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ठाणं (स्थान)
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स्थान १० : टि० ३१
१. जनपद सत्य २. सम्मत सत्य ३. स्थापना सत्य ४. नाम सत्य ५. रूप सत्य ६. प्रतीत्य सत्य ७. व्यवहार सत्य ८. भाव सत्य ६. योग सत्य १०. औपम्य सत्य।
१. आर्यों ! किसी जनपद के निवासी पानी को 'नीरु' (कन्नड़) कहते हैं और किसी जनपद के निवासी पानी को 'तण्णी' (तमिल) कहते हैं।
आर्यो ! नीरु और तण्णी के अर्थ दो नहीं है। केवल जनपद के भेद से ये शब्द दो हैं। पानी को नीरु और तण्णी कहना जनपद सत्य है।
२. आर्यो ! कमल और मेंढक-दोनों कीचड़ में उत्पन्न होते हैं, फिर भी कमल को पंकज कहा जाता है, मेंढक को नहीं कहा जाता।
आर्यों ! जिस अर्थ के लिए जो शब्द रूढ़ होता है वही उसके लिए प्रयुक्त होता है। आर्यों ! यह सम्मत सत्य है।
३. आर्यो ! एक वस्तु में दूसरी वस्तु का आरोपण किया जाता है। शतरंज के मोहरों को हाथी, ऊंट, वजीर आदि कहा जाता है । आर्यो! यह स्थापना सत्य है।
४, आर्यों ! किसी का नाम लक्ष्मीपति है और किसी का नाम अमरचन्द । लक्ष्मीपति को भीख मांगते और अमरचन्द को मरते देखा है।
आर्यो ! गुणविहीन होने पर भी किसी व्यक्ति या वस्तु को उस नाम से अभिहित किया जाता है। आर्यो ! यह नाम सत्य है।
५. आर्यो ! एक स्त्रीवेषधारी पुरुष को स्त्री, नट वेषधारी पुरुष को नट और साधु वेषधारी पुरुष को साधु कहा जाता है।
आर्यो ! किसी रूप विशेष के आधार पर व्यक्ति को वही मान लेना रूप सत्य है।
६. आर्यों ! अनामिका अंगुलि कनिष्टा की अपेक्षा से बड़ी है और वह मध्यमा की अपेक्षा से छोटी है। छोटा होना और बड़ा होना सापेक्ष है। पत्थर लोह से हल्का है और काठ से भारी है। हल्का होना और भारी होना सापेक्ष है। एक वस्तु की तुलना में छोटी-बड़ी या हल्की-भारी होती है। आर्यो ! यह प्रतीत्य सत्य है।
७. आर्यो ! कहा जाता है-पर्वत जलता है, मार्ग जाता है, गांव आ गया । परन्तु यथार्थ में ऐसा कहां होता है। आर्यो ! क्या पर्वत कभी जलता है ? क्या मार्ग चलता है ? क्या गांव एक स्थान से दूसरे स्थान पर आता है ?
आर्यों ऐसा नहीं होता। पर्वत पर रहा ईधन जलता है, मार्ग पर चलने वाला पथिक जाता है, गांव की ओर जाने वाला मनुष्य वहां पहुंच जाता है । आर्यों! यह व्यवहार सत्य है।
८. आर्यो ! प्रत्येक वस्तु में अनन्त पर्याय होते हैं। कुछ पर्याय व्यक्त होते हैं और शेष अव्यक्त। काल-मर्यादा के अनुसार व्यक्त पर्याय अव्यक्त हो जाते हैं और अव्यक्त पर्याय व्यक्त । वस्तु का प्रतिपादन व्यक्त पर्याय के आधार पर किया जाता है। दूध सफेद है । क्या उसमें दूसरे वर्ण नहीं हैं ? उसमें पांचों वर्ण हैं। किन्तु वे सब व्यक्त नहीं है। केवल श्वेत वर्ण व्यक्त है। इसलिए कहा जाता है कि दूध सफेद है । आर्यो ! यह भाव सत्य है।
6. आर्यो ! एक आदमी इधर से आ रहा है। दूसरा उसे पुकारता है-'दंडी' इधर आओ, और वह आ जाता है। ऐसा क्यों होता है ? उसके पास दंड है, इसलिए वह अपने आप को दंडी समझता है , दूसरे भी उसे दंडी समझते हैं आर्यो ! यह योग सत्य है।
१०. आर्यो ! कहा जाता है-आंखें कमल के समान हैं। आँखें विकस्वर हैं और कमल भी विकस्वर होता है। इस समान धर्म के आधार पर आंखों को कमल से उपमित किया गया है । आर्यो! यह औपम्य सत्य है।
तत्वार्थवातिक में दस प्रकार के सत्य-सदभावों के नाम और विवरण प्राप्त हैं। उनमें क्रमभेद, नामभेद और व्याख्या
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