________________
भगवई
श. ८ : उ. २ : सू. ९५ ९५. जइ देवकम्मासीविसे किं भवण- यदिदेवकर्माशीविषः किं भवनवासिदेव- ९५. यदि देव कर्मआशीविष है तो क्या वासिदेवकम्मासीविसे जाव वेमाणिय- कर्माशीविषः यावत्वैमानिकदेवकर्माशी- भवनवासी देव कर्मआशीविष है यावत देवकम्मासीविसे? विषः?
वैमानिक देव कर्म आशीविष है? गोयमा! भवणवासिदेवकम्मासी-विसे, गौतम! भवनवासिदेवकर्माशीविषः वान- गौतम! भवनवासीदेव कर्मआशीविष है, वाणमंतरजोतिसियवेमाणिय देवकम्मा- मन्तरज्योतिष्क-वैमानिकदेवकर्माशीवि- वानमन्तर, ज्योतिष्क और वैमानिक देव सीविसे वि। षोऽपि।
कर्म आशीविष भी हैं। जइ भवणवासिदेवकम्मासीविसे किं यदि भवनवासिदेवकर्माशीविषः किम् यदि भवनवासी देव कर्मआशीविष है तो असुरकु मारभवणवासिदेवकम्मासी- असुरकुमारभवनवासिदेव · कर्माशीविषः क्या असुरकुमार भवनवासीदेव विसे जाव थणियकुमारभवणवासि. यावत् स्तनितकुमारभवनवासिदेवकर्मा- कर्मआशीविष है यावत् स्तनितकुमार देवकम्मावीसिसे? शीविषः?
भवनवासी देव कर्मआशीविष है? गोयमा! असुरकुमारभवणवासि- गौतम! असुरकुमारभवनवासिदेवकर्माशी- गौतम! असुरकुमार भवनवासी देव कर्म देवकम्मासीविसे वि जाव थणिय- विषोऽपि यावत् स्तनितकुमारभवन- आशीविष भी है यावत् स्तनितकुमार कुमारभवणवासिदेवकम्मासीविसे वि। वासिदेवकर्माशीविषोऽपि।
भवनवासी देव कर्मआशीविष भी है। जइ असुरकुमारभवणवासिदेव-कम्मा- यदि असुरकुमारभवनवासिदेवकर्माशीविषः यदि असुरकुमार भवनवासी देव कर्म सीविसे किं पज्जत्ताअसुर-कुमार- किं पर्याप्तकासुरकुमारभवनवासिदेव-कर्मा- . आशीविष है तो क्या पर्याप्त असुरकुमार भवणवासिदेवकम्मासीविसे? अपज्जत्ता- शीविषः? अपर्याप्तकासुरकुमारभवनवासि- भवनवासी देव कर्मआशीविष है? अथवा असुरकुमारभवणवासिदेव-कम्मासीविसे? देवकर्माशीविषः?
अपर्याप्त असुरकुमार भवनवासी देव कर्म
आशीविष है? गोयमा! नो पज्जत्ताअसुरकुमार गौतम! नो पर्याप्तकासुरकुमारभवनवासि- गौतम! पर्याप्त असुरकुमार भवनवासी देव भवणवासिदेवकम्मासीविसे, अपज्जत्ता- देव-कर्माशीविषः, अपर्याप्तकासुरकुमार- कर्मआशीविष नहीं है, अपर्याप्त असुर असुरकु मारभवणवासिदेव-कम्मा- भवन-वासिदेवकर्माशीविषः। एवं यावत् कुमार भवनवासी देव कर्मआशीविष है। सीविसे। एवं जाव थणिय कुमाराणं। स्तनित-कुमाराणाम्।
इस प्रकार यावत् स्तनितकुमार की
वक्तव्यता। जइ वाणमंतरदेवकम्मासीविसे किं यदि वानमन्तरदेवकर्माशीविषः किं पिशाच- यदि वानमन्तर देव कर्मआशीविष हैं तो पिसायवाणमंतरदेवकम्मासीविसे? एवं वानमन्तरदेवकर्माशीविषः एवं सर्वेषाम् क्या पिशाच वानमन्तर देव कर्म आशीविष सव्वेसिं अपज्जत्तगाणं| जोइ-सियाणं अपर्याप्तकानाम्। ज्योतिष्काणां सर्वेषाम् है? इस प्रकार सब अपर्याप्तक वानमन्तर सव्वेसिं अपज्जत्तगाण। अपर्याप्ताकानाम्।
देवों की वक्तव्यता। सब अपर्याप्सक
ज्योतिष्क देवों की वक्तव्यता। जइ वेमाणियदेव कम्मासीविसे किं यदिवैमानिकदेवकर्माशीविषःकिं कल्पोपक- यदि वैमानिक देव कर्मआशीविष है तो क्या कप्पोवावे माणियदेवकम्मासीविसे? वैमानिकदेवकर्माशीविषः? कल्पातीतक- कल्पोपगवैमानिक देव कर्म आशीविष है? कप्पातीयावेमाणियदेवकम्मासीविसे? वैमानिकदेवकर्माशीविषः?
अथवा कल्पातीतग-वैमानिक देव कर्म
आशीविष है? गोयमा! कप्पोवावेमाणियदेव-कम्मा- गौतम! कल्पोपकवैमानिकदेवकर्माशी- गौतम! कल्पोपगवैमानिक देव कर्मसीविसे, नो कप्पातीया-वेमाणिय- विषः, नो कल्पातीतकवैमानिकदेवकर्माशी- आशीविष है, कल्पातीतगवैमानिक देव देवकम्मासीविसे। विषः।
कर्मआशीविष नहीं है। जइ कप्पोवावेमाणियदेवकम्मा-सीविसे यदि कल्पोपकवैमानिकदेवकर्माशी-विषः यदि कल्पोपग-वैमानिक देव कर्मआशीकिं सोहम्मकप्पोवा-वेमाणिदेवकम्मा- किं सौधर्मकल्पोपकवैमानिकदेवकर्माशी- विष है तो क्या सौधर्म कल्पोपगवैमानिक सीविसे जाव अच्चुयकप्पोवा- विषः यावत् अच्युतकल्पोपक-वैमानिक- देव कर्मआशीविष यावत् अच्युत वेमाणियदेवकम्मासी-विसे? देवकर्माशीविषः?
कल्पोपगवैमानिक देव कर्मआशीविष है? गोयमा! सोहम्मकप्पोवावेमाणिय- गौतम! सौधर्मकल्पोपकवैमानिकदेव- गौतम! सौधर्म कल्पोपगवैमानिकदेव देवकम्मासीविसे वि जाव सहस्सा- काशी-विषोऽपि यावत् सहस्रार- कर्मआशीविष भी है यावत् सहस्रार रकप्पोवावेमाणियदेवकम्मासीविसे वि, कल्पोपकवैमानिक-देवकर्माशीविषोऽपि, कल्पोपगवैमानिक देव कर्म आशीविष भी है नो आणयकप्पोवावेमाणिय देवकम्मा- नो आनतकल्पोपक-वैमानिकदेवकर्माशी- आनत कल्पोपगवैमानिक देव कर्मआशीसीविसे जाव नो अच्चुय-कप्पोवा- विषः यावत् नो अच्युतकल्पोपक- विष नहीं है यावत् अच्युत कल्पोपग
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org