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________________ श.८ : उ. १० : सू. ४६९-४७२ १८२ भगवई यह परिवर्तन गुणात्मक और रूपान्तर दोनों प्रकार का होता स्थिति जघन्यतः एक समय, उत्कृष्टतः असंख्य काल बतलाई गई है। वर्ण का गुणात्मक परिवर्तन, जैसे-एक गुण काला परमाणु, दो, है। कोई वर्ण, गंध, रस और स्पर्श एक समय के बाद बदल जाता है। तीन, चार यावत् अनंत गुण काला हो जाता है। रूपान्तर परिवर्तन जैसे कोई दो समय बाद, अंततः असंख्य समय के बाद सभी में निश्चित काले रंग का परमाणु पीले रंग में बदल जाता है। यह परिणाम गंध, ही परिवर्तन होता है। परिणाम स्वाभाविक भी होता है और प्रायोगिक रस, स्पर्श, संस्थान आदि सब में होता रहता है।' भी होता है। प्रायोगिक परिणाम के लिए द्रष्टव्य भगवती (८/३६) परमाणु से लेकर अनंत प्रदेशी स्कंध तक सभी पुद्गलरूपों की का भाष्य। ४६९. संठाणपरिणामे णं भंते! कतिविहे । संस्थानपरिणामः भदन्त! कतिविधः पण्णते? प्रज्ञप्तः? गोयमा! पंचविहे पण्णत्ते, तं जहा- गौतम ! पञ्चविधः प्रज्ञप्तः, तदयथा-परिपरिमंडल . संठाणपरिणामे जाव मंडलसंस्थानपरिणामः यावत् आयतआयतसंठाणपरिणामे॥ संस्थानपरिणामः। ४६९. भंते! संस्थान परिणाम कितने प्रकार का प्रज्ञप्त है? गौतम! पांच प्रकार का प्रज्ञप्त है, जैसेपरिमंडल संस्थान परिणाम यावत् आयत संस्थान परिणाम। पोग्गलपएसस्स दव्वादीहिं भंग-पदं पुद्गलप्रदेशस्य द्रव्यादिभिः भंग-पदम् ४७०. एगे भंते! पोग्गलत्थिकाय-पदेसे एकः भदन्त ! पुद्गलास्तिकायप्रदेशः किं १. किं १. दव्वं ? २. दव्वदेसे? ३. दव्व- द्रव्यम् ? २. द्रव्यदेशः? ३. द्रव्याणि? ४. इं?४. दव्वदेसा? ५.उदाहु दव्वं च द्रव्यदेशाः ? ५. उताहो द्रव्यं च द्रव्यदेशश्च? दव्वदेसे य? ६. उदाहु दव्वं च दव्वदेसा ६. उताहो द्रव्यं च द्रव्यदेशश्च ? ७. उताहो य? ७. उदाहु दव्वाइं च दव्वदेसे य? ८. द्रव्याणि च द्रव्यदेशश्च ? ८. उताहो द्रव्याणि उदाहु दव्वाइं च दव्वदेसा य? च द्रव्यदेशाश्च। पुद्गलप्रदेश का द्रव्यादि भंग-पद ४७०. 'भंते! पुद्गलास्तिकाय का एक प्रदेश क्या १. द्रव्य है? २. द्रव्य देश है? ३. अनेक द्रव्य हैं ? ४. अनेक द्रव्य देश हैं ? ५. अथवा द्रव्य और द्रव्य देश है? ६. अथवा द्रव्य और अनेक द्रव्य देश हैं? ७. अथवा अनेक द्रव्य और द्रव्य देश हैं ? ८. अथवा अनेक द्रव्य और अनेक द्रव्य देश गोयमा! १. सिय दव्वं २. सिय दव्वदेसे गौतम! १. स्यात् द्रव्यम् २. स्यात् दव्यदेशः ३. नो दव्वाई ४. नो दव्वदेसा ५. नो दव्वं ३. नो द्रव्याणि ४. नो द्रव्यदेशाः ५. नो द्रव्यं च दव्वदेसे य ६.नो दव्वं च दव्वदेसाय च द्रव्यदेशश्च ६. नो द्रव्यं च द्रव्यदेशाश्च ७. नो दव्वाई च दव्वदेसेय ८. नो दव्वाई। ७. नो द्रव्याणि च द्रव्यदेशश्च ८. नो च दव्वदेसाय॥ द्रव्याणि च द्रव्यदेशाश्च। गौतम! १. वह स्यात् द्रव्य है। २. स्यात द्रव्य देश है ३. अनेक द्रव्य नहीं है ४. अनेक द्रव्य देश नहीं हैं ५. द्रव्य और द्रव्य देश नहीं हैं। ६. द्रव्य और अनेक द्रव्य देश नहीं हैं। ७. अनेक द्रव्य और द्रव्य देश नहीं हैं। ८. अनेक द्रव्य और अनेक द्रव्य देश नहीं हैं। ४७१. दो भंते! पोग्गलत्थिकाय-पदेसा द्वौ भदन्त ! पुद्गलास्तिकायप्रदेशौ किं किं दव्वं? दव्वदेसे?-पुच्छा। द्रव्यम् ? द्रव्यदेशः?-पृच्छा। गोयमा! सिय दव्वं, सिय दव्वदेसे, सिय गौतम! स्यात् द्रव्यम्, स्यात् द्रव्यदेशः, दव्वाई, सिय दव्वदेसा, सिय दव्वं च स्यात् द्रव्याणि, स्यात् द्रव्यदेशाः, स्यात् दव्वदेसे य। सेसा पडि-सेहेयव्वा।। द्रव्यं च द्रव्यदेशश्च। शेषाः प्रतिषेद्धव्याः। ४७१. भंते! पुद्गत्लास्तिकाय के दो प्रदेश क्या द्रव्य है? द्रव्य देश है?-पृच्छा। गौतम ! स्यात् द्रव्य है. स्यात् द्रव्य देश है; स्यात् अनेक द्रव्य हैं, स्यात् अनेक द्रव्य देश हैं, स्यात् द्रव्य और द्रव्य देश है। शेष भंग नहीं बनते इसलिए उनका प्रतिषेध करणीय है। ४७२. तिण्णि भंते! पोग्गलत्थि-काय- त्रयः भदन्त ! पुद्गलास्तिकायप्रदेशाः किं पदेसा किं दव्वं? दव्वदेसे?-पुच्छा। द्रव्यम् द्रव्यदेशः?-पृच्छा। ४७२. भंते! पुद्गलास्तिकाय के तीन प्रदेश क्या द्रव्य है? द्रव्य देश है?-पृच्छा। २. भ.५/१७१-१८०-तथा उसका भाष्य। १. भ. वृ.८/४६७–वण्णपरिणामेति यत्पुद्गलो वर्णान्तरत्यागाद वर्णान्तरं यान्यसी वर्णपरिणाम इति वमन्यत्रापि। For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.003595
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 03 Bhagvai Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2005
Total Pages600
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size15 MB
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