________________
भगवई
३३०. जंबुद्दीवे णं भंते! दीवे सूरिया उग्गमणमुहुत्तंसि, मज्झतियमुहु-तंसि य, अत्थमणमुहुत्तंसि य सव्वत्थ समा उच्चत्तेणं ?
हंता गोयमा ! जंबुडीवे णं दीवे सूरिया उग्गमणमुहुत्तंसि, मज्झं तियमुहुत्तंसि य, अत्थमणमुहुत्तंसि य सव्वत्थ समा उच्चत्तेणं ॥
३३१. जइ णं भंते! जंबुद्दीवे दीवे सूरिया उग्गमणमुहुत्तंसि, मज्झं तियमुहुत्तंसि य, अत्थमणमुहुत्तंसि य सव्वत्थ समा उच्चत्तेणं, से केणं खाइ अद्वेणं भंते! एवं वुच्चइ - जंबुद्दीवे णं दीवे सूरिया उग्गमण - मुहुत्तंसि दूरे य मूले य दीसंति? जाव अत्थमणमुहुत्तंसि दूरे य मूलेय दीसंति ?
गोयमा! लेसापडिघाएणं उग्गमणमुहुत्तंसि दूरे य मूले य दीसंति, लेसाभितावेणं मज्झंतियमुहुत्तंसि मूले य दूरे य दीसंति, लेसापडिघा एणं अत्थमणमुहुत्तंसि दूरे य मूले य दीसंति । से तेणद्वेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ - जंबुद्दीवे णं दीवे सूरिया उग्गमणमुहुत्तंसि दूरे य मूले य दीसंति जाव अत्थमणमुहुत्तंसि दूरे य मूले य दीसंति ॥
३३२. जंबुद्दीवे णं भंते! दीवे सूरिया किं तीयं खेत्तं गच्छति ? पडुप्पन्नं खेत्तं गच्छंति ? अणागयं खेत्तं गच्छति ?
गोयमा ! नो तीयं खेत्तं गच्छंति, पडुप्पन्नं खेत्तं गच्छंति, नो अणागयं खेत्तं गच्छति ॥
३३३. जंबुद्दीवे णं भंते! दीवे सूरिया किं तीयं खेत्तं ओभासंति ? पडुप्पन्नं खेत्तं ओभासंति ? अणायं खेत्तं ओभासंति ?
गोयमा ! नो तीयं खेत्तं ओभासंति,
Jain Education International
१३१
जम्बूद्वीपे भदन्त ! द्वीपे सूर्यौ उद्गमनमुहूर्ते, मध्यान्तिकमुहूर्ते च, अस्तमनमुहूर्ते च सर्वत्र समौ उच्चत्वेन ?
हन्त गौतम! जम्बूद्वीपे द्वीपे सूर्यौ उद्गमनमुहूर्ते. मध्यान्तिकमुहूर्ते च, अस्तमनमुहूर्ते च सर्वत्र समौ उच्चत्वेन ।
यदि भदन्त ! जम्बूद्वीपे द्वीपे सूर्यौ उद्गमनमुहूर्ते, मध्यान्तिकमुहूर्ते च, अस्तमनमुहूर्ते च सर्वत्र समौ उच्चत्वेन, तत्केन 'खाइ' अर्थेन भदन्त ! एवमुच्यते - जम्बूद्वीपे द्वीपे सूर्यौ उद्गमनमुहूर्त्ते दूरे च मूले च दृश्येते यावत् अस्तमनमुहूर्त्ते दूरे च मूले च दृश्येते ?
गौतम! लेश्याप्रतिघातेन उद्गमनमुहूर्ते दूरे च मूले च दृश्येते लेश्याभितापेन मध्यान्तिकमुहूर्ते मूले च दूरे च दृश्येते लेश्याप्रतिघातेन अस्तमनमुहूर्ते दूरे च मूले च दृश्येते तत् तेनार्थेन गौतम! एवमुच्यतेजम्बूद्वीपे द्वीपे सूर्यौ उद्गमनमुहूर्ते दूरे च मूले च दृश्येते यावत् अस्तमनमुहूर्ते मूले च दृश्येते ।
च
जम्बूद्वीपे भदन्त ! द्वीपे सूर्यौ किम् अतीतं क्षेत्रं गच्छतः ? प्रत्युत्पन्नं क्षेत्रं गच्छतः ? अनागतं क्षेत्रं गच्छतः ?
गौतम ! नो अतीतं क्षेत्रं गच्छतः, प्रत्युत्पन्नं क्षेत्र गच्छतः, नो अनागतं क्षेत्रं गच्छतः ।
जम्बूद्वीपे भदन्त ! द्वीपे सूर्यौ किम् अतीतं क्षेत्रम् अवभास्यतः ? प्रत्युत्पन्नं क्षेत्रम् अवभासयतः ? अनागतं क्षेत्रम् अवभा सयतः ?
गौतम ! नो अतीतं क्षेत्रम् अवभासयतः,
For Private & Personal Use Only
श. ८ : उ. ८ : सू. ३३०-३३३ ३३०. भंते! जंबूद्वीप द्वीप में उदय के मुहूर्त्त में मध्याह्न के मुहूर्त में और अस्तमन के मुहूर्त में सूर्य ऊंचाई की दृष्टि से सर्वत्र तुल्य होते हैं ?
हां, गौतम ! जंबूद्वीप द्वीप में उदय के मुहूर्त में, मध्याह्न के मुहूर्त में और अस्तमन के मुहूर्त में सूर्य ऊंचाई की दृष्टि से सर्वत्र तुल्य होते हैं।
३३१. भंते! यदि जंबूद्वीप द्वीप में उदय के मुहूर्त में, मध्याह्न के मुहूर्त में और अस्तमन के मुहूर्त में सूर्य ऊंचाई की दृष्टि से सर्वत्र तुल्य होते हैं तो यह कैसे कहा जाता है- जंबूद्वीप द्वीप में उदय के मुहूर्त में सूर्य दूर होने पर भी निकट दिखाई देते हैं, यावत् अस्तमन के मुहूर्त में दूर होने पर भी निकट दिखाई देते है ? गौतम! तेज का प्रतिघात होने के कारण उदय के मुहूर्त में सूर्य दूर होने पर भी निकट दिखाई देते हैं, तेज का अभिताप होने के कारण मध्याह्न के मुहूर्त में निकट होने पर भी दूर दिखाई देते हैं, तेज का प्रतिघात होने के कारण अस्तमन के मुहूर्त में दूर होने पर भी निकट दिखाई देते हैं।
गौतम ! इस कारण से यह कहा जाता हैजंबूद्वीप द्वीप में सूर्य उदय के मुहूर्त में दूर होने पर भी निकट दिखाई देते हैं यावत अस्तमन के मुहूर्त में दूर होने पर भी निकट दिखाई देते हैं।
३३२. भंते! क्या जंबूद्वीप द्वीप में सूर्य अतीत क्षेत्र में गमन करते हैं? वर्तमान क्षेत्र में गमन करते हैं? अनागत क्षेत्र में गमन करते हैं ?
गौतम! जंबूद्वीप द्वीप में सूर्य अतीत क्षेत्र में गमन नहीं करते, वर्तमान क्षेत्र में गमन करते हैं, अनागत क्षेत्र में गमन नहीं करते।
३३३. भंते! क्या जंबूद्वीप द्वीप में सूर्य अतीत क्षेत्र को अवभासित करते हैं? वर्तमान क्षेत्र को अवभासित करते हैं ? अनागत क्षेत्र को अवभासित करते हैं ? गौतम! जंबूद्वीप द्वीप में सूर्य अतीत क्षेत्र
www.jainelibrary.org