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________________ ठाणं (स्थान) ७५. तिहि ठाणेह देवज्जोते सिया, तं जहा - अहंतेहि जायमाणेह, अरहंतेहि पव्वयमाणे, अरहंताणं णाणुप्पायमहिमासु । ७६. तिहि ठाणेहिं देवसण्णिवाए सिया, तं जहा -अरहंतेहिं जायमार्णोह, अरहंतेहि पव्वयमाणे, अरहंताणं णाणुष्पायमहिमासु । ठाणे देवलिया सिया, तं जहा - अरहंतेहिं जायमार्णोह, अरहंतेहि पव्वयमाणेहिं, अरहंताणं णाणुष्पायमहिमासु । ७७. • ७६. तिहि ठाणेहि देविदा माणुसं लोगं हव्वमागच्छति, तं जहा - अरहंतेहिं जायमाणेहिं, अरहंत पव्वयमाणे, अरहंताणं णाणुप्पायमहिमासु । ८०. एवं सामाणिया, तायत्तीसगा, लोगपाला देवा, अग्गमहिसीओ देवीओ, परिसोववण्णगा देवा, अणियाहिवई देवा, आयरक्खा देवा माणुस लोगं हव्वमा गच्छति, १६६ त्रिभिः स्थानैः देवोद्योतः स्यात्, तद्यथा— अर्हत्सु जायमानेषु, अर्हत्सु प्रव्रजत्सु, अर्हता ज्ञानोत्पादमहिमसु । ७८. तिहि ठाणे देवकहकहए सिया, त्रिभिः स्थानैः देव ' कहकहक': स्यात्, तं जहा - अरहंतेहि जायमार्णोह, तद्यथा— अर्हत्सु जायमानेषु अरहंतेहि पव्वयमाणेहिं अर्हत्सु प्रव्रजत्सु, अरहंताणं णाणुपायमहिमासु । अर्हतां ज्ञानोत्पादमहिमसु । Jain Education International त्रिभिः स्थानैः देवसन्निपातः स्यात्, तद्यथा— अर्हत्सु जायमानेषु, अर्हत्सु प्रव्रजत्सु अर्हतां ज्ञानोत्पादमहिमसु । त्रिभिः स्थानैः देवोत्कलिका स्यात्, तद्यथा— अर्हत्सु जायमानेषु, अर्हत्सु प्रव्रजत्सु अर्हतां ज्ञानोत्पादमहिमसु । त्रिभिः स्थान: देवेन्द्राः मानुषं लोकं अर्वाक् आगच्छन्ति, तद्यथा— अर्हत्सु जायमानेषु अर्हत्सु प्रव्रजत्सु, अर्हतां ज्ञानोत्पादमहिमसु । एवम् सामानिकाः, तावत्त्रिंशकाः, लोकपाला देवाः, अग्रमहिष्यो देव्यः, परिषदुपपन्नका देवाः, अनिकाधिपतयो देवा:, आत्मरक्षका देवाः मानुषं लोकं अर्वाक् आगच्छन्ति, तद्यथा— For Private & Personal Use Only स्थान ३ : सूत्र ७५-८० ७५. तीन कारणों से देवलोक में उद्योत होता है - १. अर्हन्तों का जन्म होने पर, २. अर्हन्तों के प्रव्रजित होने के अवसर पर, ३. अर्हन्तों को केवल ज्ञान उत्पन्न होने के उपलक्ष्य में किए जाने वाले महोत्सव पर । ७६. तीन कारणों से देव सन्निपात [ मनुष्य लोक में आगमन ] होता है १. अर्हन्तों का जन्म होने पर, २. अर्हन्तों के प्रव्रजित होने के अवसर पर, ३. अर्हन्तों को केवलज्ञान उत्पन्न होने के उपलक्ष्य में किए जाने वाले महोत्सव पर । ७७. तीन कारणों से देवोत्कलिका [देवताओं का समवाय ] होता है १. अर्हन्तों का जन्म होने पर, २. अर्हन्तों के प्रव्रजित होने के अवसर पर, ३. अर्हन्तों को केवलज्ञान उत्पन्न होने के उपलक्ष्य में किए जाने वाले महोत्सव पर । ७८. तीन कारणों से देवकहकहा [ कलकल afa ] होता है - १. अर्हन्तों का जन्म होने पर, २. अर्हन्तों के प्रव्रजित होने के अवसर पर, ३ अर्हन्तों को केवलज्ञान उत्पन्न होने के उपलक्ष्य में किए जाने वाले महोत्सव पर । ७६. तीन कारणों से देवेन्द्र तत्क्षण मनुष्यलोक में आते हैं - १. अर्हन्तों का जन्म होने पर, २. अर्हन्तों के प्रब्रजित होने के अवसर पर, ३. अर्हन्तों को केवलज्ञान उत्पन्न होने के उपलक्ष्य में किए जाने वाले महोत्सव पर । ८०. इसी प्रकार सामानिक", तावत्त्रिशक", लोकपाल देव, अग्रमहिषी देवियां, सभासद, सेनापति तथा आत्मरक्षक देव तीन कारणों से तत्क्षण मनुष्य-लोक में आते हैं - १. अर्हन्तों का जन्म होने पर, www.jainelibrary.org
SR No.003598
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Thanam Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1990
Total Pages1094
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_sthanang
File Size23 MB
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