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ठाणं (स्थान)
१,२. आहो हि विउब्वियाविउव्वितेणं चेव अप्पाणेणं आता उलोगं जाणइ पास |
२००. दोहिं ठाणेह आता केवलकप्पं लोगं जाणइ पासइ, तं जहा - १. विउव्वितेणं चैव अप्पाणेणं आता केवलकप्पं लोगं जाणइ पासइ,
२. अविउध्वितेणं चैव अप्पाणेणं आता केवलकप्पं लोगं जाणइ पासइ ।
१,२. आहोहि विजव्विया विअव्वितेणं चैव अप्पाणेणं आता केवलकप्पं लोगं जाणइ पासइ ।°
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१२. अधोऽवधि विकृताऽविकृतेन चैव आत्मना आत्मा ऊर्ध्वलोकं जानाति पश्यति ।
अग्घाति, तं जहा
देसेण वि आया गंधाई अग्घाति, सव्वेणवि आया गंधाई अग्घाति ।
द्वाभ्यां स्थानाभ्यां आत्मा केवलकल्पं लोकं जानाति पश्यति, तद्यथा१. विकृतेन चैव आत्मना आत्मा केवलकल्पं लोकं जानाति पश्यति,
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२. अविकृतेन चैव आत्मना आत्मा केवलकल्पं लोकं जानाति पश्यति ।
देसेण सव्वेण पदं
देशेन सर्वेण पदम्
२०१. दोहि ठाणेहिं आया सद्दाई सुणेति, द्वाभ्यां स्थानाभ्यां आत्मा तं जहा - शृणोति तद्यथादेशेनापि आत्मा शब्दान् शृणोति, सर्वेणापि आत्मा शब्दान् शृणोति ।
देसेण वि आया सद्दाई सुणेति, सव्वेण वि आया सद्दाई सुणेति ।
१२. अधोऽवधि विकृताऽविकृतेन चैव आत्मना आत्मा केवलकल्पं लोकं जानाति पश्यति ।
देशेन सर्वेण पद
शब्दान् २०१. दो प्रकार से आत्मा शब्दों को सुनता
है—
शरीर के एक भाग से भी आत्मा शब्दों को सुनता है।
समूचे शरीर से भी आत्मा शब्दों को सुनता है।
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२०२. दोहिं ठाणेह आया रुवाई पास, द्वाभ्यां स्थानाभ्यां आत्मा रूपाणि २०२. दो प्रकार से आत्मा रूपों को देखता है—
तं जहा - देसेणवि आया रुवाई पासइ, Hoda आया रुवाई पसाइ ।
शरीर के एक भाग से भी आत्मा रूपों को देखता है ।
पश्यति, तद्यथा
देशेनापि आत्मा रूपाणि पश्यति, सर्वेणापि आत्मा रूपाणि पश्यति ।
स्थान २ : सूत्र १६६-२०३ अधोवधि वैक्रियशरीर का निर्माण करके या उसका निर्माण किए बिना भी अवधिज्ञान से ऊर्ध्वलोक को जानतादेखता है ।
२००. दो स्थानों से आत्मा सम्पूर्ण लोक को जानता-देखता है—
समूचे शरीर से भी आत्मा रूपों को देखता है।
२०३. दोहि ठाणेहि आया गंधाई द्वाभ्यां स्थानाभ्यां आत्मा गन्धान् २०३. दो प्रकार से आत्मा गंधों को सूंघता है—
शरीर के एक भाग से भी आत्मा गंधों को सूचता है।
समूचे शरीर से भी आत्मा गंधों को सूंघता है।
आजिघ्रति, तद्यथा
देशेनापि आत्मा गन्धान् आजिघ्रति, सर्वेणापि आत्मा गन्धान् आजिघ्रति ।
वैक्रियशरीर का निर्माण कर लेने पर आत्मा अवधिज्ञान से सम्पूर्ण लोक को जानता देखता है ।
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वैशिरीर का निर्माण किए बिना भी आत्मा अवधिज्ञान से सम्पूर्ण लोक को जानता देखता है।
अधोवध वैक्रियशरीर का निर्माण करके या उसका निर्माण किए बिना भी अवधिज्ञान से सम्पूर्ण लोक को जानतादेखता है।
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