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भगवई
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कायस्स पदेसे, नोअधम्मत्थिकाए धर्मास्तिकायस्य प्रदेशः, नो अधर्मास्तिअधम्मत्थिकायस्स देसे, अधम्मत्थि- कायः अधर्मास्तिकायस्य देशः, अधर्मास्तिकायस्स पदेसे, अद्धासमए।
कायस्य प्रदेशः, अद्धासमयः।
श. ११ : उ. १० : सू. १०४-१०८ देश है। धर्मास्तिकाय का प्रदेश है। अधर्मास्तिकाय नहीं है, अधर्मास्तिकाय का देश है। अधर्मास्तिकाय का प्रदेश है। अध्वा समय है।
१०५. तिरियलोगखेत्तलोगस्स णं भंते! तिर्यकलोकक्षेत्रलोकस्य भदन्त ! एकस्मिन् १०५. भंते! क्या तिर्यकलोक क्षेत्रलोक के एगम्मि आगासपदेसे किं जीवा? आकाशप्रदेशे किं जीवाः?
एक आकाश प्रदेश में जीव हैं ? एवं जहा अहेलोगखेत्तलोगस्स तहेव, एवं यथा अधोलोकक्षेत्रलोकस्य तथैव एवम् इस प्रकार अधोलोक क्षेत्रलोक की एवं उद्दलोगखेत्तलोगस्स वि, नवरं- ऊर्ध्वलोकक्षेत्रलोकस्य अपि, नवरम् वक्तव्यता, इसी प्रकार ऊर्ध्वलोक अद्धासमयो नत्थि! अरूवी चउब्विहा।। अद्धासमयः नास्ति। अरूपिणः चतुर्विधा। क्षेत्रलोक की वक्तव्यता. इतना विशेष
है-अध्वा समय वक्तव्य नहीं है। अरूपी के चार प्रकार हैं।
१०६. लोगस्स णं भंते! एगम्मि आगास- लोकस्य भदन्त ! एकस्मिन् आकाश-प्रदेशे १०६. भंते! क्या लोक के एक आकाशपदेसे किं जीवा? किं जीवाः?
प्रदेश में जीव हैं? जहा अहेलोगखेत्तलोगस्स एगम्मि यथा अधोलोकक्षेत्रलोकस्य एकस्मिन् । अधोलोक क्षेत्रलोक के एक आकाश-प्रदेश आगासपदेसे॥ आकाशप्रदेशे।
की भांति वक्तव्यता।
१०७. अलोगस्स णं भंते! एगम्मि अलोकस्य भदन्त ! एकस्मिन् आकाश- आगासपदेसे-पुच्छा।
प्रदेशे-पृच्छा । गोयमा! नो जीवा, नो जीवदेसा, नो गौतम! नो जीवाः, नो जीवदेशाः, नो जीवप्पदेसा, नो अजीवा नो अजीवदेसा, जीवप्रदेशाः नो अजीवाः, नो अजीवदेशाः, नो अजीवप्पेदसा; एगे अजीवदव्वदेसे नो अजीवप्रदेशाः, एकः अजीवद्रव्यदेशः अगरुयलहुए अणंतेहिं अगरुय- अगुरुलघुकः अनन्तैः अगुरुलघुकगुणैः लहुयगुणेहिं संजुते सव्वागासस्स संयुक्तः सर्वाकाशस्य अनन्तभागोनः। अणंतभागूणे॥
१०७. भंते! अलोक के एक आकाश-प्रदेश में जीव हैं-पृच्छा। गौतम ! जीव नहीं है, जीव के देश नहीं हैं. जीव के प्रदेश नहीं हैं, अजीव नहीं हैं, अजीव के देश नहीं हैं. अजीव के प्रदेश नहीं है। एक अजीव द्रव्य का देश है, अगुरुलधु है, अनन्त अगुरुलघु गुणों से संयुक्त है और सर्वाकाश का अनंत भाग
न्यून है।
भाष्य १. सूत्र १०४-१०७
द्रष्टव्य :१०/१-७का भाष्य। १०८. दव्वओ णं अहेलोगखेत्तलोए द्रव्यतः अधोलोकक्षेत्रलोके अनन्तानि १०८. अधोलोक क्षेत्रलोकमें द्रव्यतः अनन्त
अणंता जीवदव्वा, अणंता अजीव- जीवद्रव्याणि, अनन्तानि अजीवद्रव्याणि, जीव द्रव्य, अनन्त अजीव द्रव्य, अनन्त दव्वा, अणंता जीवाजीवदव्वा। एवं । अनन्तानि जीवाजीवद्रव्याणि। एवं जीव-अजीव द्रव्य हैं। इसी प्रकार तिरियलोयखेत्तलोए वि, एवं उड्ड- तिर्यगलोकक्षेत्रलोके अपि, एवम् ऊर्ध्व- तिर्यक्लोक क्षेत्रलोक में भी, इसी प्रकार लोयखेत्तलोए वि (एवं लोए वि?)। लोकक्षेत्रलोके अपि (एवं लोके अपि?)। ऊर्ध्वलोक क्षेत्रलोक में भी (इसी प्रकार दव्वओ णं अलोए नेवत्थि जीव-दव्वा, द्रव्यतः अलोके नैव सन्ति जीवद्रव्याः नैव लोक में भी) में जीव द्रव्य नहीं हैं, अर्जाव नेवत्थि अजीवदव्वा, नेवत्थि जीवा- सन्ति अजीवद्रव्याणि, नैव सन्ति द्रव्य नहीं हैं। जीव-अजीव द्रव्य नहीं हैं। जीवदव्वा, एगे अजीव-दव्वदेसे जीवाजीवद्रव्याणि, एकः अजीव-द्रव्यदेशः वह एक अजीव द्रव्य का देश है। अगरुयलहुए अणंतेहिं अगरुय- अगुरुलधुकः अनन्तैः अगुरु-लघुकगुणैः । अगुरुलधु है, अनन्त अगुरुलघु गुणों से लहयगुणेहिं संजुत्ते सव्वा-गासस्स संयुक्तः सर्वाकाशस्य अनन्तभागोनः । संयुक्त है और सर्वाकाश का अनन्त भाग अणंतभागूणे।
न्यून है। कालओ णं अहेलोयखेत्तलोए न कयाइ कालतः अधोलोकक्षेत्रलोके न कदापि कालतः अधोलोक क्षेत्रलोक कभी नहीं नासि न कयाइ न भवइ, न कयाइ न नासीत् न कदापि न भवति, न कदापि न था, कभी नहीं है और कभी नहीं होगा, भविस्सइ-भविंसु य, भवइ य, भविष्यति-अभूत् च, भवति च. भविष्यति ऐसा नहीं है-वह था, है. और होगा-वह
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