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________________ श.८ : उ. १ : सू. ८०-८२ २८ भगवई ८०. जइ पयोगपरिणया कि मणपयोगपरिणया? वइपयोग-परिणया? कायपयोगपरिणया? गोयमा! मणपयोगपरिणया वा, एवं एक्कासंयोगो, दुयासंयोगो, तियासंयोगो य भाणियव्यो॥ यदि प्रयोगपरिणतानि किं मनःप्रयोग- परिणतानि? वाक्प्रयोगपरिणतानि? काय- प्रयोगपरिणतानि? गौतम! मनःप्रयोगपरिणतानि वा. एवम् एककसंयोगः, द्विककसंयोगः, त्रिककसंयोगश्च भणितव्यः। ८०. यदि प्रयोगपरिणत हैं तो क्या मनप्रयोगपरिणत हैं? वचनप्रयोगपरिणत हैं? कायप्रयोगपरिणत है ? गौतम ! मनप्रयोगपरिणत भी हैं, इस प्रकार एक सांयोगिक, द्विक सांयोगिक और त्रिक सांयोगिक भंग वक्तव्य हैं। ८१. जइ मणपयोगपरिणया कि यदि मनःप्रयोगपरिणतानि किं सत्यमनः- सच्चमणपयोगपरिणया? असच्च- प्रयोगपरिणतानि? असत्यमनःप्रयोगमणपयोगपरिणया? सच्चमोसमण- परिणतानि? सत्यमृषामनःप्रयोगपरिणपयोगपरिणया? असच्चमोसमण- तानि? असत्यमषामनःप्रयोगपरिणतानि? पयोगपरिणया? गोयमा! सच्चमणपयोगपरिणया वा गौतम! सत्यमनःप्रयोगपरिणतानि वा जाव असच्चामोसमणपयोगपरिणया यावत् असत्यमषामनःप्रयोगपरिणतानि वा, वा, अहवेगे सच्चमणपयोगपरिणए, दो। अथवैकं सत्यमनःप्रयोगपरिणतं, द्वे मोसमणपयोगपरिणया। एवं दुवा- मृषामनः -प्रयोगपरिणते। एवं द्विककसंयोगो, तियासंयोगो भाणियव्वो एत्थ संयोगः, त्रिककसंयोगः भणितव्यः अत्रापि वि तहेव जाव अहवेगे तंससंठाणपरिणए, तथैव यावत् अथवैकं व्यस्रसंस्थानएगे चउरंससंठाणपरिणए, एगे आयत- परिणतम्. एकं चतुरस्रसंस्थानपरिणतम्, संठाणपरिणए। एकम् आयत-संस्थानपरिणतम्। ८१. यदि मनप्रयोगपरिणत हैं तो क्या सत्यमनप्रयोगपरिणत हैं? असत्य मनप्रयोगपरिणत हैं? सत्यमृषा-मनप्रयोगपरिणत हैं? असत्यामृषामन- प्रयोगपरिणत हैं? गौतम 'सत्यमनप्रयोगपरिणत भी हैं यावत् असत्यामृषामनप्रयोगपरिणत भी हैं। अथवा एक सत्यमनप्रयोगपरिणत है, दो मृषामनप्रयोगपरिणत हैं। इस प्रकार द्विकसांयोगिक और त्रिकसांयोगिक भंग वक्तव्य है। यहां द्रव्यत्रय के अधिकार में भी द्रव्यद्वय के अधिकार (सूत्र ७३ से ७८) के समान वक्तव्यता यावत् अथवा एक त्र्यससंस्थान परिणत है. एक चतुरस्रसंस्थान परिणत है, एक आयत संस्थान परिणत है। चत्तारि दव्वाई पड़च्च पोग्गल- चत्वारि द्रव्याणि प्रतीत्य पुदगल- चार द्रव्यों की अपेक्षा पुद्गल परिणति. परिणति-पदं परिणति-पदम ८२. चत्तारि भंते! दव्वा किं चत्वारि भदन्त ! द्रव्याणि किं प्रयोग- ८२. भन्ते! चार द्रव्य क्या प्रयोगपरिणत पयोगपरिणया? मीसापरिणया? परिणतानि ? मिश्रकपरिणतानि? विखसा- हैं? मिश्रपरिणत है ? विखसापरिणत है ? वीससापरिणया? परिणतानि? गोयमा! १. पयोगपरिणया वा २. गौतम ! १.प्रयोगपरिणतानि वा २. मिश्रक- गौतम! १. वे प्रयोगपरिणत भी हैं २. मिश्रमीसापरिणया वा ३. वीससा-परिणया परिणतानि वा ३. विस्रसापरिणतानि वा ४. परिणत भी है ३. विसापरिणत भी हैं ४. वा ४. अहवेगे पयोग-परिणए, तिण्णि अथवैकं प्रयोगपरिणतम, त्रीणि मिश्रक अथवा एक प्रयोगपरिणत है, तीन मिश्रमीसा-परिणया ५. अहवेगे पयोग- परिणतानि ५. अथवैकं प्रयोगपरिणतम् . परिणत हैं ५. अथवा एक प्रयोगपरिणत है, परिणए, तिण्णि वीससापरिणया ६. वीणि विखसापरिणतानि ६. अथवा द्वे तीन विस्रयापरिणत हैं ६. अथवा दो अहवा दो पयोगपरिणया, दो प्रयोग-परिणते, द्वे मिश्रकपरिणते ७. प्रयोगपरिणत हैं, दो मिश्रपरिणत है ७. मीसापरिणया ७. अहवा दो पयोग- अथवा द्वे प्रयोगपरिणते. द्वे विस्रसापरिणते अथवा दो प्रयोगपरिणत हैं. दो विस्रसा परिणया, दो वीससापरिणया ८. अहवा ८. अथवा त्रीणि प्रयोगपरिणतानि, एक परिणत है ८. अथवा तीन प्रयोगपरिणत हैं, तिण्णि पयोगपरिणया, एगेमीसा- मिश्रकपरिणतम् ९. अथवा त्रीणि एक मिश्रपरिणत है . अथवा तीन परिणए १. अहवा तिण्णि पयोग- प्रयोगपरिणतानि, एक विस्रसापरिणतम् प्रयोगपरिणत हैं. एक विस्रसापरिणत है परिणया, एगे वीससापरिणए १०. १०. अथवैकं मिश्रक-परिणतम्, त्रीणि १०. अथवा एक मिश्रपरिणत है. तीन अहवेगे मीसापरिणए, तिण्णि वीससा- विस्रसापरिणतानि ११. अथवा २ विससापरिणत हैं ११. अथवा दो परिणया ११. अहवा दो मीसा-परिणया, मिश्रकपरिणते. द्वे विसापरिणते १२. मिश्रपरिणत है. दो विस्रयापरिणत है १२. दो वीससा-परिणया १२. अहवा तिण्णि अथवा त्रीणि मिश्रकपरिणतानि, एकं अथवा तीन मिश्रपरिणत है, एक विस्रसा मीसापरि-णया, एगे वीससापरिणए विखसापरिणतम १३. अथवैकं प्रयोग- परिणत है १३. अथवा एक प्रयोगपरिणत Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003595
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 03 Bhagvai Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2005
Total Pages600
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size15 MB
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