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ठाणं (स्थान)
स्थान २: सूत्र २७६-२७६ २७६. जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स जम्बूद्वीपे द्वीपे मन्दरस्य पर्वतस्य दक्षिणे २७६. जम्बूद्वीप द्वीप में मन्दर पर्वत के दक्षिण
दाहिणे णं देवकुराए कुराए देवकुरौ कुरौ पूर्वापरस्मिन् पार्वे, में देवकुरु के पूर्व पार्श्व में सौमनस और पुव्वावरे पासे, एत्थ णं आस- अत्र अश्व-स्कन्धक-सदृशौ अर्धचन्द्र- पश्चिम पार्श्व में विद्युत्प्रभ नाम के दो क्खंधगसरिसा अद्धचंद-संठाण- संस्थान-संस्थितौ द्वौ वक्षस्कारपर्वतौ वक्षार पर्वत हैं। वे अश्वस्कंध के सदृश संठिया दो वक्खारपव्वया प्रज्ञप्तौ
(आदि में निम्न तथा अन्त में उन्नत) और पण्णत्ताबहुसमतुल्यौ यावत्, तद्यथा
अर्द्धचन्द्र के आकार वाले हैं। बहुसमतुल्ला जाव, तं जहा- सौमनसश्चैव, विद्युत्प्रभश्चैव । वे दोनों क्षेत्र-प्रमाण की दृष्टि से सर्वथा सोमणसे चेव विज्जुप्पभे चेव।
सदृश हैं, यावत् वे लम्बाई, चौड़ाई, ऊंचाई, गहराई, संस्थान और परिधि में
एक-दूसरे का अतिक्रमण नहीं करते। २७७. जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स जम्बूद्वीपे द्वीपे मन्दरस्य पर्वतस्य उत्तरे २७७. जम्बूद्वीप द्वीप में मन्दर पर्वत के उत्तर में
उत्तरे णं उत्तरकुराए कुराए उत्तरकुरौ कुरौ पूर्वापरस्मिन् पार्वे, उत्तरकुरु के पूर्व पार्श्व में गन्धमादन पुव्वावरे पासे, एत्थ णं आस- अत्र अश्व-स्कन्धक-सदृशौ अर्धचन्द्र- और पश्चिम पार्श्व में माल्यवत् नाम के क्खंधगसरिसा अद्धचंद-संठाण- संस्थान-संस्थितौ द्वौ वक्षस्कारपर्वतौ दो वक्षार पर्वत हैं। वे अश्वस्कंध के संठिया दो वक्खारपव्वया पण्णत्ता- प्रज्ञप्तौ-बहुसमतुल्यौ यावत्,
सदृश (आदि में निम्न तथा अन्त में बहुसमतुल्ला जाव, तं जहा- तद्यथा---
उन्नत) और अर्द्धचन्द्र के आकार वाले गंधमायणे चेव, मालवंते चेव। गन्धमादनश्चैव, माल्यवांश्चैव ।
वे दोनों क्षेत्र-प्रमाण की दृष्टि से सर्वथा सदृश हैं । यावत् वे लम्बाई, चौड़ाई, ऊंचाई, गहराई, संस्थान और परिधि में
एक-दूसरे का अतिक्रमण नहीं करते। २७८. जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स जम्बूद्वीपे द्वीपे मन्दरस्य पर्वतस्य उत्तर- २७८. जम्बूद्वीप द्वीप में दो दीर्घ वैताढ्य पर्वत हैं
उत्तर-दाहिणे णं दो दोहवेयड- दक्षिणे द्वौ दीर्घवैताढ्यपर्वतौ प्रज्ञप्तौ-- मन्दर पर्वत के दक्षिण भाग-भरत में। पव्वया पण्णत्ता—बहुसमतुल्ला बहुसमतुल्यौ यावत् तद्यथा
मन्दर पर्वत के उत्तर भाग-ऐरवत् में। जाव, तं जहाभारतश्चैव दीर्घवैताढ्यः,
वे दोनों क्षेत्र-प्रमाण की दृष्टि से सर्वथा भारहे चेव दीहवेयड्डे, ऐरवतश्चैव दीर्घवैताढ्यः ।
सदृश हैं, यावत् वे लम्बाई, चौड़ाई, एरवते चेव दोहवेयड्ड।
ऊंचाई, गहराई, संस्थान और परिधि में एक-दूसरे का अतिक्रमण नहीं करते।
गुहा-पदं
गुहा-पदम्
गुहा-पद २७६. भारहए णं दीहवेयड्ढे दो गुहाओ भारतके दीर्घवैताढ्ये द्वे गुहे प्रज्ञप्ते– २७६. भरत के दीर्घ वैताढ्य पर्वत में तमिस्रा पपणत्ताओ
बहुसमतुल्ये अविशेषे अनानात्वे और खण्ड प्रपात नाम की दो गुफाएं हैं। बहुसमतुल्लाओ अविसेस- अन्योऽन्यं नातिवर्तेते आयाम- वे दोनों क्षेत्र-प्रमाण की दृष्टि से सर्वथा मणाणलाओ अण्णमण्णं णाति- विष्कम्भोच्चत्व-संस्थान-परिणाहेन, सदृश हैं। उनमें कोई विशेष (भेद) नहीं
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