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________________ श.९ : उ. ३२ : सू.९० २३० भगवई वालुयप्पभाए एगे अहे-सत्तमाए होज्जा। प्रभायाम् एकः अधःसप्तम्यां भवन्ति। अहवा एगे रयणप्पभाए एगे पंकप्पभाए अथवा एकः रत्नप्रभायाम् एकः पङ्कप्रभायाम् एगे धूमप्पभाए होज्जा जाव अहवा एगे एकः धूमप्रभायां भवन्ति यावत् अथवा एकः रयणप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे रत्न-प्रभायाम् एकः पंकप्रभायाम् एकः अहेसत्तमाए होज्जा। अहवा एगे अधःसप्तम्यां भवन्ति। अथवा एकः रयणप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए। रत्नप्रभायाम् एकः धूमप्रभायाम् एकः तमायां होज्जा, अहवा एगे रयप्पभाए एगे। भवन्ति, अथवा एकः रत्नप्रभायाम् एकः धूमप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा, धूमप्रभायाम् एकः अधःसप्तम्यां भवन्ति। अहवा एगे रयप्पभाए एगे तमाए एगे अथवा एकः रत्नप्रभायाम् एकः तमायाम् अहेसत्तमाए होज्जा। अहवा एगे। एकः अधः-सप्तम्यां भवन्ति। अथवा एकः सक्कप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे शर्करा-प्रभायाम् एकः वालुकाप्रभायाम् एकः पंकप्पभाए होज्जा, अहवा एगे पंक-प्रभायां भवन्ति, अथवा एकः सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे शर्कराप्रभायाम् एकः वालुकाप्रभायाम् एकः धूमप्पभाए होज्जा जाव अहवा एगे धूमप्रभायां भवन्ति यावत् अथवा एकः सक्करप्पभाए एगे वालुय-प्पभाए एगे शर्कराप्रभायाम् एकः वालुकाप्रभायाम् एकः अहेसत्तमाए होज्जा। अहवा एगे धूमप्रभायां भवन्ति यावत् अथवा एकः सक्करप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे शर्कराप्रभायाम् एकः वालुकाप्रभायाम् एकः धूमप्पभाए होज्जा जाव अहवा एगे अधःसप्तम्यां भवन्ति। अथवा एकः सक्करप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे शर्कराप्रभायाम् एकः पङ्कप्रभायाम् एकः अहेसत्तमाए होज्जा। अहवा एगे धूमप्रभायां भवन्ति, यावत् अथवा एकः सक्करप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे। शर्कराप्रभायाम् एकः पंक-प्रभायाम् एकः तमाए होज्जा, अहवा एगे सक्करप्पभाए अधःसप्तम्यां भवन्ति। अथवा एकः । एगे धूमप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा, शर्कराप्रभायाम् एकः धूमप्रभायाम् एकः अहवा एगे सक्करप्पभाए एगे तमाए एगे। तमायां भवन्ति अथवा एकः शर्कराप्रभायाम् अहेसत्तमाए होज्जा। अहवा एगे एकः धूमप्रभायाम् एकः अधःसप्तम्यां वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे भवन्ति, अथवा एकः शर्कराप्रभायाम् एकः धूमप्पभाए होज्जा, अहवा एगे तमायाम् एक अधःसप्तम्यां भवन्ति। अथवा वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे तमाए एकः वालुकाप्रभायाम् एकः पङ्कप्रभायाम् होज्जा, अहवा एगे वालुयप्पभाए एगे एकः धूमप्रभायां भवन्ति, अथवा एक वालुकापंकप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा। प्रभायाम् एकः पंकप्रभायाम् एकः तमायां अहवा एगे वालुयप्पभाए एगे धूमप्पभाए भवन्ति, अथवा एकः वालुका-प्रभायाम् एकः एगे तमाए होज्जा, अहवा एगे वालुय- पंकप्रभायाम् एकः अधः-सप्तम्यां भवन्ति। प्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे अहे-सत्तमाए अथवा एकः वालुका-प्रभायाम् एकः धूमहोज्जा, अहवा एगे वालुयप्पभाए एगे। प्रभायाम एकः तमायां भवन्ति, अथवा एकः तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा, अहवा वालुकाप्रभायाम् एकः धूमप्रभायाम् एकः एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए अधःसप्तम्यां भवन्ति, अथवा एकः वालुकाहोज्जा, अहवा एगे पंकप्प-भाए एगे प्रभायाम् एकः तमायाम् एकः अधःसप्तम्या धूमप्पभाए एगे अहेसत्त-माए होज्जा, भवन्ति, अथवा एकः पंकप्रभायाम् एकः अहवा एगे पंकप्पभाए एगे तमाए एगे धूमप्रभायाम् एकः तमायां भवन्ति, अथवा अहसत्तमाए होज्जा॥ अहवा एगे एकः पङ्कप्रभायाम् एकः धूमप्रभायाम् एकः धूमप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए अधःससम्यां भवन्ति, अथवा एकः होज्जा, पंकप्रभायाम् एकः तमायाम् एकः अधःसप्तम्यां भवन्ति। अथवा एकः धूमप्रभायाम् एक: तमायाम् एकः अधःसप्तम्यां भवन्ति, में और एक अधःसप्तमी में होता है। अथवा एक रत्नप्रभा में. एक पंकप्रभा में और एक धूमप्रभा में होता है यावत् अथवा एक रत्नप्रभा में, एक पंकप्रभा में और एक अधःसप्तमी में होता है। अथवा एक रत्नप्रभा में, एक धूमप्रभा में और एक तमा में होता है। अथवा एक रत्नप्रभा में, एक धूमप्रभा में और एक अधःसप्तमी में होता हैं अथवा एक रत्नप्रभा में, एक तमा में और एक अधःसप्तमी में होता है। अथवा एक शर्कराप्रभा में, एक वालुकाप्रभा में और एक पंकप्रभा में होता है, अथवा एक शर्कराप्रभा में, एक वालुकाप्रभा में और एक धूमप्रभा में होता है। यावत् अथवा एक शर्कराप्रभा में, एक वालुकाप्रभा में और एक अधःसप्तमी में होता है। अथवा एक शर्कराप्रभा में, एक पंकप्रभा में और एक धूमप्रभा में होता है यावत् अथवा एक शर्कराप्रभा में, एक पंकप्रभा में और एक अधःसप्तमी में होता है। अथवा एक शर्कराप्रभा में, एक धूमप्रभा में और एक तमा में होता है। अथवा एक शर्कराप्रभा में, एक धूमप्रभा में और एक अधःसप्तमी में होता है। अथवा एक शर्कराप्रभा में, एक तमा में और एक अधःसप्तमी में होता है। अथवा एक वालुकाप्रभा में, एक पंकप्रभा में और एक धूमप्रभा में होता है। अथवा एक वालुकाप्रभा में, एक पंकप्रभा में और एक तमा में होता है। अथवा एक वालुकाप्रभा में, एक धूमप्रभा में और एक अधःसप्तमी में होता है। अथवा एक वालुकाप्रभा में, एक धूमप्रभा में और एक तमा में होता है। अथवा एक वालुकाप्रभा में, एक धूमप्रभा में और एक अधःसप्तमी में होता है। अथवा एक पंकप्रभा में, एक धूमप्रभा में और एक तमा में होता है। अथवा एक पंकप्रभा में, एक धूमप्रभा में और एक अधःसप्तमी में होता है। अथवा एक पंकप्रभा में, एक तमा में और एक अधःसप्तमी में होता है। अथवा एक धूमप्रभा में एक तमा में और एक अधःसप्तमी में होता है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003595
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 03 Bhagvai Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2005
Total Pages600
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size15 MB
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