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ठाणं (स्थान)
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दो तत्तजलाओ, दो मत्तजलाओ, द्वे क्षीरोदे, द्वे सिंहस्रोतस्यों, द्वे अन्तर्वाहिन्यौ, द्वे उर्मिमालिन्यौ, द्वे फेनमालिन्यौ, द्वे गम्भीरमालिन्यौ ।
दो उम्मत्तजलाओ, दो खोरोयाओ, दो सीहसोताओ, दो अंतोवाहिणीओ, दो उम्मिमालिणीओ, दो फेणमालिणीओ, दो गंभीर मालिणीओ । ३४०. दो कच्छा, दो सुकच्छा, दो महा
कच्छा, दो कच्छावती, दो आवत्ता, दो मंगलावत्ता, दो पुक्खला, दो पुक्खलावई, दो वच्छा, दो सुवच्छा, दो 'महावच्छा, दो बच्छगावती, रम्मा, दो रम्मा, दो रमणिज्जा, दो मंगलावती, दो पम्हा, दो सुपम्हा, दो महपम्हा, दो पम्हगावती, दो संखा, दो णलिणा, दो 'कुमुया, दो सलिलावती, दो वप्पा, दो सुवप्पा, दो महावप्पा, दो वप्पगावती, दो
दो सुवग्गू, दो गंधिला
दो गंधिलावती ।
३४१. दो खेमाओ, दो खेमपुरीओ दो रिट्ठाओ, दो रिट्ठपुरीओ, दो खग्गीओ, दो मंजूसाओ, दो ओसधीओ, दो पोंड रिगिणीओ, दो सुसीमाओ, दो कुंडलाओ, दो अपराजियाओ, दो पभंकराओ, दो अंकावईओ, दो पम्हावईओ, दो सुभाओ, दो रयणसंचयाओ, दो आसपुराओ, दो सीहपुराओ, दो महापुराओ, दो विजयपुराओ, दो अवराजिताओ, दो अवराओ,
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वग्गू,
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द्वौ कच्छौ, द्वौ सुकच्छौ, द्वौ महाकच्छी, द्वे कच्छकावत्यौ द्वौ आवत्तों, द्वौ मंगलावत्त, द्वौ पुष्कलौ, द्वे पुष्कलावत्यौ द्वौ वत्सौ द्वौ सुवत्सौ द्वौ महावत्सौ, द्वे वत्सकावत्यौ द्वौ रम्यौ, द्वौ रम्यकौ द्वौ रमणीयौ द्वे मंगलावत्यौ द्वे पक्ष्मणी, द्वे सुपक्ष्मणी, द्वे महापक्ष्मणी, द्वे पक्ष्मकावत्यौ द्वौ शंख, द्वौ नलिनौ द्वौ कुमुदौ, द्वे सलिलावत्यौ, द्वौ वप्रौ द्वौ सुवप्रो, द्वौ महावप्रौ, द्वे वप्रकावत्यौ द्वौ वल्गू, द्वौ सुवल्गू, द्वौ गान्धिलौ, द्वे गान्धिलावत्यौ ।
स्थान २ : सूत्र ३४० - ३४१
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तप्तजला,
मत्तजला,
उन्मत्तजला,
क्षीरोदा, सिंहस्रोता, अन्तोमालिनी, उर्मिमालिनी, फेनमालिनी, गम्भीरमालिनी - ये सभी नदियां दो-दो हैं ।
३४०. कच्छ, सुकच्छ, महाकच्छ, कच्छुकावती, आवर्त, मंगलावर्त्त, पुष्कल, पुष्कलावती, वत्स, सुवत्स, महावत्स, वत्सकावती, रम्य, रम्यक, रमणीय, मंगलावती, पक्ष्म, सुपक्ष्म, महापक्ष्म, पक्ष्मकावती, शंख, नलिन, कुमुद, सलिलावती, वप्र, सुवप्र, महावप्र, वप्रकावती, वल्गु, सुवल्गु, गंधिल, गंधिलावती - ये बत्तीस विजयक्षेत्र दो-दो हैं ।
द्वे क्षेमे, द्वे क्षेमपुयौं, द्वे रिष्टे, द्वे रिष्टपुयौं, ३४१. क्षेमा, क्षेमपुरी, रिष्टा, रिप्टपुरी, खड्गी,
द्वे खड्यौ, द्वे मञ्जूषे, द्वे औषध्यौ, द्वे पौण्डरीकिण्यौ, द्वे सुसीमे, द्वे कुण्डले, द्वे अपराजिते, द्वे प्रभाकरे, द्वे अङ्कावत्यौ, द्वे पक्ष्मावत्यौ द्वे शुभे द्वे रत्नसंचये, द्वे अश्वपुय, द्वे सिंहपुर्यो, द्वे महापुर्यौ, द्वे विजयपुर्यौ, द्वे अपराजिते, द्वे अपरे, द्वे अशोके, द्वे विगतशोके, द्वे विजये, द्वे वैजयन्त्यौ, द्वे जयन्त्यौ, द्वे अपराजिते, द्वे चक्रपुर्यो, द्वे खङ्गपुय, द्वे अवध्ये, द्वे अयोध्ये ।
मंजूषा, औषधी, पौंडरीकिणी, सुसीमा, कुंडला, अपराजिता, प्रभाकरा, अंकावती, पक्ष्मावती, शुभा, रत्नसंचया, अश्वपुरी, सिहपुरी, महापुरी, विजयपुरी, अपराजिता, अपरा, अशोका, विगतशोका, विजया, वैजयंती, जयन्ती, अपराजिता, चक्रपुरी, खड्गपुरी, अवध्या और अयोध्या - ये विजय-क्षेत्र की बत्तीस नगरियां दो-दो हैं ।
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