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तइयो उद्देसो : तीसरा उद्देशक
मूल
संस्कृत छाया
हिन्दी अनुवाद
वनस्पति-पद २१६. भंते ! वृक्ष कितने प्रकार के प्रज्ञप्त हैं ?
वणस्सइ-पदं
वनस्पति-पदम् २१६. कतिविहा णं भंते! रुक्खा कतिविधा भदन्त ! रूक्षाः प्रज्ञसाः? पण्णता? गोयमा ! तिविहा रुक्खा पण्णत्ता, तं गौतम ! त्रिविधाः रूक्षाः प्रज्ञप्ताः, तद्यथाजहा-संखेज्जजीविया, असंखेज्ज- संख्येयजीविताः, असंख्येयजीविताः जीविया,अणंतजीविया॥
अनन्तजीविताः।
गौतम ! वृक्ष तीन प्रकार के प्रज्ञाप्त हैं, जैसेसंख्येय जीव वाले. असंख्येय जीव वाले, अनंत जीव वाले।
२१७. से किं तं संखेज्जजीविया? संखेज्जजीविया अणेगविहा पण्णत्ता, तं जहाताल तमाले तक्कलि, तेयलि साले य सालकल्लाणे। सरले जावति केयइ, कंदलि तह चम्मरुक्खे य॥१॥ भुयरुक्ख हिंगुरुक्खे, लवंगरुक्खे य होति बोधव्वे । पूयफली
खज्जूरी, बोधव्वा नालिएरी य॥२॥ जे यावण्णे तहप्पगारा। सेत्तं संखेज्जजीविया॥
अथ किं तत् संख्येयजीविताः ? संख्येय. २१७. भंते ! संख्येय जीव वाले वृक्ष कौनसे जीविताः अनेकविधाः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा
ताल तमालः तक्कलि, गौतम ! संख्येय जीव वाले वृक्ष अनेक तेतलि सालौ च सालकल्याणः। प्रकार के प्रज्ञप्त हैं, जैसे-ताल, तमाल, सरलः जावई केतकी, अरणी, तेतली, साल, साल-कल्याण, कन्दली तथा चर्मरुक्षश्च।।१।। चीड़, जावित्री, केवड़ा, कंदली तथा भुजरुक्षः हिंगरूक्षः, भोजपत्र, अखरोट, हींग का वृक्ष, लवंग लवङ्गरूक्षः च भवति बोधव्यः। वृक्ष, सुपारी, खजूर, नारियल। ये तथा इस पूगफली खजूरी, प्रकार के अन्य संख्येय जीविक वृक्ष हैं।
बोधव्याः नालिकेरी चा२।। ये यावदन्ये तथाप्रकाराः। ते तत् संख्येयजीविताः।
२१८. से किं तं असंखेज्जजीविया ?
असंखेज्जजीविया दुविहा पण्णत्ता, तं जहा–एगट्ठिया य बहुबीयगा य॥
अथ किं तत् असंख्येयजीविताः? २१८. असंख्येय जीव वाले वृक्ष कौनसे हैं ? असंख्येयजीविताः द्विविधाः प्रज्ञप्ताः, असंख्येय जीव वाले वृक्ष दो प्रकार के प्रज्ञप्त तद्यथा-एकास्थिकाः च बहुबीजकाः च हैं, जैसे-एक अस्थि वाले, बहुबीज वाले।
२१९.से किं तं एगट्ठिया? एगट्ठिया अणेगविहा पण्णत्ता, तं जहानिबंब जंबु कोसंब, साल अंकोल्ल पीलु सेलू य। सल्लइ मोयइ मालुय, बउय पलासे करंजे य॥१॥ पुत्तंजीवयरिटे, विभोलए हरडए य भल्लाए। उंबभरिया
खीरिणि, बोधब्वे धायइ पियाले॥२॥
अथ किं तत् एकास्थिकाः? एकास्थिकाः अनेकविधाः प्रज्ञप्ताः, तयथानिम्बाम्रौ जम्बू कोशामः, सालः अंकोठः पीलुः सेलुश्च! सल्लकी मोचकी मालुकः, बकुलः पलाशः करुजश्च||१|| पुत्रंजीवकारिष्टौ, विभीतकः हरीतकी च भल्लातः। उंबभरिया
क्षीरिणी, बोधव्यः धातकी प्रियालः॥२॥
२१९. एक अस्थि वाले वृक्ष कौनसे हैं ? एक अस्थि वाले वृक्ष अनेक प्रकार के प्रजप्त हैं। जैसेनीम, आम, जामुन, कोसम, साल, ढेरा अंकोल, पीलू, लिसोड़ा, सलइ, शाल्मली, काली तुलसी, मौलसरी ढाक, कंटक करंज, जिया-पोता, रीठा, बेहड़ा, हरड़, भिलावा, वायविडंग, गंभीरी, धाय, चिरौंजी, पोई, महानीम-वकायन, निर्मली, सीसम, विजयसार, जायफल, सुलतान, चंपा, सेहूंड कायफल, अशोक।
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