-अनिषद्य-पदम् त्रीणि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, तद्यथा— निषद्य नामैकः सुमनाः भवति, निषद्य नामैक: दुर्मनाः भवति, निषद्य नामैक: नोसुमनाः-नोदुर्मनाः भवति । जहा - तद्यथा— णिसीदिस्सा मीतेगे सुमणे भवति, निषत्स्यामीत्येकः सुमनाः भवति, णिसीदिस्सामीतेगे दुम्मणे भवति, निषत्स्यामीत्येकः दुर्मनाः भवति, णिसीदिस्सामीतेगे णोस मणे- निषत्स्यामीत्येकः नोसुमनाः -नोदुर्मनाः णोदुम्मणे भवति भवति । २१०. तओ पुरिसजाया पण्णत्ता, तं त्रीणि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, तद्यथा । जहा - अणिसिइत्ता णामेगे सुमणे भवति, अनिषद्य नामैकः सुमनाः भवति, For Private & Personal Use Only स्थान ३ : सूत्र २०५ - २१० १०५. पुरुष तीन प्रकार के होते हैं- १. कुछ पुरुष न ठहरता हूं इसलिए सुमनस्क होते हैं, २. कुछ पुरुष न ठहरता हूं इसलिए दुर्मनस्क होते हैं, ३. कुछ पुरुष न ठहरता हूं इसलिए न सुमनस्क होते हैं और न दुर्मनस्क होते हैं। २०६. पुरुष तीन प्रकार के होते हैं— १. कुछ पुरुष न ठहरूंगा इसलिए सुमनस्क होते हैं, २. कुछ पुरुष न ठहरूंगा इसलिए दुर्मनस्क होते हैं, ३. कुछ पुरुष न ठहरूंगा इसलिए न सुमनस्क होते हैं और न दु होते हैं । निषद्य - अनिषद्य-पद २०७. पुरुष तीन प्रकार के होते हैं १. कुछ पुरुष बैठने के बाद सुमनस्क होते हैं, २. कुछ पुरुष बैठने के बाद दुर्मनस्क होते हैं, ३. कुछ पुरुष बैठने के बाद न सुमनस्क होते हैं और न दुर्मनस्क होते हैं। २०८. पुरुष तीन प्रकार के होते हैं— १. कुछ पुरुष बैठता हूं इसलिए सुमनस्क होते हैं, २. कुछ पुरुष बैठता हूं इसलिए दुर्मनस्क होते हैं, ३. कुछ पुरुष बैठता हूं इसलिए न सुमनस्क होते हैं और न दुर्मन होते हैं। २०६. पुरुष तीन प्रकार के होते हैं १. कुछ पुरुष बैठूंगा इसलिए सुमनस्क होते हैं, २. कुछ पुरुष बैठूंगा इसलिए दुर्मनस्क होते हैं, ३. कुछ पुरुष बैठूंगा इसलिए न सुमनस्क होते हैं और न दुर्मन होते हैं। २१०. पुरुष तीन प्रकार के होते हैं १. कुछ पुरुष न बैठने पर सुमनस्क होते हैं, २. कुछ पुरुष न बैठने पर दुर्मनस्क www.jainelibrary.org
SR No.003598
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Thanam Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1990
Total Pages1094
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_sthanang
File Size23 MB
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