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भगवई
डेविड, बोम आदि वैज्ञानिकों की यह निश्चित धारणा बन चुकी है कि सूक्ष्म पारमाणविक प्रक्रिया में चैतन्य (ज्ञाता) का हस्तक्षेप परिलक्षित होता है। भौतिक परिणमनों के साथ चैतन्य का प्रभाव जुड़ा हुआ है-इस प्रकार की अवधारणा आधुनिक विज्ञान के अन्तर्गत प्रवेश पा चुकी है। यद्यपि चैतन्य (जीव- प्रयोग) परिणाम के ८५. सेवं भंते! सेवं भंते! त्ति ।।
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श. ८ : उ. १ : सू. ८५ स्वरूप का निर्धारण अभी संभव नहीं बनता है. फिर भी सैद्धान्तिक आधार पर आधुनिक विज्ञान जीव प्रयोग परिणाम और विस्रसा परिणाम दोनों परिणमनों को स्वीकार करता है, ऐसा कहा जा सकता है।
तदेवं भदन्त ! तदेवं भदन्त ! इति ।
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८५. भन्ते ! वह ऐसा ही है. भन्ते! वह ऐसा
ही है।
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