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________________ भगवई पयोगपरिणति-पदं प्रयोगपरिणति-पदम् ४४. जइ पयोगपंरिणए किं मण- यदि प्रयोगपरिणतं किं मनःप्रयोगपयोगपरिणए? वइपयोगपरिणए? । परिणतम? वाक्प्रयोगपरिणतम् ? कायकायपयोग परिणए? प्रयोगपरिणतम् ? गोयमा! मणपयोगपरिणए वा, गौतम ! मनःप्रयोगपरिणतं वा, वाकप्रयोगवइपयोगपरिणए वा, कायपयोग- परिणतं वा, कायप्रयोगपरिणतं वा। परिणए वा॥ श. ८ : उ. १ : सू. ४४-४८ प्रयोगपरिणति-पद ४४. यदि प्रयोगपरिणत है तो क्या मनप्रयोगपरिणत है? वचनप्रयोगपरिणत है? अथवा कायप्रयोगपरिणत है? गौतम! वह मनप्रयोगपरिणत है अथवा वचनप्रयोगपरिणत है अथवा कायप्रयोग परिणत है। मनप्रयोग परिणति-पद १५. यदि मनप्रयोगपरिणत है तो क्या सत्य मनप्रयोगपरिणत है? मृषामनप्रयोगपरिणत है? सत्यामृषामनप्रयोगपरिणत है ? अथवा असत्यामृषामनप्रयोगपरिणत मणपयोगपरिणति-पदं मनःप्रयोगपरिणति-पदम् ४५. जइ मणपयोगपरिणए किं सच्च- यदि मनःप्रयोगपरिणतं किं सत्यमनः- मणपयोगपरिणए? मोसमणपयोग- प्रयोगपरिणतम् ? मृषामनःप्रयोगपरिणतम् ? परिणए? सच्चामोसमणपयोग- सत्यमृषामनःप्रयोगपरिणतम् ? असत्यापरिणए? असच्चामोसमणपयोग- मृषामनःप्रयोगपरिणतम् ? परिणए? गोयमा! सच्चमणपयोगपरिणए वा, गौतम! सत्यमनःप्रयोगपरिणतं वा, मोसमणपयोगपरिणए वा, सच्चा- मृषामनः प्रयोगपरिणतं वा, सत्यमृषामनःमोसमणपयोगपरिणए वा, असच्चा- प्रयोगपरिणतं वा, असत्यामृषामनःमोसमणपयोगपरिणए वा॥ प्रयोगपरिणतं वा। है? गौतम! वह सत्यमनप्रयोगपरिणत है अथवा मृषामनप्रयोगपरिणत है अथवा सत्यामृषामनप्रयोगपरिणत है अथवा असत्यामृषामनप्रयोगपरिणत है। ४६. जइ सच्चमणपयोगपरिणए किं यदि सत्यमनःप्रयोगपरिणतं किं आरम्भ- ४६. यदि सत्यमनप्रयोगपरिणत है तो क्या आरंभसच्चमणपयोगपरिणए?अणारंभ- सत्यमनःप्रयोगपरिणतम्? अनारम्भ- आरम्भ सत्यमनप्रयोगपरिणत है? सच्चमणपयोगपरिणए? सारंभसच्च- सत्यमनःप्रयोगपरिणतम्? सारम्भसत्यमनः अनारंभ सत्यमनप्रयोगपरिणत है? मणपयोगपरिणए? असारंभसच्च- प्रयोगपरिणतम्? असारम्भसत्यमनः- सारम्भ सत्यमनप्रयोगपरिणत है? मणपयोगपरिणए? समारंभसच्च- प्रयोगपरिणतम्? समारम्भसत्यमनःप्रयोग- असारम्भ सत्यमनप्रयोगपरिणत है? मणपयोगपरिणए? असमारंभसच्च- परिणम? असमारम्भसत्यमनःप्रयोग- समारम्भ सत्यमनप्रयोगपरिणत है ? अथवा मणपयोगपरिणए? परिणतम् ? असमारम्भ सत्यमनप्रयोगपरिणत है? गोयमा!आरंभसच्चमणपयोगपरिणए वा गौतम ! आरम्भसत्यमनःप्रयोगपरिणतं वा । गौतम! आरम्भ सत्यमनप्रयोगपरिणत है जाव असमारंभसच्चमणपयोग-परिणए यावत् असमारम्भसत्यमनःप्रयोगपरिणतं अथवा यावत् असमारम्भसत्यमनप्रयोगवा॥ वा। परिणत है। ४७. जइ मोसमणपयोगपरिणए किं आरंभमोसमणपयोगपरिणए? एवं जहा सच्चेणं तहा मोसेण वि। एवं सच्चामोसमणपयोगेण वि। एवं असच्चामोसमणपयोगेण वि।। यदि मृषामनःप्रयोगपरिणतं किं आरम्भमृषामनःप्रयोगपरिणतम्? एवं यथा सत्येन तथा मृषा अपि। एवं सत्यामषामनःप्रयोगेण अपि। एवं असत्यामृषामनःप्रयोगेण अपि। ४७. यदि मृषामनप्रयोगपरिणत है तो क्या आरम्भमृषा मनप्रयोगपरिणत है? इस प्रकार जैसे सत्यमनप्रयोगपरिणत की वक्तव्यता है वैसे ही मृषामनप्रयोगपरिणत की वक्तव्यता। इसी प्रकार सत्यमृषामनप्रयोगपरिणत की और इसी प्रकार असत्यमृषामनप्रयोगपरिणत वक्तव्यता। वइपयोगपरिणति-पदं ४८. जइ बइपयोगपरिणए किं सच्च- वइपयोगपरिणए? मोसवइपयोग- परिणए? एवं जहा मणपयोगपरिणए तहा वाक्प्रयोगपरिणति-पदम् वचनप्रयोग परिणति-पद यदि वाक्प्रयोगपरिणतः किं सत्यवाक- ४८. यदि वचनप्रयोग परिणत है तो क्या प्रयोगपरिणतः? मृषावाक्प्रयोगपरिणतः? सत्यवचनप्रयोगपरिणत है? मृषा वचनप्रयोगपरिणत है? एवं यथा मनःप्रयोगपरिणतः तथा वाक- इस प्रकार जैसे मनप्रयोगपरिणत की Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003595
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 03 Bhagvai Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2005
Total Pages600
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size15 MB
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