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श. ११ : उ. १ : सू. ११
कम्मस्स किं उदीरगा ? अणुदीरगा ?
गोयमा ! नो अणुदीरगा, उदीरए वा, उदीरगा वा । एवं जाव अंतराइयस्स, नवरं वेदणिज्जाउ एस अट्ठ भंगा ॥
कर्म ज्ञानावरणीय यावत् आन्तरायिक कर्म (आयुष्य वर्जित) आयुष्य कर्म
कर्म
ज्ञानावरणीय यावत् आन्तरायिक कर्म उत्पल जीव
१. सूत्र ६-११
एक बहुत प्रसिद्ध सूक्त है-मन एव मनुष्याणां कारणं बंधमोक्षयोः । जैन दर्शन का सिद्धान्त इससे भिन्न है। उत्पल वनस्पतिकायिक जीव है। उसके मन नहीं होता फिर भी कर्म बंध होता है। कर्म बंध का हेतु मन नहीं किंतु कषाय है, राग-द्वेष है। कषाय का अस्तित्व वनस्पतिकायिक जीवों में भी होता है। उनका कषाय व्यक्त नहीं है। संभवतः इसी दृष्टि से प्रश्न पूछा गया - उत्पल के जीव ज्ञानावरण आदि आठ कर्मों का बंध करते हैं अथवा नहीं करते ? भगवान महावीर का उत्तर था वे ज्ञानावरण आदि आठ कर्मों बंधक (एकवचन) बंधक (बहुवचन) बंधक है। बंधक हैं।
कर्म ज्ञानावरणीय यावत् आन्तरायिक कर्म
कर्म
ज्ञानावरणीय यावत् आन्तरायिक कर्म
( वेदनीय आयुष्यवर्जित)
वेदनीय और आयुष्य कर्म
१. बंधक भी है।
५.
बंधक है।
६. बंधक है।
वेदक (एकवचन)
वेदक है।
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सातवेदक
(एकवचन)
१. सातावेदक है।
५. है ।
६. है ।
उदय (एकवचन) उदय वाले है।
उदीरक (एकवचन)
उदीरक है।
३७२
किम उदीरकाः ? अनुदीरकाः ?
१. उदीरक है। ५. है । ६. है ।
गौतम ! नो अनुदीरकाः, उदीरकः वा, उदीरकाः वा । एवं यावत् आन्तरायिकस्य, नवरं - वेदनी- यायुष्कयोः अष्ट भङ्गाः ।
भाष्य
३. बंधक भी हैं।
७. बंधक हैं।
८. बंधक हैं। वेदक (बहुवचन) वेदक हैं।
सातवेदक
(बहुवचन)
३. सातावेदक हैं।
७. हैं।
८. हैं।
उदय (बहुवचन) उदय वाले हैं।
का बंध करते हैं।
वे जीव जैसे कर्म के कर्ता हैं, वैसे कर्म के वेदक भी हैं। उनके कर्म का उदय भी होता है और उसकी उदीरणा भी करते हैं। वेदन का अर्थ है अनुक्रम ( कालावधि पूर्ण होने पर) अथवा उदीरणा के द्वारा उदीरित कर्म का अनुभव करना । उदय का अर्थ है- अनुक्रम ( कालावधि पूर्ण होने पर) से कर्म का अनुभव करना।
प्रथम पत्र की अपेक्षा एक वचन और उससे आगे होने वाले पत्रों की अपेक्षा बहुवचन का प्रयोग किया गया है। एक वचन और बहुवचन के आधार पर इनके आठ-आठ भंग बनते हैं। देखें यंत्र
अबंधक (एकवचन)
उदीरक (बहुवचन) उदीरक हैं।
भगवई
उदीरक- उदीरणा करने वाले हैं ? अनुदीरक हैं ?
गौतम ! अनुदीरक नहीं हैं? उदीरक है अथवा उदीरक है। इस प्रकार यावत् आंतरायिक की वक्तव्यता, इतना विशेष है- वेदनीय और आयुष्य के आठ विकल्प वक्तव्य हैं।
२. अबंधक भी है।
५. अबंधक है।
७. अबंधक है।
अवेदक (एकवचन) अवेदक नहीं है।
असातवेदक (एकवचन)
२. असातावेदक भी है।
५. है ।
७. है।
अनुदय (एकवचन)
अनुदीरक (एकवचन) उदीरक है।
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अबंधक (बहुवचन) अबंधक नहीं है।
४. अबंधक भी है।
७. अबंधक हैं।
८. अबंधक हैं।
असातवेदक
( बहुवचन) ४. सातावेदक है।
६. हैं।
८. हैं।
अनुदय बहुवचन) अनुदय वाले नहीं।
१. उदीरक हैं।
२. उदीरक भी हैं। ५. है ।
४. अनुदारक भी हैं।
५. हैं।
६. हैं।
६. हैं।
७. है ।
८. हैं।
१. भ. वृ. ११ ८-१० वेदनं अनुक्रमोदितस्य उदीरणोदीरितस्य वा कर्म्मणोऽनुभवः, उदयश्चानुक्रमोदितस्यैवेति वेदकत्वप्ररूपणेपि भेदेनोदयित्वप्ररूपणामिति ।
अनुदीरक (बहुवचन) अनुदीरक नहीं है।
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