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________________ ठाणं (स्थान) वासे दो पायद्दहा पण्णत्ताबहुसमतुल्ला जाव, तं जहा वा सोपवायचेव । २६८. जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरे णं रम्मए वासे दो पव्वाय हा पण्णत्ता बहुसमतुल्ला जाव, तं जहारकंतप्पवायद्दहे चेव, किंतवायचेव । २६६. एवं - हेरण्णवते वासे दो पवायद्दहा पण्णत्ता - बहुसमतुल्ला जाव, तं जहा - सुवण कूलप्पवायद्दहे चेव, रुपकूलपवा चेव । ३००. जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरे णं एरवए वासे दो पवाय हा पण्णत्ता बहुसमतुल्ला जाव, तं जहा रतवाहे चेव, राव पवायचेव । महानदी -पदं ३०१. जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणे णं भरहे वासे दो महाणईओ पण्णत्ताओबहुसम - तुल्लाओ जाव, तं जहागंगा चेव, सिंधू चेव । Jain Education International स्थान २ : सूत्र २६८-३०१ ग्रह हैं - सीताप्रपातग्रह, सीतोदाप्रपातद्रह । वे दोनों क्षेत्र प्रमाण की दृष्टि से सर्वथा सदृश हैं, यावत् वे लम्बाई, चौड़ाई, संस्थान और परिधि में एक-दूसरे का अतिक्रमण नहीं करते । २१८. जम्बूद्वीप द्वीप में मन्दर पर्वत के उत्तर में रम्यक क्षेत्र में दो प्रपातद्रह हैंनरकान्ताप्रपातद्रह, नारीकान्ताप्रपातद्रह । वे दोनों क्षेत्र - प्रमाण की दृष्टि से सर्वथा सदृश हैं, यावत् वे लम्बाई, चौड़ाई, संस्थान और परिधि में एक-दूसरे का अतिक्रमण नहीं करते । एवम् - हैरण्यवते वर्षे द्वौ प्रपातद्रहौ २६६. जम्बूद्वीप द्वीप में मन्दर पर्वत के उत्तर प्रज्ञप्तौ — बहुसमतुल्यौ यावत्, में हैरण्यवत क्षेत्र में दो प्रपात द्रह हैंतद्यथा—स्वर्णकूलप्रपातद्रहश्चैव, सुवर्णकूलप्रपातद्रह, रूप्यकूलप्रपातद्रह । रूप्यकूलप्रपातद्रहश्चैव । वे दोनों क्षेत्र प्रमाण की दृष्टि से सर्वथा सदृश हैं, यावत् वे लम्बाई, चोड़ाई, संस्थान और परिधि में एक-दूसरे का अतिक्रमण नहीं करते। ३०० जम्बूद्वीप द्वीप में मन्दर पर्वत के उत्तर में ऐरवत क्षेत्र में दो प्रपात द्रह हैंरक्तापातद्रह, रक्तवतीप्रपातद्रह | वे दोनों क्षेत्र प्रमाण की दृष्टि से सर्वथा सदृश हैं, यावत् वे लम्बाई, चौड़ाई, गहराई, संस्थान और परिधि में एकदूसरे का अतिक्रमण नहीं करते । ८४ प्रज्ञप्ती - बहुसमतुल्यौ यावत् तद्यथाशीतापातद्रहश्चैव शीतोदप्रपातद्रहरचैव । जम्बूद्वीपे द्वीपे मन्दरस्य पर्वतस्य उत्तरे रम्यके वर्षे द्वौ प्रपातद्रहौ प्रज्ञप्ती - बहुसमतुल्यौ यावत्, तद्यथा--- नरकान्तप्रपातद्रहरचैव, नारीकान्तप्रपातद्रहश्चैव । जम्बूद्वीपे द्वीपे मन्दरस्य पर्वतस्य उत्तरे ऐरवते वर्षे द्वौ प्रपात हौ प्रज्ञप्ती - बहुसमतुल्यौ यावत्, तद्यथारक्ताप्रपातद्रहश्चैव, रक्तवतीप्रपातद्रहश्चैव । महानदी -पदम् जम्बूद्वीपे द्वीपे मन्दरस्य पर्वतस्य दक्षिणे भरते वर्षे द्वे महानद्यौ प्रज्ञप्तेबहुसमतुल्ये यावत्, तद्यथागङ्गा चैव, सिन्धुश्चैव । For Private & Personal Use Only महानदी -पद ३०१. जम्बूद्वीप द्वीप में मन्दर पर्वत के दक्षिण में भरत क्षेत्र में दो महानदियां हैं - गंगा, सिन्धू । वे दोनों क्षेत्र प्रमाण की दृष्टि से सर्वथा सदृश हैं, यावत् वे लम्बाई, चौड़ाई, गहराई, संस्थान और परिधि में एक-दूसरे का अतिक्रमण नहीं करतीं । www.jainelibrary.org
SR No.003598
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Thanam Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1990
Total Pages1094
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_sthanang
File Size23 MB
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