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________________ (xix) नौवां शतक पृष्ठ सूत्र पृष्ठ २६१-२६२ २६२-२६३ २६४-२६५ २६५.२६८ २६८-२६९ २७०-२८१ २८१-३२३ आमुख १९५-१९६ १२० सांतर-निरंतर उपपन्न आदि पद संग्रहणी गाथा १९७ १२१-१२२ सत् असत् उपपन्न आदि पद पहला उद्देशक १२३-१२४ स्वतः अथवा परतः ज्ञान पद १-२ जम्बूद्वीप पद १२५-१३२ स्वतः परतः उपपन्न पद दूसरा उद्देशक १३३-१३६ गांगेय का संबोधि-पद ज्योतिष पद १९८-१९९ तेत्तीसवां उद्देशक ३.३० उद्देशक १३७-१५५ ऋषभदत्त देवानंदा पद ७-८ अन्तर्वीप पद २०० १५६-२४५ जमालि पद तेतीसवां उद्देशक चौतीसवां उद्देशक ९.५१ अश्रुत्वा-उपलब्धि पद २०१-२१८ २४६-२४८ एक के वध में अनेक वध पद ५२-७६ श्रुत्वा-उपलब्धि पद २१८-२२५ २४९-२५० ऋषि के वध में अनंत वध पद बत्तीसवां उद्देशक २५१-२५२ वैर बंध पद ७७-७८ पापित्यीय गांगेय प्रश्न पद २२६ २५३-२५७ पृथ्वीकायिक आदि का आन- ७९-८५ सांतर-निरन्तर उपपन्न आदि पद २२६-२२७ पान पद ८६-११९ प्रवेशन पद २२७-२६१ २५८-२६३ क्रिया पद दसवां शतक ३२४ ३२५ ३२५-३२६ ३२६-३२७ ३२७-३२८ सूत्र आमुख पहला उद्देशक पृष्ठ ३३१-३३२ सूत्र २४-३८ देवों का विनयविधि पद अश्व का 'खु-खु करण पद प्रज्ञापनी भाषा पद पृष्ठ ३४३-३४५ ३४५ ३४५-३४६ ३३३ तावत्त्रिंशक देव पद ३४७-३५२ ८-१० दूसरा उद्देशक ११-१४ १५ १६-१७ संग्रहणी गाथा ४०-४१ दिशा पद ३३३.३३६ चतुर्थ उद्देशक शरीर पद ४२-६३ पांचवां उद्देशक संवृत का क्रिया पद ३३७-३३९ ६४-९८ योनि पद ३३९ वेदना पद छट्ठा उद्देशक भिक्षु प्रतिमा पद ३४० ९९ अकृत्य-स्थान-प्रतिसेवन पद ३४०-३४१ । १००-१०१ ७-३४ उद्देशक आत्मर्धिक-परर्धिक व्यतिव्रजन ३४२ १०२-१०३ देवों का अंतःपुर के साथ दिव्य- ३५३-३६१ भोग पद सुधर्मा सभा पद शुक्र पद ३६२ ३६२ १९-२२ तृतीय उद्देशक २३ अन्तरद्वीप पद ३६३ पद Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003595
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 03 Bhagvai Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2005
Total Pages600
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size15 MB
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