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पंचमो उद्देसो : पांचवां उद्देशक
मूल
संस्कृत छाया
हिन्दी अनुवाद ४९. नालिए णं भंते! एगपत्तए किं एग- नालिकः भदन्त! एकपत्रकः किम् ४९. भंते ! एकपत्रक नाड़ीक क्या एक जीव जीवे? अणेगजीवे? एकजीवः ? अनेकजीवः?
वाला है ? अनेक जीव वाला है? एवं कुंभिउद्देसगवत्तव्वया निरवसेसं । एवम् कुम्भिकोद्देशकवक्तव्यता निरवशेषा इस प्रकार कुंभी उद्देशक की वक्तव्यता भाणियव्वा॥ भणितव्या।
सम्पूर्ण रूप से कथनीय है।
५०. सेवं भंते! सेवं भंते! ति॥
तदेवं भदन्त ! तदेवं भदन्त ! इति।
५०. भंते! वह ऐसा ही है। भंते! वह ऐसा ही
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