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भगवई
श. ९ : उ. ३२ : सू. ९२ एगे अहेसत्तमाए होज्जा, अहवा एगे सक्करप्पभाए एगे पंकप्पभाए जाव एगे अहेसत्तमाए होज्जा, अहवा एगे वालुयप्पभाए जाव एगे अहेसत्तमाए होज्जा॥
अधःसप्तमी में होता है। अथवा एक शर्कराप्रभा में, एक वालुकाप्रभा में यावत् एक तमा में होता है। अथवा एक शर्कराप्रभा में यावत् एक पंकप्रभा में, एक धूमप्रभा में और एक अधःसप्तमी में होता है। अथवा एक शर्कराप्रभा में यावत् एक पंकप्रभा में, एक तमा में और एक अधःसप्तमी में होता है। अथवा एक शर्कराप्रभा में, एक वालुकाप्रभा में, एक धूमप्रभा में, एक तमा में और एक अधःसप्तमी में होता है। अथवा एक शर्कराप्रभा में, एक पंकप्रभा में यावत् एक अधःसप्तमी में होता है। अथवा एक वालुकाप्रभा में यावत् एक अधःसप्तमी में होता है।
भाष्य र श वा पंधू त अधः
१. सूत्र ९२ पांच जीवों के एक सांयोगिक भंग-७
र स वा पंधू त अधः १५
||रश | वा| पंधू | त अधः |१६ ४१ |१७ ४ १ |१८ ४
१ ।
१४३
|१६ ३
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२०४ वालुकाप्रभा के विकल्प ४, भंग १६ रश | वा पंधू त अधः|
२३ ४
पांच जीवों के द्वि सांयोगिक
विकल्प-४, भंग-८४ रत्नप्रभा के विकल्प ४, भंग २४
शर्कराप्रभा के विकल्प ४, भंग २० रश वा पंधू त अधः
रश वा पंधू त अधः
| २१ | ३१
१
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७/२३ ८२ |९२
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पंकप्रभा के विकल्प ४, भंग १२ रश वा| पं| धूत अधः
१४
११२
१शश
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