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________________ ठाणं (स्थान) ८५ स्थान २ : सूत्र ३०२-३०८ ३०२. एवं—जहा पवातद्दहा, एवं गईओ एवम्-यथा प्रपातद्रहाः, एवं नद्यः ३०२. प्रपातद्रह की भांति नदियां वक्तव्य हैं। भाणियवाओ जाव एरवए वासे भणितव्याः यावत् ऐरवते वर्षे द्वे दो महाणईओ पण्णत्ताओ- महानद्यौ प्रज्ञप्तेबहुसमतुल्लाओ जाव, तं जहा- बहुसमतुल्ये यावत्, तद्यथारत्ता चेव, रत्तावती चेव। रक्ता चैव, रक्तवती चैव। कालचक्क-पदं कालचक्र-पदम कालचक्र-पद ३०३. जंबुद्दीवे दीवे भरहेरवएसु वासेसु जम्बूद्वीपे द्वीपे भरतैरवतयोः वर्षयोः ३०३. जम्बूद्वीप द्वीप के भरत और ऐरवत क्षेत्र तीताए उस्स प्पिणीए सुसम- अतीतायां उत्सपिण्यां सुषमदुःषमायां में अतीत उत्सपिणी के सुषम-दुषमा आरे दूसमाए समाए दो सागरोवम- द्वे सागरोपमकोटिकोटीः कालः का काल दो कोटी-कोटी सागरोपम था। कोडाकोडीओ काले होत्था। अभवत् । ३०४. 'जंबुद्दीवे दीवे भरहेरवएसु वासेसु जम्बूद्वीपे द्वीपे भरतैरवतयोः वर्षयोः ३०४. जम्बूद्वीप द्वीप के भरत और ऐरवत क्षेत्र इमीसे ओसप्पिणीए सुसमदूसमाए अस्यां अवसप्पिण्यां सुषमदुःषमायां में वर्तमान अवसर्पिणी के सुषम-दुषमा समाए दो सागरोवमकोडाकोडीओ समायांद्रे सागरोपमकोटिकोटी: काल: आरे का काल दो कोटी-कोटी सागरोपम काले पण्णत्ते। प्रज्ञप्तः । कहा गया है। ३०५. जंबुद्दीवे दीवे भरहेरवएसु वासेसु जम्बूद्वीपे द्वीपे भरतैरवतयोः वर्षयोः ३०५. जम्बूद्वीप द्वीप के भरत और ऐरवत क्षेत्र आगमिस्साए उस्सप्पिणीए सुसम- आगमिष्यन्त्यां उत्सपिण्यां सुषम- में आगामी उत्सर्पिणी के सुषम-दुषमा दूसमाए समाए दो सागरोवम- दुःषमायां समायां द्वे सागरोपमकोटि- आरे का काल दो कोटी-कोटी सागरोपम कोडाकोडीओ काले भविस्सति। कोटीः कालः भविष्यति।। होगा। ३०६. जंबुद्दीवे दीवे भरहेरवएसु वासेसु जम्बूद्वीपे द्वीपे भरतैरवतयोः वर्षयोः ३०६. जम्बूद्वीप द्वीप के भरत और ऐरवत क्षेत्र तीताए उस्सप्पिणीए सुसमाए अतीतायां उत्सर्पिण्यां सुषमायां समायां में अतीत उत्सर्पिणी सुषमा नामक आरे समाए मणुया दो गाउयाई उड्डे मनुजाः द्वे गव्यूती ऊर्ध्व उच्चत्वेन में मनुष्यों की ऊंचाई दो गाऊ की और उच्चत्तेणं होत्था। दोण्णि य अभवन् । द्वे च पल्योपमे परमायुः उत्कृष्ट आयु दो पल्योपम की थी। पलिओवमाइं परमाउंपालइत्था। अपालयन् । ३०७. एवमिमीसे ओसप्पिणीए जाव एवम् अस्यां अवसर्पिण्यां यावत् ३०७. जम्बूद्वीप द्वीप के भरत और ऐरवत क्षेत्र पालयित्था। अपालयन् । में वर्तमान अवसर्पिणी के सुषमा नामक आरे में मनुष्यों की ऊंचाई दो गाऊ की और उत्कृष्ट आयु दो पल्योपम की थी। ३०८. एवमागमेस्साए उस्सप्पिणीए एवम् आगमिष्यन्त्यां उत्सपिण्यां ३०८. जम्बूद्वीप द्वीप के भरत और ऐरवत क्षेत्र जाव पालयिस्संति। यावत पालयिष्यन्ति। में आगामी उत्सर्पिणी के सुषमा नामक आरे में मनुष्यों की ऊंचाई दो गाऊ की और उत्कृष्ट आयु दो पल्योपम की होगी। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003598
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Thanam Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1990
Total Pages1094
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_sthanang
File Size23 MB
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