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ठाणं (स्थान)
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स्थान २ : सूत्र ४१०-४१२ ४१०. दुविहा सव्वजीवा पण्णत्ता, तं द्विविधाः सर्वजीवाः प्रज्ञप्ताः , ४१०. सब जीव दो-दो प्रकार के होते हैंजहा
तद्यथासइंदिया चेव, अणिदिया चेव। सेन्द्रियाश्चैव, अनिन्द्रियाश्चैव । सइन्द्रिय और अनिन्द्रिय। 'सकायच्चेव, अकायच्चेव। सकायाश्चैव, अकायाश्चैव ।
सकाय और अकाय । सजोगी चेव, अजोगी चेव। सयोगिनश्चैव, अयोगिनश्चैव ।
सयोगी और अयोगी। सवेया चेव, अवेया चेव। सवेदाश्चैव, अवेदाश्चैव।
सवेद और अवेद। सकसाया चेव, अकसाया चेव। सकषायाश्चैव, अकषायाश्चैव । सकषाय और अकषाय । सलेसा चेव, अलेसा चेव। सलेश्याश्चैव, अलेश्याश्चैव ।
सलेश्य और अलेश्य । णाणी चेव, अणाणी चेव। ज्ञानिनश्चैव, अज्ञानिनश्चैव ।
ज्ञानी और अज्ञानी। सागारोवउत्ता चेव, साकारोपयुक्ताश्चैव,
साकारोपयुक्त और अनाकारोपयुक्त । अणागारोवउत्ता चेव। अनाकारोपयुक्ताश्चैव ।
आहारक और अनाहारक। आहारगा चेव, अणाहारगा चेव । आहारकाश्चैव, अनाहारकाश्चैव । भाषक और अभाषक। भासगा चेव, अभासगा चेव। भाषकाश्चैव, अभाषकाश्चैव।
चरम और अचरम । चरिमा चेव, अचरिमा चेव। चरमाश्चैव, अचरमाश्चैव।
सशरीरी और अशरीरी। ससरीरी चेव, असरीरी चेव। सशरीरिणश्चैव, अशरीरिणश्चैव।
मरण-पदं मरण-पदम
मरण-पद ४११. दो मरणाई समणणं भगवता द्वे मरणे श्रमणेन भगवता महावीरेण ४११. श्रमण निर्ग्रन्थों के लिए दो प्रकार के
महावीरेणं समणाणं णिग्गंथाणं श्रमणानां निर्ग्रन्थानां नो नित्यं वणिते मरण श्रमण भगवान महावीर के णो णिच्चं वणियाइं जो णिच्चं नो नित्यं कीत्तिते नो नित्यं उक्ते नो द्वारा कभी भी वर्णित, कीर्तित, उक्त, कित्तियाई णो णिच्चं बुइयाइं नित्यं प्रशस्ते नो नित्य अभ्यनज्ञाते प्रशंसित और अनुमत नहीं हैंणो णिच्चं पसत्थाई णो णिच्चं भवतः, तद्यथा
वलन्-परिषहों से वाधित होने पर जो अब्भणुण्णायाई भवंति, तं जहा.- वलन्मरणञ्चैव,
व्यक्ति संयम से निवर्तमान होते हैं, वलयमरणे चेव, वशार्त्तमरणञ्चैव।
उनका मरण। वशात-इन्द्रियों के वसट्टमरणे चेव।
अधीन बने हुए पुरुष का मरण । ४१२. एवं-णियाणमरणे चेव, एवम्-निदानमरणञ्चैव, ४१२. इसी प्रकार-निदानमरण, तब्भवमरणे चेव। तद्भवमरणं चैव।
तद्भवमरण गिरिपडणे चेव, गिरिपतनं चैव,
गिरिपतन-पहाड़ से गिरकर मरना तरुपडणे चेव। तरुपतनं चैव।
तरुपतन-वृक्ष से गिरकर मरना जलपवेसे चेव, जलप्रवेशश्चैव,
जलप्रवेश कर मरना जलणपवेसे चेव। ज्वलनप्रवेशश्चैव।
अग्निप्रवेश कर मरना विसभक्खणे चेव, विषभक्षणं चैव,
विषभक्षण कर मरना सत्थोवाडणे चेव। शस्त्रावपाटनं चैव।
शस्त्र से घात कर मरना।
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