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________________ भगवई रयणप्पभाए जाव एगे पंकप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे असत्तमाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे असत्तमाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा, अहवा एगे errorभाए एगे सक्करप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुय- प्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुय- प्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्प - भाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुय- प्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए एगे अहे - सत्तमाए होज्जा, अहवा एगे रयण- प्पभाए एगे पंकप्पभाए जाव एगे अहेसत्तमाए होज्जा, अहवा एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए जाव एगे तमाए होज्जा, अहवा एगे सक्करप्पभाए जाव एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे असत्तमाए होज्जा, अहवा एगे सक्करप्पभाए जाव एगे पंकप्पभाए एगे तमाए एगे असत्तमाए होज्जा, अहवा एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए Jain Education International २३९ रत्नप्रभायाम् एकः शर्कराप्रभायाम् एकः वालुकाप्रभायाम् एकः धूमप्रभायाम् एकः तमायां भवन्ति अथवा एकः रत्नप्रभायाम् एकः शर्कराप्रभायाम् एकः वालुकाप्रभायाम् एकः धूमप्रभायाम् एकः अधः सप्तम्यां भवन्ति, अथवा एकः रत्नप्रभायाम् एक शर्कराप्रभायाम् एकः वालुकाप्रभायाम् एकः तमायाम् एकः अधः सप्तम्यां भवन्ति, अथवा एकः रत्नप्रभायाम् एकः शर्कराप्रभायाम् एकः पंकप्रभायाम् एकः धूमप्रभायाम् एकः तमायां भवन्ति, अथवा एकः रत्नप्रभायाम् एकः शर्कराप्रभायाम् एकः पंकप्रभायाम् एकः धूमप्रभायाम् एकः अधः सप्तम्यां भवन्ति, अथवा एक: रत्नप्रभायाम् एक: शर्कराप्रभायाम् एकः पंकप्रभायाम् एकः तमायाम् एकः अधः सप्तम्यां भवन्ति, अथवा एकः रत्नप्रभायाम् एकः शर्कराप्रभायाम् एकः धूमप्रभायाम् एकः तमायाम् एकः अधः सप्तम्यां भवन्ति, अथवा एकः रत्नप्रभायाम् एकः वालुकाप्रभायाम् एक: पंकप्रभायाम् एकः धूमप्रभायाम् एकः तमायां भवन्ति अथवा एकः रत्नप्रभायाम् एक: वालुकाप्रभायाम् एकः पङ्कप्रभायाम् एकः धूमप्रभायाम् एकः अधः सप्तम्यां भवन्ति, अथवा एकः रत्नप्रभायाम् एकः वालुकाप्रभायाम् एकः पङ्कप्रभायाम् एकः तमायाम् एकः अधः सप्तम्यां भवन्ति, अथवा एकः रत्नप्रभायाम् एकः वालुकाप्रभायाम् एकः धूमप्रभायाम् एकः तमायाम् एकः अधः सप्तम्यां भवन्ति, अथवा एकः रत्नप्रभायाम् एकः पङ्कप्रभायाम् यावत् एकः अधः सप्तम्यां भवन्ति, अथवा एकः शर्कराप्रभायां यावत् एकः पङ्कप्रभायाम् एकः धूमप्रभायाम् एकः अधः ससम्यां भवन्ति, अथवा एकः शर्कराप्रभायां यावत् एकः पङ्कप्रभायाम् एक: तमायाम् एक: अधः सप्तम्यां भवन्ति, अथवा एकः शर्कराप्रभायाम् एकः वालुकाप्रभायाम् एकः धूमप्रभायाम् एक: तमायाम् एकः अधः सप्तम्यां भवन्ति, अथवा एक: शर्कराप्रभायाम् एकः पङ्कप्रभायां यावत् एकः For Private & Personal Use Only श. ९ : उ. ३२ : सू. ९२ में, एक तमा में और एक अधः सप्तमी में होता है। अथवा एक रत्नप्रभा में, एक शर्कराप्रभा में, एक वालुकाप्रभा में, एक पंकप्रभा में और एक धूमप्रभा में होता है। अथवा एक रत्नप्रभा में एक शर्कराप्रभा में एक वालुकाप्रभा में, एक पंकप्रभा में और एक तमा में होता है। अथवा एक रत्नप्रभा में यावत् एक पंकप्रभा में और एक अधः सप्तमी में होता है। अथवा एक रत्नप्रभा में, एक शर्कराप्रभा में एक वालुकाप्रभा में, एक धूमप्रभा में और एक तमा में होता है। अथवा एक रत्नप्रभा में, एक शर्कराप्रभा में, एक वालुकाप्रभा में, एक धूमप्रभा में और एक अधः सप्तमी में होता हैं। अथवा एक रत्नप्रभा में, एक शर्कराप्रभा में, एक वालुकाप्रभा में, एक तमा में और एक अधः सप्तमी में होता है। अथवा एक रत्नप्रभा में, एक शर्कराप्रभा में, एक पंकप्रभा में, एक धूमप्रभा में और एक तमा में होता है। अथवा एक रत्नप्रभा में, एक शर्कराप्रभा में, एक पंकप्रभा में, एक धूमप्रभा में और एक अधः सप्तमी में होता है। अथवा एक रत्नप्रभा में एक शर्कराप्रभा में, एक पंकप्रभा में, एक तमा में और एक अधः सप्तमी में होता है। अथवा एक रत्नप्रभा में, एक शर्कराप्रभा में, एक धूमप्रभा में, एक तमा में और एक अधः सप्तमी में होता है। अथवा एक रत्नप्रभा में, एक वालुकाप्रभा में एक पंकप्रभा में, एक धूमप्रभा में और एक तमा में होता है। अथवा एक रत्नप्रभा में, एक वालुकाप्रभा में एक पंकप्रभा में, एक धूमप्रभा में और एक अधः सप्तमी होता है। अथवा एक रत्नप्रभा में, एक वालुकाप्रभा में, एक पंकप्रभा में, एक तमा में और एक अधः सप्तमी में होता है। अथवा एक रत्नप्रभा में, एक वालुकाप्रभा में, एक धूमप्रभा में, एक तमा में और एक अधः सप्तमी में होता है। अथवा एक रत्नप्रभा में एक पंकप्रभा में यावत् एक www.jainelibrary.org
SR No.003595
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 03 Bhagvai Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2005
Total Pages600
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size15 MB
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