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भगवई
१४. देवपंचिंदियपयोगपरिणयाणं पुच्छा । गोयमा ! चउव्विहा पण्णत्ता, तं जहाभवणावासिदेवपंचिदियपयोग-परिणया, एवं जाव वेमाणिया ||
१५. भवणवासिदेवपंचिंदियपयोग
परिणयाणं पुच्छा । गोयमा ! दसविहा पण्णत्ता, तं जहा - असुरकुमारदेवपंचिंदियपयोगपरिणया जाव थणियकुमारदेवपंचिंदियपयोगपरिणया ||
१६. एवं एएणं अभिलावेणं अट्ठविहा वाणमंतरा पिसाया जाव गंधव्वा । जोतिसिया पंचविहा पण्णत्ता, तं जहाचंदविमाणजोतिसिया
जाव तारा
जाव कप्पा
विमाणजोतिसिय-देव-पंचिंदियपयोगपरिणया । वेमाणिया दुविहा पण्णत्ता, तं जहा- कप्पो वगवेमाणिया कप्पातीतगवेमाणिया । कप्पोवगवेमाणिया दुवालसविहा पण्णत्ता, तं जहासोहम्मकप्पोवगवेमाणिया अच्चुयकप्पोवगवेमाणिया । तीतगवेमाणिया दुविहा पण्णत्ता, तं जहा - गेवेज्जगकप्पातीतगवे माणिया, अणुत्तरो ववातियकप्पातीतगवेमाणिया । गेवेज्जग- कप्पातीतगवेमाणिया नवविहा पण्णत्ता, तं जहा - हेट्ठमहेट्ठिमगेवेज्जगकप्पातीतगवेमाणिया जाव उवरिमउवरिमगेवेज्जग- कप्पातीतगवेमाणिया ॥
१७. अणुत्तरोववातियकप्पातीतगवेमाणियदेवपंचिंदियपयोगपरिणया णं भंते! पोग्गला कतिविहा पण्णता ? गोयमा ! पंचविहा पण्णत्ता, तं जहाविजयअणुत्तरोववातियकप्पा-तीतगवेमाणियदेव पंचिंदियपयोग - परिणया जाव सव्वट्टसिद्ध- अणुत्तरोववातियकप्पातीतगवेमाणिय- देवपंचिंदियपयोगपरिणया ||
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देवपञ्चेन्द्रियप्रयोगपरिणतानां पृच्छा । गौतम! चतुर्विधाः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा - भवनवासिदेवपञ्चेन्द्रियप्रयोगपरिणताः, यावत् वैमानिकाः।
एवं
भवनवासिदेवपञ्चेन्द्रियप्रयोगपरिणतानां
पृच्छा। गौतम! दशविधाः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा-असुरकुमारदेवपञ्चेन्द्रियप्रयोगपरिणताः यावत् स्तनितकुमारदेवपञ्चेन्द्रियप्रयोगपरिणताः ।
एवम् एतेन अभिलापेन अष्टविधाः वानमन्तराः पिशाचाः यावत् गन्धर्वाः । ज्योतिष्काः पञ्चविधाः प्रज्ञप्ताः, तद्यथाचन्द्रविमानज्योतिष्काः यावत् ताराविमानज्योतिष्कदेवपञ्चेन्द्रियप्रयोगपरिणताः। वैमानिकाः द्विविधाः प्रज्ञप्ताः, तद्यथाकल्पोपगवैमानिकाः कल्पातीतकवैमानिकाः । कल्पोपगवैमानिकाः द्वादशविधाः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा-सौधर्मकल्पोपगवैमानिकाः यावत् अच्युतकल्पोपगवैमानिकाः । कल्पातीतक वैमानिकाः द्विविधाः प्रज्ञमाः, तद्यथा-ग्रैवेयककल्पातीतकवैमानिकाः, अनुत्तरौपपातिककल्पातीतकवैमानिकाः । ग्रैवेयककल्पातीतकवैमानिकाः नवविधाः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा-अधस्तनाधस्तनग्रैवेयककल्पानीतकवैमानिकाः यावत् उपरितनोपरितनग्रैवेयककल्पातीतकवैमानिकाः ।
अनुत्तरोपपातिककल्पातीतकवैमानिकदेवपञ्चेन्द्रियप्रयोगपरिणताः पुद्गलाः कतिविधाः प्रज्ञप्ताः ? गौतम! पञ्चविधाः प्रज्ञप्ताः, तद्यथाविजयानुत्तरौपपातिककल्पातीतकवैमानिकदेवपञ्चेन्द्रियप्रयोगपरिणताः यावत
भदन्त !
सर्वार्थ सिद्धानुत्तरोपपातिककल्पातीतकवैमानिकदेवपञ्चेन्द्रियप्रयोगपरिणताः ।
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श. ८ : उ. १ : सू. १४-१७ १४. देव पंचेन्द्रियप्रयोगपरिणत की पृच्छा । गौतम! देव पंचेन्द्रियप्रयोगपरिणत चार प्रकार के प्रज्ञप्त हैं, जैसे- भवनवासी देव पंचेन्द्रियप्रयोगपरिणत, इसी प्रकार यावत् वैमानिक देव पंचेन्द्रियप्रयोगपरिणत |
१५. भवनवासी देव पंचेन्द्रियप्रयोगपरिणत की पृच्छा ।
गौतम! भवनवासी देव पंचेन्द्रियप्रयोगपरिणत दस प्रकार के प्रज्ञप्त हैं, जैसेअसुरकुमार देव पंचेन्द्रियप्रयोगपरिणत यावत् स्तनितकुमार देव पंचेन्द्रियप्रयोगपरिणत |
१६. इसी प्रकार इस अभिलाप के अनुसार वानमंतर आठ प्रकार के प्रज्ञप्त हैं-पिशाच यावत् गंधर्व । ज्योतिष्क पांच प्रकार के प्रज्ञप्त हैं, जैसे- चन्द्रविमान ज्योतिष्क यावत् ताराविमान ज्योतिष्क देव पंचेन्द्रियप्रयोगपरिणत । वैमानिक दो प्रकार के प्रजप्त हैं, जैसे- कल्पोपगवैमानिक और कल्पातीतगवैमानिक | कल्पोपशवैमानिक बारह प्रकार के प्रज्ञप्त हैं, जैसे- सौधर्मकल्पोपगवैमानिक यावत अच्युतकल्पापरावैमानिक । कल्पातीतगवैमानिक दो प्रकार के प्रज्ञप्त है. जैसे-ग्रैवेयक कल्पातीतगवैमानिक. अनुत्तरौपपातिक कल्पातीतगवैमानिक । ग्रैवेयक कल्पातीतगवैमानिक नौ प्रकार के प्रज्ञप्त हैं, जैसे सबसे नीचे वाले ग्रैवेयक कल्पातीतगवैमानिक यावत सबसे ऊपर वाले ग्रैवेयक कल्पातीगवैमानिक |
१७. भन्ते ! अनुत्तरौपपातिक कल्पातीतगवैमानिक देव पंचेन्द्रियप्रयोगपरिणत पुद्गल कितने प्रकार के प्रज्ञप्त हैं ? गौतम! पांच प्रकार के प्रज्ञप्त हैं, जैसे- विजय अनुत्तरौपपातिक कल्पातीतरावैमानिक देव पंचेन्द्रियप्रयोगपरिणत यावत सर्वार्थसिद्ध अनुत्तरीपपातिक कल्पातीतगवैमानिक देव पंचेन्द्रियप्रयोगपरिणत |
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