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________________ ठाणं (स्थान) ण एमीतेगे णोसुमणे- णोदुम्मणे भवति । २०० तओ पुरिसजाया पण्णत्ता, तं त्रीणि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, जहा - ण एस्सामीतेगे सुमणे भवति, एस्सामीतेगे दुम्मणे भवति, ण एस्सामीतेगे णोसुमणेणोदुम्मणे भवति । चिट्टित्ता-अचिट्ठित्ता-पदं २०१. तअ पुरिसजाया पण्णत्ता तं जहा - चिट्टित्ता णामेगे सुमणे भवति, चिट्टित्ता णामेगे दुम्मणे भवति, चिट्ठित्ता णामेगे णोसुमणेगोदुम्मणे भवति । २०२. तओ पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा — चिट्ठामीतेगे सुमणे भवति, चिट्ठामीतेगे दुम्मणे भवति, चिट्ठामीतेगे णोसुमणे णोदुम्मणे भवति । १६१ नैमीत्येकः नोसुमनाः-नोदुर्मनाः भवति । २०४. तओ पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा— अचिट्ठिता णामेगे सुमणे भवति, अचिट्ठित्ता णामेगे दुम्मणे भवति, अचिट्ठित्ता णामेगे णोसुमणेगोदुम्मणे भवति । Jain Education International तद्यथा नैष्यामीत्येकः सुमनाः भवति, नैष्यामीत्येकः दुर्मनाः भवति, नैष्यामीत्येकः नोसुमनाः- नोदुर्मनाः भवति । स्थित्वा-अस्थित्वा-पदम् त्रीणि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, तद्यथा— तिष्ठामीत्येकः सुमनाः भवति, तिष्ठामीत्येकः दुर्मनाः भवति, तिष्ठामीत्येकः नोसुमनाः- नोदुर्मनाः भवति । २०३. तओ पुरिसजाया पण्णत्ता तं त्रीणि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, जहा - चिट्ठिस्सामीतेगे सुमणे भवति, चिट्ठामोतेगे दुम्मणे भवति, चिट्ठस्सामीतेगे णोसुमणे दुम्मणे भवति । तद्यथा— स्थित्वा नामैकः सुमनाः भवति, स्थित्वा नामकः दुर्मनाः भवति, स्थित्वा नामैकः नो सुमनाः- नोदुर्मनाः भवति । त्रीणि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, तद्यथा— स्थास्यामीत्येकः सुमनाः भवति, स्थास्यामीत्येकः दुर्मनाः भवति, स्थास्यामीत्येकः नोसुमनाः- नोदुर्मनाः भवति 1 स्थान ३ : सूत्र २०० - २०४ इसलिए दुर्मनस्क होते हैं, ३. कुछ पुरुष न आता हूं इसलिए न सुमनस्क होते हैं। और न दुर्मनस्क होते हैं । For Private & Personal Use Only २००. पुरुष तीन प्रकार के होते हैं १. कुछ पुरुष न आऊंगा इसलिए सुमनस्क होते हैं, २. कुछ पुरुष न आऊंगा इसलिए दुर्मनस्क होते हैं, ३. कुछ पुरुष न आऊंगा इसलिए न सुमनस्क होते हैं और न दुर्मनस्क होते हैं। स्थित्वा - अस्थित्वा पद २०१. पुरुष तीन प्रकार के होते हैं १. कुछ पुरुष ठहरने के बाद सुमनस्क होते हैं, २. कुछ पुरुष ठहरने के बाद दुर्मनस्क होते हैं, ३. कुछ पुरुष ठहरने के बाद न सुमनस्क होते हैं और न दुर्मनस्क होते हैं । २०२. पुरुष तीन प्रकार के होते हैं १. कुछ पुरुष ठहरता हूं इसलिए सुमनस्क होते हैं, २. कुछ पुरुष ठहरता हूं इसलिए दुर्मनस्क होते हैं, ३. कुछ पुरुष ठहरता हूं, इसलिए न सुमनस्क होते हैं और न होते हैं । दु २०३. पुरुष तीन प्रकार के होते हैं १. कुछ पुरुष ठहरूंगा इसलिए सुमनस्क होते हैं, २. कुछ पुरुष ठहरूंगा इसलिए दुर्मनस्क होते हैं, ३. कुछ पुरुष ठहरूंगा इसलिए न सुमनस्क होते हैं और न दुर्मनस्क होते हैं । त्रीणि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि तद्यथा - २०४. पुरुष तीन प्रकार के होते हैंअस्थित्वा नामैकः सुमनाः भवति, अस्थित्वा नामकः दुर्मनाः भवति, अस्थित्वा नामैक: नोसुमनाःनोदुर्मनाः भवति । १. कुछ पुरुष न ठहरने पर सुमनस्क होते हैं, २. कुछ पुरुष न ठहरने पर दुर्मनस्क होते हैं, ३. कुछ पुरुष न ठहरने पर न सुमनस्क होते हैं और न दुर्मनस्क होते हैं। www.jainelibrary.org
SR No.003598
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Thanam Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1990
Total Pages1094
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_sthanang
File Size23 MB
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