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भगवई
१. सूत्र ३९
द्रष्टव्य ठाणं ६ / ३१ का टिप्पण ।
४०. से णं भंते! कयरम्मि उच्चत्ते होज्जा ? गोयमा! जहणणं सत्तरयणीए, उक्कोसेणं पंचधणुसतिए होज्जा ॥
४१. से णं भंते! कयरम्मि आउए होज्जा ? गोयमा ! जहणणेणं सातिरेगट्ठवासाउए, उक्कोसेणं पुव्वकोडिआउए होज्जा ।।
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भाष्य
१. सूत्र ४०
भगवान महावीर के समय में शरीर की ऊंचाई सात रत्नी की थी और भगवान ऋषभ के समय में शरीर की ऊंचाई पांच सौ धनुष्य
जइ सवेदए होज्जा किं इत्थवेदए होज्जा ? पुरिसवेदए होज्जा ? पुरिसनपुंसगवेदए होज्जा ? नंपुसगवेदए होज्जा ?
गोयमा ! नो इत्थिवेदए होज्जा, पुरिसवेदए, होज्जा, नो नपुंसग - वेदए होज्जा, पुरिसनपुंसगवेदए वा होज्जा ॥
स भदन्त ! कतरे उच्चत्वे भवति ? गौतम! जघन्येन सप्तरत्नौ, उत्कर्षेण पञ्चधनुः शतके भवति ।
४२. से णं भंते! किं सवेदए होज्जा ? अवेदए होज्जा ?
स भदन्त ! किं सवेदकः भवति? अवेदकः भवति ?
गोयमा! सवेदए होज्जा, नो अवेदए गौतम ! सवेदकः भवति, नो अवेदकः होज्जा । भवति । यदि सवेदकः भवति ? पुरुषनपुंसकवेदकः भवति ? किं स्त्रीवेदकः भवति ? पुरुषवेदकः भवति, नपुंसक वेदकः भवति ?
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भाष्य
की थी। उसके आधार पर शरीर की जघन्य उंचाई सात रत्नी और उत्कृष्ट ऊंचाई पांच सौ धनुष्य बतलाई गई है । द्रष्टव्य समवायांग ७/३ का टिप्पण।
स भदन्त! कतरे आयुष्के भवति ? गौतम! जघन्येन सातिरेकाष्टवर्षायुष्के, उत्कर्षेण पूर्वकोट्यायुष्के भवति ।
गौतम! नो स्त्रीवेदकः भवति, पुरुषवेदकः भवति, नो नपुंसकवेदकः भवति, पुरुषनपुंसकवेदकः वा भवति ।
१. सूत्र ४२
अश्रुत्वा पुरुष के लिए स्त्रीवेद का निषेध किया गया है। अभयदेवसूरि ने इस निषेध का हेतु स्वभाव बतलाया है। संभावना की जा सकती है - अश्रुत्वा पुरुष प्रबल आंतरिक पुरुषार्थ से अवधिज्ञान
४३. से णं भंते! किं सकसाई होज्जा ? अंकसाई होज्जा ?
गोयमा ! सकसाई होज्जा, नो अकसाई होज्जा |
जइ सकसाई होज्जा से णं भंते! कतिसु यदि सकषायी भवति स भदन्त ! कतिषु कसाएस होज्जा ?
गोयमा ! चउसु - संजलणकोह- माणमाया- लोभे होज्जा ।
१. भ. ९/४२ - स्त्रियां एवंविधस्य व्यतिकरस्य स्वभावत एवाभावात ।
स भदन्त ! कि सकषायी भवति? अकषायी भवति ? गौतम! सकषायी भवति, नो अकषायी भवति ।
श. ९ : उ. ३१ : सू. ४०-४३
कषायेषु भवति ?
गौतम! चतुर्षु-संज्वलनक्रोध-मान-मायालोभेषु भवति ।
४०. भंते! वह कितनी ऊंचाई वाला होता है ? गौतम! जघन्यतः सात रत्नी, उत्कृष्टतः पांच सौ धनुष्य की ऊंचाई वाला होता है।
भाष्य
की स्थिति तक पहुंचता है, वह पुरुषार्थ स्त्री में संभव न हो। पुरुषनपुंसक - यह जन्मना नपुंसक नहीं होता, कृत नपुंसक
होता है।
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४१. भंते! वह किस आयु वाला होता है? गौतम! जघन्यतः कुछ अधिक आठ वर्ष, उत्कृष्टतः पूर्व कोटि आयु वाला होता है।
४२. भंते! वह वेद सहित होता है? वेद रहित होता है?
गौतम! वेद सहित होता है, वेद रहित नहीं होता।
यदि वेद सहित होता है तो क्या स्त्री वेद वाला होता है? पुरुष वेद वाला होता है? पुरुषनपुंसक वेद वाला होता है ? नपुंसक वेद वाला होता है?
गौतम! वह स्त्री वेद वाला नहीं होता, पुरुष वेद वाला होता है, नपुंसक वेद वाला नहीं होता, पुरुषनपुंसक वेद वाला होता है।
४३. "भंते! वह कषाय सहित होता है? कषाय रहित होता है? गौतम! कषाय सहित होता है, कषाय रहित नहीं होता।
यदि कषाय सहित होता है तो कितने कषायों वाला होता है?
गौतम! चार-क्रोध, मान, माया और लोभ वाला होता है।
२. वही ९ - वर्द्दिकत्वादित्वे नपुंसकः पुरुष नपुंसकः ।
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