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श. १० : उ. १ : सू. ५,६
भगवई
(ऊर्ध्व) और तमा (अधो दिशा) ज्ञातव्य
५. इंदा णं भंते! दिसा किं १. जीवा २. इन्द्रा भदन्त ! दिशा किं १. जीवा २. जीवदेसा ३. जीवपदेसा ४. अजीवा ५. जीवदेशा ३. जीवप्रदेशा ४. अजीवा ५. अजीवदेसा ६. अजीवपदेसा?
अजीवदेशा ६. अजीवप्रदेशा?
गोयमा! जीवा वि, जीवदेसा वि, गौतम! जीवा अपि, जीवदेशा अपि, जीव- जीवपदेसा वि, अजीवा वि, अजीवदेसा प्रदेशा अपि। अजीवा अपि, अजीवदेशा वि, अजीवपदेसा वि।
अपि, अजीवप्रदेशा अपि। जे जीवा ते नियमा एगिदिया बेइंदिया ये जीवाः ते नियमात एकेन्द्रियाः द्वीन्द्रियाः । तेइंदिया चउरिंदिया पंचिं-दिया, त्रीन्द्रियाः चतुरिन्द्रियाः पञ्चेन्द्रियाः अनिअणिंदिया।
न्द्रियाः। जे जीवदेसा ते नियमा एगिदियदेसा जाव ये जीवदेशाः ते नियमात् एकेन्द्रियदेशाः अणिंदियदेसा।
यावत् अनिन्द्रियदेशाः। जे जीवपदेसा ते नियमा एगिदिय-पदेसा ये जीवप्रदेशाः ते नियमात एकेन्द्रियप्रदेशाः बेइंदियपदेसा जाव अणिंदिय-पदेसा। यावत् अनिन्द्रियप्रदेशाः।
५. भंते ! ऐन्द्री दिशा क्या १. जीव है? २. जीव देश है? ३. जीव प्रदेश है? ४. अजीव है ? ५. अजीव देश है? ६. अजीव प्रदेश है? गौतम ! ऐन्द्री दिशा जीव भी है, जीव देश भी है, जीव प्रदेश भी है. अजीव भी है, अजीव देश भी है, अनीव प्रदेश भी है। जो जीव है, वे नियमतः एकेन्द्रिय, द्वीन्द्रिय, त्रीन्द्रिय, चतुरिन्द्रिय, पंचेन्द्रिय और अनिन्द्रिय हैं। जो जीव देश है, वे नियमतः एकेन्द्रिय-देश यावत अनिन्द्रिय-देश हैं। जो जीवप्रदेश हैं, वे नियमतः एकेन्द्रियप्रदेश, द्वीन्द्रियप्रदेश यावत् अनिन्द्रियप्रदेश हैं। जो अजीव हैं वे दो प्रकार के प्रज्ञप्त हैं, जैसे-रूपी-अजीव, अल्पा-अजीव। जो रूपी- अजीव है, वे चार प्रकार के प्रजप्स हैं, जैसे-स्कंध, स्कंध-देश, स्कन्धप्रदेश, परमाणु-पुद्गल। जो अरूपी-अजीव हैं. वे सात प्रकार के प्रज्ञप्त हैं, जैसे१. धर्मास्तिकाय नहीं हैं. धर्मास्तिकाय का देश है, २. धर्मास्तिकाय के प्रदेश है ३. अधर्मास्तिकाय नहीं है. अधर्मास्तिकाय का देश है ४. अधर्मास्ति-काय के प्रदेश हैं ५. आकाशास्तिकाय नहीं है, आकाशास्तिकाय का देश है ६. आकाशास्तिकाय के प्रदेश हैं ७. अध्यासमय है,
जे अजीवा ते दुविहा पण्णत्ता, तं जहा- ये अजीवाः ते द्विविधाः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा-- रूविअजीवा य, अरूवि-अजीवा य। रुपि-अजीवाः च, अरूपि-अजीवाः च। जे रूविअजीवा ते चउन्विहा पण्णत्ता, तं ये रूपिअजीवाः ते चतुर्विधाः प्रज्ञप्ताः, तद् जहा-खंधा, खंधदेसा, खंधपदेसा, यथा-स्कन्धाः, स्कन्धदेशाः. स्कन्धपरमाणुपोग्गला।
प्रदेशाः, परमाणुपुदलाः। जे अरूविअजीवा ते सत्तविहा पण्णत्ता, ये अरूपिअजीवाः ते सप्तविधाः प्रज्ञप्ताः, तं जहा
तद् यथा१. नोधम्मत्थिकाए धम्मत्थिकायस्स १. नो धर्मास्तिकायः धर्मास्ति-कायस्य देसे २. धम्मत्थिकायस्स पदेसा ३. नो- देशः २. धर्मास्तिकायस्य प्रदेशाः ३. नोअधम्मत्थिकाए अधम्मत्थि-कायस्स अधर्मास्तिकायः अधर्मास्तिकायस्य देश: देसे ४. अधम्मत्थिकायस्स पदेसा ५. ४. अधर्मास्तिकायस्य प्रदेशाः ५. नो नोआगासत्थिकाए आगासत्थि-कायस्स आकाशास्तिकायः आकाशास्तिकायस्य देसे ६. आगासत्थि-कायस्स पदेसा ७. देशः ६. आकाशास्तिकायस्य प्रदेशाः ७. अद्धासमए॥
अद्धासमयः।
६. अग्गेयी णं भंते! दिसा किं जीवा, आग्नेयी भदन्त! दिशा किं जीवा, ६. भंते! आग्नेयी दिशा क्या जीव है? जीवदेसा, जीवपदेसा-पुच्छा। जीवदेशा, जीवप्रदेशा--पृच्छा।
जीवदेश है ? जीवप्रदेश है ? पृच्छा। गोयमा! नो जीवा, जीवदेसा वि, गौतम! नो जीवा, जीवदेशा अपि, जीव- गौतम! जीव नहीं है, जीव-देश भी है. जीवपदेसा वि अजीवा वि, अजीवदेसा प्रदेशा अपि, अजीवा अपि, अजीवदेशा जीव-प्रदेश भी है, अजीव भी है, अजीववि, अजीवपदेसा वि। अपि, अजीवप्रदेशा अपि।
देश भी है, अजीव-प्रदेश भी है। जे जीवदेसा ते नियमा एगिदिय-देसा, ये जीवदेशाः ते नियमात एकेन्द्रियदेशाः, जो जीवदेश हैं, वे नियमतः एकेन्द्रिय के अहवा एगिदियदेसा य बेइंदि-यस्स य अथवा एकेन्द्रियदेशाः च द्वीन्द्रियस्य च देश हैं, अथवा एकेन्द्रिय के देश हैं और देसे, अहवा एगिदियदेसा य बेइंदियस्स देशः, अथवा एकेन्द्रियदेशाः च द्वीन्द्रियस्य द्वान्द्रिय का देश है. अथवा एकेन्द्रिय के य देसा, अहवा एगि-दियदेसा य च देशाः अथवा एकेन्द्रियदेशा च द्वीन्द्रि- देश है और द्वीन्द्रिय के देश हैं अथवा बेइंदियाण य देसा। अहवा एगिदियदेसा यानां च देशाः। अथवा एकेन्द्रियदेशाः च एकेन्द्रिय के देश हैं और द्वीन्द्रियों के देश य तेइंदियस्स य देसे। एवं चेव तियभंगो त्रीन्द्रियस्य च देशः। एवं चैव त्रिकभंगः हैं। अथवा एकेन्द्रिय के देश हैं और भाणि-यव्वो। एवं जाव अणिंदियाणं भणितव्यः। एवं यावत् अनिन्द्रियाणां त्रीन्द्रिय का देश है। इसी प्रकार तीन
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