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सत्तमो उद्देसो : सातवां उद्देशक
मूल ५३. कण्णिए णं भंते! एगपत्तए किं एगजीवे? अणेगजीवे? एवं चेव निरवसेसं भाणियव्वं ॥
संस्कृत छाया
हिन्दी अनुवाद कर्णिकः भदन्त ! एकपत्रकः किम् एक- ५३. भंते! एकपत्रक कर्णिका क्या एक जीव जीवः? अनेकजीवः?
वाली है? अनेक जीव वाली है? एवं चैव निरवशेषं भणितव्यम्।
इस प्रकार पूर्ववत् सम्पूर्ण रूप से वक्तव्य
५४. सेवं भंते! सेवं भंते! त्ति।
तदेवं भदन्त ! तदेवं भदन्त ! इति।
५४. भंते! वह ऐसा ही है। भंते! वह ऐसा ही
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