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श.८ : उ.२ : सू. १३९-१४५
भगवई
गोयमा! दसविहा लद्धी पण्णत्ता, तं गौतम ' दशविधा लब्धिः प्रज्ञप्ता, तद्यथा- जहा-१. नाणलन्द्री २.दसणलद्धी १.ज्ञानलब्धिः , २. दर्शनलब्धिः३. चरित्र३. चरित्तलद्धी ४. चरित्ताचरित्त-लद्धी लब्धिः ४. चरित्राचरित्रलब्धिः ५. दान५. दाणलद्धी ६.लाभलद्धी ७. भोगलन्द्री । लब्धिः ६. लाभलब्धिः ७. भोगलब्धिः ८. ८. उवभोगलद्धी ९. वीरियलद्धी उपभोगलब्धिः ०. वीर्यलब्धिः १०. १०. इंदियलद्धी।
इन्द्रियलब्धिः।
गौतम! लब्धि दस प्रकार की प्रज्ञप्त है. जैसे-१. ज्ञानलब्धि २. दर्शनलब्धि ३. चरित्रलब्धि ४. चरित्राचरित्रलब्धि ५. दानलब्धि ६. लाभलब्धि ७. भोगलब्धि ८. उपभोगलब्धि ९. वीर्यलब्धि १०. इन्द्रियलब्धि।
१४०. नाणलद्धी णं भंते! कतिविहा ज्ञानलब्धिः कतिविधा प्रज्ञप्ला? पण्णत्ता? गोयमा! पंचविहा पण्णत्ता, तं गौतम! पञ्चविधा प्रज्ञप्ता, तद्यथाजहा-आभिणिबोहियनाणलद्धी जाव। आभिनिबोधिकज्ञानलब्धिः यावत् केवलकेवलनाणलब्दी।
ज्ञानलब्धिः ।
१४०. भंते ! ज्ञानलब्धि कितने प्रकार की प्रज्ञप्त है? गौतम ! पांच प्रकार की प्रज्ञप्त है, जैसेआभिनिबोधिकज्ञानलब्धि यावत् केवलज्ञानलब्धि।
१४१. अण्णाणलद्धी णं भंते! कतिविहा अज्ञानलब्धिः भदन्त! कतिविधा प्रज्ञप्ला? पण्णत्ता? गोयमा! तिविहा पण्णत्ता, तं जहा- गौतम' त्रिविधा प्रज्ञप्ता. तद्यथा-मतिमइअण्णाणलद्धी, सुयअण्णाण-लद्धी, अज्ञानलब्धिः श्रुत-अज्ञानलब्धिः, विभङ्ग- विभंगनाणलद्धी॥
ज्ञानलब्धिः ।
१४१. भंते! अज्ञानलब्धि कितने प्रकार की प्रज्ञप्त है? गौतम! तीन प्रकार की प्रज्ञप्त है. जैसेमतिअज्ञानलब्धि, श्रुतअज्ञानलब्धि और विभंगज्ञानलब्धि।
१४२. दसणलद्धी णं भंते! कतिविहा दर्शनलब्धिः भदन्त! कतिविधा प्रज्ञाला? पण्णता? गोयमा! तिविहा पण्णत्ता, तं जहा- गौतम' त्रिविधा प्रज्ञप्ता, तद्यथा-सम्यगसम्मदंसणलद्धी, मिच्छादसण-लद्धी, दर्शनलब्धिः, मिथ्यादर्शनलब्धिः, सम्यगसम्मामिच्छादसणलद्धी॥
मिथ्यादर्शनलब्धिः।
१४२. भंते! दर्शनलब्धि कितने प्रकार की प्रज्ञप्त है? गौतम! तीन प्रकार की प्रज्ञप्स है, जैसेसम्यग्दर्शनलब्धि, मिथ्यादर्शनलब्धि और सम्यगमिथ्यादर्शनलब्धि।
१४३. चरित्तलद्धी णं भंते! कति-विहा चरित्रलब्धिः भदन्त! कतिविधा प्रज्ञप्ता? पण्णता? गोयमा !पंचविहा पण्णत्ता,तं जहा- गौतम! पञ्चविधा प्रज्ञप्ता, तद्यथा- सामाइयचरित्तलदी, छेदोवट्ठा- सामायिकचरित्रलब्धिः, छेदोपस्थापवणिचरित्तलन्द्धी, परिहारविसुद्धि- निकचरित्रलब्धिः. परिहारविशुद्धिचरित्रचरित्तलद्धी, सुहमसंपरायचरित्त-लद्धी, लब्धिः, सूक्ष्मसम्पराय- चरित्रलब्धिः, अहक्खायचरित्तलन्द्धी॥
यथाख्यातचरित्रलब्धिः।
१४३. भंते! चरित्रलब्धि कितने प्रकार की प्रज्ञप्त है? गौतम ! वह पांच प्रकार की प्रज्ञाप्त है. जैये-- सामायिकचरित्रलब्धि, छेदोपस्थापनीयचरित्रलब्धि, परिहारविशुद्धिचरित्रलब्धि. सूक्ष्मसम्परायचरित्रलब्धि, यथाख्यातचरित्रलब्धि।
१४४. चरित्ताचरित्तलद्धी णं भंते! चरित्राचरित्रलब्धिः भदन्त! कतिविधा १४४. भंते! चरित्राचरित्रलब्धि कितने प्रकार कतिविहा पण्णता? प्रज्ञप्ता?
की प्रज्ञप्त है? गोयमा! एगागारा पण्णत्ता। एवं जाव। गौतम! एकाकारा प्रज्ञप्ता। एवं यावत गौतम ! वह एक ही आकार वाली प्रज्ञा है। उवभोगलद्धी एगागारा पण्णत्ता॥ उपभोगलब्धिः एकाकारा प्रज्ञप्ला।
इस प्रकार यावत उपभोगलब्धि एक ही आकार वाली प्रज्ञाप्त है।
१४५. वीरियलद्धी णं भंते ! कति-विहा वीर्यलब्धिः भदन्त ! कतिविधा प्रज्ञासा ? पण्णत्ता? गोयमा! तिविहा पण्णत्ता, तं जहा- गौतम! त्रिविधा प्रज्ञप्ता। तद्यथाबालवीरियलद्धी, पंडियवीरिय-लद्धी, बालवीर्यलब्धिः, पण्डितवीर्यलब्धिः बालपंडियवीरियलद्धी॥
बालपण्डितवीर्यलब्धिः।
१४५. भंते! वीर्यलब्धि कितने प्रकार की प्रज्ञप्त है? गौतम ! वह तीन प्रकार की प्रज्ञप्त है, जैसेबालवीर्यलब्धि, पण्डितवीर्यलब्धि और बालपण्डितवीर्यलब्धि।
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