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________________ भगवई तेउकाइयएगिंदियपयोगपरिणया, बाउकाइयएगिंदियपयोगपरिणया, वणस्सइकाइयएगिंदियपयोगपरिणया ।। ४. पुढविकाइयएगिंदियपयोगपरिणया णं भंते । पोग्गला कतिविहा पण्णत्ता? गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता, तं जहासुहुमपुढविकाइयएगिंदियपयोग बादरपुढविकाइय य। आउ परिणया, एगिंदियपयोगपरिणया काइयएंगिदियपयोगपरिणया एवं चेव । एवं दुयओ भेदी जाव वणस्स इकाइया य ॥ ५. बेइंदियपयोगपरिणयाणं पुच्छा । गोयमा ! अणेगविहा पण्णत्ता । एवं तेइंदिय चउरिंदियपयोगपरिणया वि ॥ ६. पंचिंदियपयोगपरिणयाणं पुच्छा । गोयमा ! चउब्विहा पण्णत्ता, तं जहा - नेरइयपंचिंदियपयोगपरिणया, तिरिक्ख मणुस्सदेवपंचिंदिय पयोगपरिणया ॥ ७. नेरइयपंचिंदियपयोगपरिणयाणं पुच्छा। गोयमा ! सत्तविहा पण्णत्ता, तं जहा - रयणप्पभपुढविने रइयपंचिंदियपयोगपरिणया वि जाव अहेसत्तमपुढविनेरइय - पंचिंदियपयोग परिणया वि॥ तिरिक्खजोणियपंचिंदियपयोग परियाणं पुच्छा । गोयमा ! तिविहा पण्णत्ता, तं जहाजलचरतिरिक्ख जोणियपंचिंदिय पयोगपरिणया, जोणिय ८. Jain Education International थलचरतिरिक्खपंचिदियपयोगपरिणया, ७ स्कायिकै केन्द्रियप्रयोगपरिणताः, वायुकायिकै केन्द्रियप्रयोगपरिणताः वनस्पतिकायिकैकेन्द्रिय प्रयोगपरिणताः । पृथ्वीकायिकै केन्द्रियप्रयोगपरिणताः भदन्त ! पुद्गलाः कतिविधाः प्रज्ञताः ? गौतम : द्विविधाः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा-सूक्ष्मपृथ्वीकायिकै केन्द्रियप्रयोगपरिणताः, बादरपृथ्वीकायिकै केन्द्रियप्रयोग- परिणताश्च । अप्कायिकै केन्द्रियप्रयोगपरिणताः एवं चैव । एवं द्विकः भेदः यावत् वनस्पतिकायिकाश्च । द्वीन्द्रियप्रयोगपरिणतानां पृच्छा। गौतम! अनेकविधाः प्रज्ञप्ताः । एवं त्रीन्द्रियचतुरिन्द्रियप्रयोगपरिणताः अपि| पञ्चेन्द्रियप्रयोगपरिणतानां पृच्छा। गौतम ! चतुर्विधाः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा--- नैरयिक प्रयोगपरिणताः, तिर्यग्-मनुष्यदेवपञ्चेन्द्रियप्रयोगपरिणताः । नैरयिकपञ्चेन्द्रियप्रयोगपरिणतानां पृच्छा । गौतम! सप्तविधाः प्रज्ञप्ताः तद्यथारत्नप्रभ- पृथ्वीनैरयिकपञ्चेन्द्रियप्रयोगपरिणताः अपि यावत् अधः सप्तमपृथ्वीनैरयिकपञ्चेन्द्रिय-प्रयोगपरिणताः अपि । तिर्यग्योनिकपञ्चेन्द्रियप्रयोगपरिणतानां पृच्छा । गौतम ! त्रिविधाः प्रज्ञप्ताः, तद्यथाजलचर- तिर्यग्योनिकपञ्चेन्द्रियप्रयोगपरिणताः, स्थलचरतिर्यग्योनिकपञ्चेन्द्रियप्रयोगपरिणताः खेचर For Private & Personal Use Only श. ८ : उ. १ : सू. ३-८ कायिकएकेन्द्रियप्रयोगपरिणत, वायुकायिकएकेन्द्रियप्रयोगपरिणत और वनस्पतिकायिकएकेन्द्रियप्रयोगपरिणत । ४. भन्ते! पृथ्वीकायिक एकेन्द्रियप्रयोगपरिणत पुद्गल कितने प्रकार के प्रजप्त हैं? गौतम! दो प्रकार के प्रज्ञम हैं, जैसे-सूक्ष्मपृथ्वीकायिक एकेन्द्रियप्रयोगपरिणत और बादर - पृथ्वीकायिक एकेन्द्रियप्रयोगपरिणत | अपकायिकएकेन्द्रियप्रयोग परिणत पृथ्वी - कायिक एकेन्द्रिय प्रयोगपरिणत की भांति वक्तव्य हैं। इसी प्रकार तैजसकाय यावत् वनस्पतिकाय के सूक्ष्म और बादर इन दो भेदों की वक्तव्यता । ५. द्वीन्द्रियप्रयोगपरिणत की पृच्छा । गौतम! द्वीन्द्रियप्रयोगपरिणत अनेक प्रकार के प्रज्ञप्त हैं। इसी प्रकार त्रीन्द्रियचतुरिन्द्रियप्रयोगपरिणत भी अनेक प्रकार के प्रज्ञप्त हैं। ६. पंचेन्द्रियप्रयोगपरिणत की पृच्छा । गौतम! पंचेन्द्रियप्रयोगपरिणत चार प्रकार के प्रज्ञप्स हैं, जैसे-नैरयिक पंचेन्द्रियप्रयोगपरिणत, निर्यच पंचेन्द्रियप्रयोगपरिणत, मनुष्य पंचेन्द्रियप्रयोगपरिणत. देव पंचेन्द्रियप्रयोगपरिणत । ७. नैरयिक पंचेन्द्रियप्रयोगपरिणत की पृच्छा । गौतम! नैरयिक पंचेन्द्रियप्रयोगपरिणत सात प्रकार के प्रज्ञप्त हैं, जैसे-रत्नप्रभापृथ्वी नैरयिक पंचेन्द्रियप्रयोगपरिणत यावत् अधः सप्तमीपृथ्वी नैरयिक पंचेन्द्रियप्रयोगपरिणत । ८. तिर्यग्योनिक पंचेन्द्रियप्रयोगपरिणत की पृच्छा। गौतम! तिर्यक्रयोनिक पंचेन्द्रियप्रयोगपरिणत तीन प्रकार के प्रज्ञप्त हैं. जैसेजलचर तिर्यक्रयोनिक पंचेन्द्रियप्रयोगपरिणत. निर्यकयोनिक स्थलचर www.jainelibrary.org
SR No.003595
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 03 Bhagvai Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2005
Total Pages600
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size15 MB
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