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भगवई
श.८ : उ. १ : सू. ८-१३ खहचरतिरिक्ख-जोणियपंचिंदियपयोगपरिणया॥
तिर्यगयोनिकपञ्चेन्द्रियप्रयोग-परिणताः।
पंचेन्द्रियप्रयोगपरिणत. खेचर (नभचर) तिर्यक्योनिक पंचेन्द्रियप्रयोगपरिणत।
९. जलचरतिरिक्खजोणियपंचिंदियपयोगपरिणयाणं पुच्छा। गोयमा! दुविहा पण्णत्ता, तं जहासंमुच्छिमजलचरतिरिक्ख-जोणिय- पंचिंदियपयोगपरिणया,गब्भवक्कं - तियजलचर . तिरिक्खजोणियपंचिंदिय-पयोगपरिणया।।
जलचरतिर्यगयोनिकपञ्चेन्द्रियप्रयोग- ९. जलचर तिर्यक योनिक पंचेन्द्रियप्रयोगपरिणतानां पृच्छा।
परिणत की पृच्छा। गौतम! द्विविधाः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा- गौतम! जलचर तिर्यकयोनिक सम्मूर्च्छिमजलचरतिर्यगयोनिकपञ्चेन्द्रिय- पंचेन्द्रियप्रयोगपरिणत दो प्रकार के प्रज्ञप्त प्रयोगपरिणताः. गर्भव्युत्क्रान्तिकजलचर - हैं, जैसे-सम्मूर्छिम जलचर तिर्यकतिर्यगयोनिकपञ्चेन्द्रियप्रयोगपरिणताः। योनिक पंचेन्द्रियप्रयोगपरिणत, गर्भाव
क्रान्तिक जलचर तिर्यकयोनिक पंचेन्द्रिय प्रयोगपरिणत।
१०.थलचरतिरिक्खजोणियपंचिंदिय- स्थलचरतिर्यग्योनिकपञ्चेन्द्रियप्रयोग- १०. स्थलचर तिर्यक् योनिक पंचेन्द्रियपयोगपरिणयाणं पुच्छा। परिणतानां पृच्छा।
प्रयोगपरिणत की पृच्छा। गोयमा! दुविहा पण्णत्ता, तं जहा- गौतम! द्विविधाः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा-- गौतम! स्थलचर तिर्यकयोनिक पंचेन्द्रिय चउप्पयथलचरतिरिक्खजोणिपंचिंदिय- चतुष्पद स्थलचरतिर्यग्योनिकपञ्चेन्द्रिय- प्रयोग परिणत दो प्रकार के प्रज्ञप्त हैं, पयोगपरिणया, परिसप्पथलचरति- प्रयोगपरिणताः, परिसर्पस्थलचरतिर्यग- जैसे-चतुष्पद स्थलचर तिर्यक्योनिक रिक्खजोणियपंचिंदियपयोगपरिणया॥ योनिकपञ्चेन्द्रियप्रयोगपरिणताः। पंचेन्द्रियप्रयोगपरिणत, परिसर्प स्थलचर
तिर्यक्योनिक पंचेन्द्रियप्रयोगपरिणत।
११.चउप्पयथलचरतिरिक्खजोणिय- चतुष्पदस्थलचरतिर्यग्योनिकपञ्चेन्द्रिय- ११. चतुष्पद स्थलचर तिर्यक्योनिक पंचिंदियपयोगपरिणयाणं पुच्छा। प्रयोगपरिणतानां पृच्छा।
पंचेन्द्रियप्रयोगपरिणत की पृच्छा। गोयमा! दुविहा पण्णत्ता, तं जहा- गौतम! द्विविधाः प्रज्ञप्ताः. तद्यथा-सम्मू- गौतम! चतुष्पद स्थलचर तिर्यक्योनिक संमुच्छिमचउप्पयथलचरतिरिक्ख- च्छिमचतुष्पदस्थलचरतिर्यग्योनिकपञ्चे- पंचेन्द्रियप्रयोगपरिणत दो प्रकार के प्रज्ञप्त जोणियपंचिंदियपयोगपरिणया, न्द्रियप्रयोगपरिणताः, गर्भव्युत्क्रान्तिक- हैं, जैसे-सम्मूर्छिम चतुष्पद स्थलचर गब्भवक्वंतियचउप्पयथलचरतिरिक्ख- चतुष्पदस्थलचरतिर्यग्योनिकपञ्चेन्द्रिय- तिर्यक्योनिक पंचेन्द्रियप्रयोगपरिणत, जोणियपंचिंदियपयोगपरिणया।। प्रयोगपरिणताः।
गर्भावक्रान्तिक चतुष्पद तिर्यक् योनिक पंचेन्द्रियप्रयोगपरिणत।
१२. एवं एएणं अभिलावेणं परिसप्पा एवम् एतेन अभिलापेन परिसाः दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-उरपरिसप्पा य द्विविधाः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा-उरः- भुय-परिसप्पा य। उरपरिसप्पा दुविहा परिसर्पाश्च, भुजपरिसाश्च। उरःपरि. पण्णत्ता, तं जहा-समुच्छिमा य सर्पाः द्विविधाः प्रज्ञप्ताः, तद्यथागब्भवक्कंतिया य। एवं भुयपरिसप्पा सम्मूर्छिमाश्च गर्भव्यु-त्क्रान्तिकाश्च। एवं वि। एवं खयरा वि॥
भुजपरिसाः अपि। एवं खेचराः अपि।
१२. इसी प्रकार इस अभिलाप के अनुसार
परिसर्प दो प्रकार के प्रजप्त है, जैसे-उरपरिसर्प और भुज परिसर्प। उर परिसर्प दो प्रकार के प्रज्ञप्त हैं, जैसे-सम्मूर्छिम और गर्भावक्रान्तिक। इसी प्रकार भुज परिसर्प की वक्तव्यता। इसी प्रकार खेचर की वक्तव्यता।
१३. मणुस्सपंचिंदियपयोगपरिणयाणं मनुष्यपञ्चेन्द्रियप्रयोगपरिणतानां पृच्छा। पुच्छा ।
गोयमा! दुविहा पण्णत्ता, तं जहा- गौतम! द्विविधाः प्रज्ञप्ताः, तदयथा-सम्मूसमुच्छिममणुस्सपंचिंदियपयोग- र्छिममनुष्यपञ्चेन्द्रियप्रयोगपरिणताः, परिणया, गब्भवक्कंतियमणुस्स- गर्भव्युत्क्रान्तिकमनुष्यपञ्चेन्द्रियप्रयोगपंचिंदियपयोगपरिणया॥
परिणताः।
१३. मनुष्य पंचेन्द्रियप्रयोगपरिणत की पृच्छा। गौतम' मनुष्य पंचेन्द्रियप्रयोगपरिणत दो प्रकार के प्रजप्त हैं, जैसे-सम्मूर्च्छिम मनुष्य पंचेन्द्रियप्रयोगपरिणत, गर्भावक्रान्तिक मनुष्य पंचेन्द्रियप्रयोगपरिणत।
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