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ठाणं (स्थान)
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स्थान २ : टि०१०८
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आदि में १ की और अन्त में ५ की स्थापना कीजिए । शेष संख्या को भर दीजिए। दूसरी पंक्ति में प्रथम पंक्ति के मध्य को आदि मानकर क्रमशः भर दीजिए। तीसरी पंक्ति में दूसरी पंक्ति के मध्य को आदि मानकर क्रमशः भर दीजिए । इस पद्धति से पांचों पंक्तियों को भर दीजिए। इसका यन्त्र इस प्रकार है
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१. स्थानांगवृत्ति, पत्र २७८ :
२. स्थानांगवृत्ति, पत्र २७६ :
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कोष्ठक में जो अंक संख्या है उसका अर्थ है उतने दिन का उपवास । प्रत्येक तप के बाद पारणा आता है, जैसेपहले उपवास, फिर पारणा, फिर दो दिन का उपवास, फिर पारणा । इस पद्धति से ७५ दिन का तप और २५ दिन का पारणा होता है ।
महतीसर्वतोभद्रा – इसमें यह चतुर्थभक्त (उपवास) से लेकर ७ दिन के तप किए जाते हैं । इसकी पूर्ण प्रक्रिया १६६ दिवसीय तप से पूर्ण होती है और पारणा के दिन ४६ लगते हैं। कुल मिलाकर २४५ दिन लगते हैं। इसकी स्थापनापद्धति इस प्रकार है
आदि में एक और अन्त में ७ के अंक की स्थापना कीजिए । बीच की संख्या क्रमशः भर दीजिए। उससे आगे की पंक्ति में पहले की पंक्ति का मध्य अंक लेकर अगली पंक्ति के आदि में स्थापित कर दीजिए। फिर क्रमशः संख्या भर दीजिए । इस प्रकार सात पंक्तियां भर दीजिए। यन्त्र इस प्रकार है
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एगाई पंचते ठविडं, मज्झं तु आइमणुपति । उचिकमेण य सेसे, जाण लहं सव्वओभद्दं ॥
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महती तु चतुर्थादिना षोडशावसानेन षण्णवत्यधिकदिन
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शतमानेन भवति ।
३. स्थानांगवृत्ति, पत्र २७९ :
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एगाई सत्तंते, ठविडं मज्झ च आदिमणुषंति । उचियकमेण य, सेसे जाण महं सम्वबोमहं ||
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