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ठाणं (स्थान)
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स्थान ३ : सूत्र १५८-१६२
महिषियों के तीन-तीन परिषदें हैं
१. तुम्बा, २. त्रुटिता, ३. पर्वा। १५८. सक्कस्स णं देविदस्स देवरणो शत्रस्य देवेन्द्रस्य देवराजस्य तिस्रः १५८. देवेन्द्र, देवराज शक्र के तीन परिषदें हैंतओ परिसाओ पण्णत्ताओ, तं परिषदः प्रज्ञप्ताः, तदयथा
१. समिता, २. चण्डा, ३. जाता। जहा_समिता, चंडा, जाया। समिता. चण्डा, जाता। १५६. एवं-जहा चमरस्स जाव अग्ग- एवम् यथा चमरस्य यावत् अग्र- १५६. इसी प्रकार देवेन्द्र, देवराज शक्र के महिसीणं। महिषीणाम् ।
सामानिकों तथा तावत्त्रिंशकों के तीनतीन परिषदें हैं१. समिता, २. चण्डा, ३. जाता। उसके लोकपालों तथा अग्रमहिषियों के तीन-तीन परिषदें हैं
१. तुम्बा, २. त्रुटिता, ३. पर्वा। १६०. एवं_जाव अच्चतस्स लोग- एवम यावत् अच्यूतस्य लोकपाला- १६० इसी प्रकार देवेन्द्र, देवराज ईशान के तीन पालाणं । नाम्।
परिषदें हैं१. समिता, २. चण्डा, ३. जाता। उसके सामानिकों तथा तावत्त्रिंशकों के तीन-तीन परिषदें हैं१. समिता, २. चण्डा, ३. जाता। उसके लोकपालों तथा अग्रमहिषियों के तीन-तीन परिषदें हैं१. तुम्बा, २. त्रुटिता, ३. पर्वा । इसी प्रकार सनत्कुमार से लेकर अच्युत तक के देवेन्द्रों, सामानिकों तथा तावत्त्रिंशकों के तीन-तीन परिषदें हैं१. समिता, २. चण्डा, ३. जाता। उनके लोकपालों के तीन-तीन परिषदें हैं-१. तुम्बा, २. त्रुटिता, ३. पर्वा ।
जाम-पदं याम-पदम्
याम-पद १६१. तओ जामा पण्णत्ता, तं जहा- त्रयः यामाः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा- १६१- याम" तीन हैं-१. प्रथम याम, पढमे जामे, मज्झिमे जामे, प्रथमः यामः, मध्यमः यामः,
२. मध्यम याम, ३. पश्चिम याम । पच्छिमे जामे।
पश्चिमः यामः । १६२. तिहिं जामेहि आता केवलिपण्णत्तं त्रिभिः यामैः आत्मा केवलिप्रज्ञप्तं धर्म १७२. तीनों ही यामों में आत्मा केबलीप्रज्ञप्त धम्म लभेज्ज सवणयाए, तं जहा- लभेत श्रवणतया, तद्यथा
धर्म का श्रवण लाभ करता है---
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