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ठाणं (स्थान)
१०८. एवं धायइसंडे दीवे पुरत्थिमदेवि, पच्चत्थिमद्धेवि ।
पुक्खरवरदीवद्धे पुरत्थिमद्धेवि, पच्चत्थिमद्धेवि ।
कालचक्क - पदं
१०६. जबुद्दीवे दीवे भरहेरवएसु वासेसु तीताए उस्सप्पिणीए सुसमाए समाए तिष्णि सागरोवमकोडा
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स्थान ३ : सूत्र ९०८-११४
एवम् धातकीषण्डे द्वीपे पौरस्त्यार्धेऽपि १०८. इसी प्रकार धातकीपंड नामक द्वीप के पाश्चात्यार्थेऽपि । पूर्वार्ध तथा पश्चिमार्ध में, अर्ध पुष्करवर द्वीप के पूर्वार्ध तथा पश्चिमार्ध में भी तीन-तीन तीर्थ हैं
पुष्करवरद्वीपार्धे पौरस्त्यार्धेऽपि, पाश्चात्यार्धेऽपि ।
१. मागध, २. वरदाम, ३. प्रभास ।
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कालचक्र-पदम्
काल:
जम्बूद्वीपे द्वीपे भरतैरवतयोः वर्षयोः अतीतायां उत्सर्पिण्यां सुषमायां समायां तिस्रः सागरोपमकोटिकोटी: अभवत् । जम्बूद्वीपे द्वीपे भरतैरवतयोः वर्षयोः अस्यां अवसपियां सुषमायां समायां तिस्रः सागरोपमकोटिकोटी: काल:
ओका हत्था । ११०. जंबुद्दीवे दीवे भरहेरवएसु वासेसु इमीसे ओसप्पिणीए सुसमाए समाए तिष्णि सागरोवमकोडा - कोडीओ काले पण्णत्ते । १११. जंबुद्दीवे दीवे भरहेरवएसु वासेसु आगमिस्साए उस्सप्पिणीए सुसमाए समाए तिष्णि सागरोवमकोडाकोडीओ काले भविस्सति ।
११२. एवं धायइसंडे पुरत्थिमद्धे पच्चथिमद्धेवि ।
एवं पुवखरवरदीवद्धे पुरस्थिमद्धे पच्चfत्थमद्धेवि कालो भाणियव्वो ।
११३. जंबुद्दीवे दीवे भरहेरवएसु वासेसु जम्बूद्वीपे द्वीपे भरतैरवतयोः वर्षयोः तीताए उस्सप्पिणीए सुसमसुसमाए अतीतायां उत्सर्पिण्यां सुषमसुषमायां समाए मणुया तिष्णि गाउयाई समायां मनुजाः तिस्रः गव्यूतीः ऊर्ध्वं उ उच्चतेणं होत्था । तिष्णि उच्चत्वेन अभवन् । त्रीणि पल्योपमानि पलिओ माई परमाउं पालइत्था । परमायुः अपालयन् । ११४. एवं - इमीसे ओसप्पिणीए, एवम् — अस्यां अवसर्पिण्याम्, आगमिस्साए उस्सप्पिणीए । आगमिष्यन्त्यां उत्सर्पिण्याम् ।
प्रज्ञप्तः ।
जम्बूद्वीपे द्वीपे भरतैरवतयोः वर्षयोः आगमिष्यन्त्यां उत्सर्पिण्यां सुषमायां समायां तिस्रः सागरोपमकोटिकोटी: कालः भविष्यति ।
एवम् पुष्करवरद्वीपार्धे पौरस्त्यार्धे पाश्चात्यार्धेऽपि कालः भणितव्यः ।
कालचक्र पद
१०९. जम्बूद्वीप द्वीप के भरत और ऐरवत क्षेत्र में अतीत उत्सर्पिणी के सुषमा नाम के आरे का काल तीन कोटी कोटी सागरो
एवम् धातकीषण्डे पौरस्त्यार्धे पाश्चा- ११२. इसी प्रकार धातकीषंड तथा अर्ध पुष्करवर त्यार्धेऽपि । द्वीप के पूर्वार्ध तथा पश्चिमार्ध में भी उत्सर्पिणी तथा अवसर्पिणी के सुषमा आरे का काल तीन कोटी-कोटी सागरोपम होता है ।
११३. जम्बूद्वीप द्वीप में भरत और ऐरवत क्षेत्र में अतीत उत्सर्पिणी के सुषमसुषमा नाम के आरे में मनुष्यों की ऊंचाई तीन गाऊ की और उनकी उत्कृष्ट आयु तीन पल्योपम की थी।
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पम था ।
११०. जम्बूद्वीप द्वीप के भरत और ऐरवत क्षेत्र में वर्तमान अवसर्पिणी के सुषमा नाम के आरे का काल तीन कोटी-कोटी सागरोपम कहा गया है।
१११. जम्बूद्वीप द्वीप के भरत और ऐरवत क्षेत्र
में आगामी उत्सर्पिणी के सुषमा नाम के आरे का काल तीन कोटी कोटी सागरोपम होगा ।
११४. इसी प्रकार वर्तमान अवसर्पिणी तथा आगामी उत्सर्पिणी में भी ऐसा जानना चाहिए ।
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