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ठाणं (स्थान)
स्थान २ : सूत्र १६३-१९६ चेव अप्पाणेणं आया अहेलोगं वहतेन चैव आत्मना आत्मा अवधिज्ञानी) वैक्रिय आदि समुद्धात जाणइ पासइ। अधोलोकं जानाति पश्यति ।
करके या किए बिना भी अवधिज्ञान
से अधोलोक को जानता-देखता है। १६४. 'दोहि ठाहिं आया तिरियलोगं द्वाभ्यां स्थानाभ्यां आत्मा तिर्यग्लोकं १६४. दो स्थानों से आत्मा तिर्यग्लोक को जाणइ पासइ, तं जहा- जानाति पश्यति, तद्यथा
जानता-देखता है१. समोहतेणं चेव अप्पाणेणं १. समवहतेन चैव आत्मना आत्मा । वैक्रिय आदि समुद्घात करके आत्मा आया तिरियलोगं जाणइ पासइ, तिर्यग्लोकं जानाति पश्यति,
अवधिज्ञान से तिर्यग्लोक को जानता
देखता है। २.असमोहतेणं चेव अप्पाणणं २.असमवहतेन चैव आत्मना आत्मा वैक्रिय आदि समुद्घात न करके भी आया तिरियलोग जाणइ पासइ। तिर्यग्लोकं जानाति पश्यति । आत्मा अवधिज्ञान से तिर्यगलोक को
जानता-देखता है। १,२. आहोहि समोहतासमोहतेणं १,२. अधोऽवधिः समवहतासमवहतेन ।
अधोवधि (नियत क्षेत्र को जानने वाला चेव अप्पाणणं आया तिरियलोगं चैव आत्मना आत्मा तिर्यगलोक अवधिज्ञानी) वैक्रिय आदि समुद्घात जाणइ पासइ। जानाति पश्यति ।
करके या किए बिना भी अवधिज्ञान
से तिर्यगलोक को जानता-देखता है। १६५. दोहि ठाणेहिं आया उडलोगं द्वाभ्यां स्थानाभ्यां आत्मा ऊर्ध्वलोकं १६५. दो स्थानों से आत्मा ऊर्ध्वलोक को जाणइ पासइ, तं जहा- जानाति पश्यति, तद्यथा
जानता-देखता है। १. समोहतेणं चेव अप्पाणेणं आया १. समवहतेन चैव आत्मना आत्मा । वैक्रिय आदि समुद्घात करके आत्मा उड्डलोगं जाणइ पासइ, ऊर्ध्वलोकं जानाति पश्यति,
अवधिज्ञान से ऊर्ध्वलोक को जानता
देखता है। २. असमोहतेणं चेव अप्पाणेणं २. असमवहतेन चैव आत्मना आत्मा
वैक्रिय आदि समुद्घात न करके भी आया उड्डलोगं जाणइ पासइ। ऊर्ध्वलोकं जानाति पश्यति ।
आत्मा अवधिज्ञान से ऊर्ध्वलोक को
जानता-देखता है। १,२. आहोहि समोहतासमोहतेणं १,२. अधोऽवधिः समवहतासमवहतेन अधोवधि (नियत क्षेत्र को जानने वाला चेव अप्पाणेणं आया उड्डलोगं चैव आत्मना आत्मा ऊर्ध्वलोकं जानाति अवधिज्ञानी) वैक्रिय आदि समुद्घात जाणइ पासइ। पश्यति।
करके या किए बिना भी अवधिज्ञान
से ऊर्ध्वलोक को जानता-देखता है। १६६. दोहि ठाणेहि आया केवलकप्पं द्वाभ्यां स्थानाभ्यां आत्मा केवलकल्पं १६६. दो स्थानों से आत्मा सम्पूर्ण लोक का लोगं जाणइ पासइ, तं जहा- लोकं जानाति पश्यति, तद्यथा
जानता-देखता है१. समोहतेणं चेव अप्पाणेणं १. समवहतेन चैव आत्मना आत्मा
वैक्रिय आदि समुद्घात करके आत्मा आया केवलकप्पं लोगं जाणइ केवलकल्पं लोकं जानाति पश्यति,
अवधिज्ञान से सम्पूर्ण लोक को जानतापासइ,
देखता है२. असमोहतेणं चेव अप्पाणेणं २. असमवहतेन चैव आत्मना
वैक्रिय आदि समुद्घात न करके भी आया केवलकप्पं लोगं जाणइ आत्मा केवलकल्पं लोकं जानाति
आत्मा अवधिज्ञान से सम्पूर्ण लोक को
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