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भगवई
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श.८ : उ. १० : सू. ४५१-४५६ होने वाले प्रश्न का सम्यक समाधान दिया। उनके सामने प्रश्न दोनों आराधना के अंग हैं। था-मिथ्यादृष्टि तपस्वी के संवर नहीं होता फिर वह मोक्ष मार्ग का देश मिथ्यादृष्टि को निर्जरा की अपेक्षा देश आराधक कहा गया आराधक कैसे हो सकता है?
है। द्रष्टव्य भगवती ७/१५६-१५७ जयाचार्य ने इसके समाधान में लिखा-संवर और निर्जरा-ये
आराहणा-पदं
आराधना-पदम ४५१. कतिविहा णं भंते! आराहणा कतिविधा भदन्त ! आराधना प्रज्ञप्ता? पण्णत्ता? गोयमा! तिविहा आराहणा पण्णत्ता, तं गौतम! त्रिविधा आराधना प्रज्ञप्ता, जहा-नाणाराहणा, दसणाराहणा, तद्यथा-ज्ञानाराधना, दर्शनाराधना, चरित्ताराहणा॥
चरित्राराधना।
आराधना पद ४५१. 'भंते! आराधना के कितने प्रकार प्रज्ञप्त हैं? गौतम! आराधना के तीन प्रकार प्रज्ञप्त हैं, जैसे-ज्ञानाराधना, दर्शनाराधना, चरित्राराधना।
४५२. नाणाराहणा णं भंते! कतिविहा ज्ञानाराधना भदन्त ! कतिविधा प्रज्ञप्ता? पण्णत्ता? गोयमा! तिविहा पण्णत्ता, तं जहा- गौतम! त्रिविधा प्रज्ञप्ता. तद्यथाउक्कोसिया, मज्झिमा, जहण्णा॥ उत्कर्षिका, मध्यमा, जघन्या।
४५२. भंते! ज्ञानाराधना के कितने प्रकार प्रज्ञप्त हैं? गौतम ! तीन प्रकार प्रजप्त है, जैसे-उत्कृष्ट, मध्यम, जघन्य।
४५३. दंसणाराहणा णं भंते! कतिविहा दर्शनाराधना भदन्त ! कतिविधा प्रज्ञप्ता? पण्णता? गोयमा! तिविहा पण्णत्ता, तं जहा- गौतम ? त्रिविधा प्रज्ञप्ता, तद्यथाउक्कोसिया, मज्झिमा, जहण्णा॥ उत्कर्षिका, मध्यमा, जघन्या।
४५३. भंते! दर्शनाराधना के कितने प्रकार प्रज्ञात हैं? गौतम! तीन प्रकार प्रजप्त हैं, जैसे-उत्कृष्ट, मध्यम, जघन्य।
चरित्राराधना भदन्त ! कतिविधा प्रज्ञप्ता?
४५४. चरित्ताराहणा णं भंते ! कति-विहा पण्णत्ता! गोयमा! तिविहा पण्णत्ता, तं जहाउक्कोसिया, मज्झिमा, जहण्णा ॥
४५४. भंते! चरित्राराधना के कितने प्रकार प्रज्ञप्त है ? गौतम! तीन प्रकार प्रज्ञप्त है, जैसेउत्कृष्ट, मध्यम, जघन्य।
गौतम! त्रिविधा प्रज्ञप्ता, तद्यथाउत्कर्षिका, मध्यमा, जघन्या।
४५५. जस्स णं भंते! उक्कोसिया नाणा- यस्य भदन्त ! उत्कर्षिका ज्ञानाराधना तस्य ४५५. भंते! जिसके उत्कृष्ट ज्ञानाराधना है राहणा तस्स उक्कोसिया दंसणारा- उत्कर्षिका दर्शनाराधना ? यस्य उत्कर्षिका क्या उसके उत्कृष्ट दर्शनाराधना है? हणा? जस्स उक्कोसिया दंसणाराहणा दर्शनाराधना तस्य उत्कर्षिका ज्ञानाराधना? जिसके उत्कृष्ट दर्शनाराधना है क्या तस्स उक्कोसिया नाणाराहणा?
उसके उत्कृष्ट ज्ञानाराधना है? गोयमा! जस्स उक्कोसिया नाणा- गौतम! यस्य उत्कर्षिका ज्ञानाराधना तस्य गौतम! जिसके उत्कृष्ट ज्ञानाराधना है, राहणा तस्स दसणाराहणा उक्कोसा वा दर्शनाराधना उत्कृष्टा वा अजघन्योत्कृष्टा उसके दर्शनाराधना उत्कृष्ट अथवा अजहण्णुक्कोसा वा। जस्स पुण वा, यस्य पुनः उत्कर्षिका दर्शनाराधना तस्य अजघन्य-उत्कृष्ट होती है। जिसके उत्कृष्ट उक्कोसिया सणाराहणा तस्स ज्ञानाराधना उत्कृष्टा वा, जघन्या वा, दर्शनाराधना है, उसके ज्ञानाराधना नाणाराहणा उक्कोसा वा, जहण्णा वा, अजघन्यानुत्कृष्टा वा।
उत्कृष्ट- जघन्य अथवा अजघन्य-अनुत्कृष्ट अजहण्णमणुक्कोसा वा॥
होती है।
४५६. जस्स णं भंते! उक्कोसिया नाणा- यस्य भदन्त उत्कर्षिका ज्ञानाराधना तस्य ४५६. भंते ! जिसके उत्कृष्ट ज्ञानाराधना है, राहणा तस्स उक्कोसिया चरित्ता- उत्कर्षिका चरित्राराधना ? यस्य उत्कर्षिका क्या उसके उत्कृष्ट चरित्राराधना है, राहणा? जस्स उक्कोसिया चरित्ता. चरित्राराधना तस्य उत्कर्षिका जिसके उत्कृष्ट चरित्राराधना है, क्या राहणा तस्स उक्कोसिया नाणाराहणा? ज्ञानाराधना?
उसके उत्कृष्ट ज्ञानाराधना है?
१. भमविध्वंसनम मिथ्यात्वी क्रियाधिकार।
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