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भगवई
श.८: उ.९: सू. ४३९-४४२
भाष्य १. सूत्र ४३७-४३८
की अपेक्षा से विरचित है और वे संख्यात जीवी होते है। आयु बंध का समय अल्प है और उसके अबंध का समय इसलिए आयुष्य के देश बंध जीवों की अपेक्षा अबंधक संख्यात अधिक है। प्रस्तुत सूत्र संख्यात-जीवी वनस्पतिकायिक जीवों गुण होते हैं।' ४३९.जस्स णं भंते !ओरालियसरीरस्स यस्य भदन्त ! औदारिकशरीरस्य सर्वबन्धः ४३९. 'भंते! जिसके औदारिक शरीर का सव्वबंधे, से णं भंते वेउब्वियसरीरस्स। स भदन्त ! वैक्रियशरीरस्य किं बन्धकः? सर्व बंध है भंते ! क्या वह वैक्रिय शरीर किं बंधए? अबंधए? अबन्धकः?
का बंधक है? अबंधक है? गोयमा! नो बंधए, अबंधए।। गौतम ! नो बन्धकः अबन्धकः।
गौतम ! बंधक नहीं है. अबंधक है। आहारगसरीरस्स किं बंधए ? अबंधए? आहारकशरीरस्य किं बन्धकः ?अबन्धकः ? वह आहारक शरीर का बंधक है ? अबंधक
गोयमा! नो बंधए? अबंधए। तेयासरीरस्स किं बंधए ? अबंधए? गोयमा! बंधए, नो अबंधए। जइ बंधए किं देसबंधए? सव्व-बंधए?
गोयमा! देसबंधए, नो सव्वबंधए। कम्मासरीरस्स किं बंधए ?अबंधए? गोयमा! बंधए, नो अबंधए। जइ बंधए किं देसबंधए? सव्व-बंधए?
गौतम! नो बन्धकः, अबन्धकः। तैजसशरीरस्य किं बंधकः ? अबन्धकः? गौतम ! बन्धकः. नो अबन्धकः।। यदि बन्धकः किं देशबन्धकः? सर्वबन्धकः? गौतम! देशबन्धकः, नो सर्वबन्धक। कर्मक-शरीरस्य किं बन्धकः ? अबन्धकः? गौतम ! बन्धकः, नो अबन्धकः। यदि बन्धकः किं देशबन्धकः? सर्वबन्धकः? गौतम! देशबन्धकः, नो सर्वबन्धकः।
गौतम ! बन्धक नहीं है, अबन्धक है। वह तैजस शरीर का बंधक है ? अबंधक है? गौतम ! बंधक है, अबन्धक नहीं है। यदि बंधक है तो क्या देश बन्धक है ? सर्व बंधक है? गौतम ! देश बंधक है, सर्व बंधक नहीं है। वह कर्म शरीर का बंधक है ? अबंधक है ? गौतम ! बंधक है अबंधक नहीं है। यदि बंधक है तो क्या देश बंधक है? सर्व बंधक है? गौतम ! देश बंधक है, सर्व बंधक नहीं है।
गोयमा! देसबंधए, नो सव्वबंधए।
४४० जस्स णं भंते!ओरालियसरीर-स्स यस्य भदन्त ! औदारिकशरीरस्य देशबन्धः, ४४०. भंते! जिसके औदारिक शरीर का
देसबंधे, से णं भंते! वेउब्बिय-सरीरस्स स भदन्त ! वैक्रियशरीरस्य किं बन्धकः? देश बन्ध है, भंते! क्या वह वैक्रिय शरीर किं बंधए? अबंधए? अबन्धकः?
का बंधक है? अबंधक है? गोयमा! नो बंधए, अबंधए। एवं जहेव गौतम! नो बन्धकः, अबन्धकः। एवं यथैव गौतम! बंधक नहीं है, अबन्धक है। इस सव्वबंधेणं भणियं तहेव देसबंधेण वि। सर्वबन्धेन भणितं तथैव देशबन्धेनापि प्रकार जैसे सर्व बंध की वक्तव्यता वैसे ही भाणियव्वं जाव कम्मगस्स॥ भणितव्यं यावत् कर्मकस्य।
देश बंध की वक्तव्यता यावत् कर्म शरीर देश बंधक है, सर्व बन्धक नहीं है।
अवधए!
४४१. जस्स ण भंते! वेउब्वियसरीरस्स सव्वबंधे, से णं भंते! ओरालिय- सरीरस्स किं बंधए? अबंधए? गोयमा! नो बंधए, अबंधए। आहारगसरीरस्स एवं चेव। तेयगस्स कम्मगस्स य जहेव ओरालिएणं समं भणियं तहेवं भाणियव्वं जाव देसबंधए, नो सव्वबंधए।
यस्य भदन्त ! वैक्रियशरीरस्य सर्वबन्धः,स भदन्त! औदारिकशरीरस्य किं बन्धकः? अबन्धकः? गौतम! नो बन्धकः, अबन्धकः। आहारकशरीरस्य एवं चैव। तैजसकस्य कर्मकस्य च यथैव औदारिकेण समं भणितं तथैव भणितव्यं यावत् देशबन्धकः, नो सर्वबन्धकः।
४४१. भंते ! जिसके वैक्रिय शरीर का सर्व बंध है भंते ! क्या वह औदारिक शरीर का बंधक है? अबंधक है? गौतम ! बंधक नहीं है. अबंधक है। इसी प्रकार आहारक शरीर की वक्तव्यता। तैजस और कर्म शरीर की औदारिक शरीर के साथ जो वक्तव्यता है, वहीं यहां वक्तव्य है यावत कर्म शरीर देश बंधक है, सर्व बंधक नहीं है।
४४२.जस्स णं भंते! वेउब्वियसरीर-स्स
देसबंधे, से णं भंते ओरालिय-सरीरस्स किंबंधए? अबंधए? गोयमा! नो बंधए, अबंधए। एवं जहेव
यस्य भदन्त ! वैक्रियशरीरस्य देशबन्धः स भदन्त ! औदारिकशरीरस्य किं बन्धकः? अबन्धकः? गौतम! नो बन्धकः, अबन्धकः। एवं यथैव
४४२. भंते ! जिसके वैक्रिय शरीर का देश बंध है, भंते! क्या वह औदारिक शरीर का बंधक है? अबंधक है? । गौतम! बंधक नहीं है, अबंधक है। इस
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