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ठाणं (स्थान)
स्थान २ : सूत्र २८०-२८३ वटुंति आयाम-विक्खंभुच्चत्त- तद्यथा-तमिस्रगुहा चैव,
है। कालचक्र के परिवर्तन की दृष्टि से संठाण-परिणाहणं, तं जहा- खण्डक-प्रपातगुहा चैव।
उनमें नानात्व नहीं है। वे लम्बाई, चौड़ाई, तिमिसगुहा चेव,
तत्र द्वौ देवौ महद्धिको यावत् । ऊंचाई, संस्थान और परिधि में एक-दूसरे खंडगप्पवायगुहा चेव। पल्योपमस्थितिको परिवसतः, का अतिक्रमण नहीं करतीं। तत्थ णं दो देवा महिड्डिया जाव तद्यथा
वहां महान् ऋद्धि वाले यावत् एक पलिओवमद्वितीया परिवसंति, कृतमालकश्चैव, नृत्तमालकश्चैव । पल्योपम की स्थिति वाले दो देव रहते तं जहा
हैं-तमिस्रा में-कृतमालक देव और कयमालए चेव, गट्टमालए चेव।
खण्ड प्रपात में-नृत्तमालक देव। २८०. एरवए णं दीहवेयड्ड दो गुहाओ ऐरवते दीर्घवैताढ्ये द्वे गुहे प्रज्ञप्ते- २८०. ऐरवत के दीर्घ वैताढ्य पर्वत में तमिस्रा पण्णत्ताओ.—जाव, तं जहा- यावत्, तद्यथा
और खण्ड प्रपात नाम की दो गुफाएं हैं। कयमालए चेव, णट्टमालए चेव। कृतमालकश्चैव, नृत्तमालकश्चैव। वहां दो देव रहते हैं
तमिस्रा में-कृतमालक देव खण्ड प्रपात में-नृत्तमालक देव ।
कूड-पदं
कूट-पदम्
कूट-पद २८१. जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स जम्बूद्वीपे द्वीपे मन्दरस्य पर्वतस्य २८१. जम्बूद्वीप द्वीप में मन्दर पर्वत के दक्षिण
दाहिणेणं चुल्लहिमवंते वासहर- दक्षिणे क्षुल्लहिमवति वर्षधरपर्वते द्वे में क्षुल्लहिमवान् वर्षधर पर्वत के दो कूट पन्वए दो कूडा पण्णत्ता- कूटे प्रज्ञप्ते
[शिखर] हैं—क्षुल्लहिमवान् कूट और बहुसमतुल्ला जाव विक्खंभुच्चत्त- बहुसमतुल्ये यावत् विषकम्भोच्चत्व- वैश्रमण कूट। संठाण-परिणाहेणं, तं जहा- संस्थान- परिणाहेन, तद्यथा
वे दोनों क्षेत्र-प्रमाण की दृष्टि से सर्वथा चुल्ल हिमवंतकूडे चेव, क्षुल्लहिमवत्कूटञ्चैव,
सदृश हैं, यावत् वे लम्बाई, चौड़ाई, वेसमणकूडे चेव। वैश्रमणकूटञ्चैव।
ऊंचाई, संस्थान और परिधि में एक-दूसरे
का अतिक्रमण नहीं करते। २८२. जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स जम्बूद्वीपे द्वीपे मन्दरस्स पर्वतस्य दक्षिणे २८२. जम्बूद्वीप द्वीप में मन्दर पर्वत के दक्षिण
दाहिणे णं महाहिमवंते वासहर- महाहिमवति वर्षधरपर्वते द्वे कूटे में महाहिमवान् वर्षधर पर्वत के दो पव्वए दो कूडा पण्णत्ता—बहुसम- प्रज्ञप्ते—बहुसमतुल्ये यावत्, तद्यथा- कूट हैं—महाहिमवान् कूट, वैडूर्य कूट। तुल्ला जाव, तं जहा- महाहिमवत्कूटञ्चैव, वैडूर्यकूटञ्चव। वे दोनों क्षेत्र-प्रमाण की दृष्टि से सर्वथा महाहिमवंतकडे चेव,
सदृश हैं, यावत् वे लम्बाई, चौड़ाई, वेरुलियकूडे चेव।
ऊंचाई, संस्थान और परिधि में एक-दूसरे
का अतिक्रमण नहीं करते। २८३. एवं-णिसढे वासहरपव्वए दो एवम्-निषधे वर्षधरपर्वते द्वे कुटे २८३. जम्बूद्वीप द्वीप में मन्दर पर्वत के दक्षिण कूडा पण्णत्ता—बहुसमतुल्ला जाव, प्रज्ञप्ते-बहुसमतुल्ये यावत्, तद्यथा--
में निषध-वर्षधर पर्वत के दो कुट हैंतं जहा–णिसढकूड
निषधकूटञ्चैव, रुचकप्रभकूटञ्चैव। निषध कूट, रुचक प्रभ कूट। रुयगप्पभे चेव।
वे दोनों क्षेत्र-प्रमाण की दृष्टि से सर्वथा
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