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भगवई
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श. ८ : उ. ८ : सू. ३१४
भाष्य १.सू. ३०२-३१४
१. उपशांत मोह मनुष्य प्रस्तुत आगम में ऐयापथिकी और सांपरायिकी क्रिया का उल्लेख २.क्षीण मोह मनुष्य अनेक प्रसंगों में हुआ है-भगवती १/४४४, ६/७१, ७/२०-२१, ३. सयोगी केवली मनुष्य ७/१२६.१०/१४, १८.१५९।
ऐर्यापथिक बंध अवेदक (वेदातीत) के होता है इसलिए स्त्री, ईर्यापथिक बंध का हेतु केवल योग-मन, वचन, काया की प्रवृत्ति पुरुष और नपुंसक वेद वालों के उनका बंध नहीं होता। है। उससे केवल वेदनीय कर्म का बंध होता है। सांपरायिक बंध का जो जीव स्त्री वेद को उपशांत या क्षीण कर अवेदक बनता है, मुख्य हेतु है-कषाय। उससे सभी कर्मों का बंध होता है।
वह स्त्री पश्चात्कृत है। जो जीव पुरुष वेद को उपशांत या क्षीण कर ऐपिथिक बंध-नैरयिक, तिर्यकयोनिक और देव वीतराग नहीं अवेदक बनता है, वह पुरुष पश्चात्कृत है। जो जीव कृत नपुंसक अवस्था होते इसलिए इनके ऐपिथिक बंध नहीं होता।
से अवेदक बनता है, वह नपुंसक पश्चात्कृत है।' ऐयापथिक बंध का अधिकारी मनुष्य है। उसकी तीन श्रेणियां हैं
ऐपिथिक कर्म बंध का विचार भवाकर्ष और ग्रहणाकर्ष-इन
ऐयापथिक कर्म का बंध पूर्व प्रतिपन्नक
प्रतिपद्यमान की अपेक्षा की अपेक्षा असंयोगी की अपेक्षा द्विसंयोगी की अपेक्षा
त्रिसंयोगी की अपेक्षा अनेक पुरुष | १. पुरुष बांधता है।
५. एक पुरुष और एक स्त्री बांधती है। और स्त्रियां | २. स्त्री बांधती है।
६. एक पुरुष और बहुत स्त्रियां बांधती हैं। बांधती हैं। ३. पुरुष बांधते हैं।
|७. अनेक पुरुष और एक स्त्री बांधती है। ४. स्त्रियां बांधती हैं।
८. अनेक पुरुष और अनेक स्त्रियां बांधती है। १.स्त्री पश्चात्कृत जीव बांधता है। ७. एक स्त्री पश्चात्कृत जीव और एक १९. एक स्त्री पश्चात्कृत जीव, एक २. पुरुष पश्चातकृत जीव बांधता पुरुष पश्चात्कृत जीव बांधता है। पुरुष पश्चात्कृत जीव और एक नपुंसक
८. एक स्त्री पश्चात्कृत जीव औरअनेक पश्चात् कृत जीव बांधता है।। ३. नपुंसक पश्चात्कृत जीव बांधता पुरुष पश्चात्कृत जीव बांधते हैं। २०. एक स्त्री पश्चातकृत जीव, एक
९. अनेक स्त्री पश्चात्कृत जीव और पुरुष पश्चातकृत जीव और अनेक ४. स्त्री पश्चातकृत जीव बांधते हैं। एक पुरुष पश्चात्कृत जीव बांधता है। नपुंसक पश्चात्कृत जीव बांधते हैं। ५. पुरुष पश्चात्कृत जीव बांधते हैं। १०. अनेक स्त्री पश्चात्कृत जीव और २१. एक स्त्री पश्चात्कृत जीव अनेक ६. नपुंसक पश्चात्कृत जीव बांधते | अनेक पुरुष पश्चात्कृत जीव बांधते हैं। पुरुष पश्चात्कृत जीव और एक नपुंसक
११. एक स्त्री पश्चातकृत जीव और एक पश्चात्कृत जीव बांधता है। नपुंसक पश्चात्कृत जीव बांधता है। २२. एक स्त्री पश्चात्कृत जीव, अनेक १२. एक स्त्री पश्चात्कृत जीव और अनेक | पुरुष पश्चातकृत जीव और अनेक नपुंसक पश्चात्कृत जीव बांधते हैं। नपुंसक पश्चात्कृत जीव बांधते हैं। १३. अनेक स्त्री-पश्चात्कृत जीव और एक | २३. अनेक स्त्री पश्चातकृत जीव, एक नपुंसक पश्चात्कृत जीव बांधता है। पुरुष पश्चात्कृत जीव और एक नपुंसक १४. अनेक स्त्री पश्चात्कृत जीव और पश्चात्कृत जीव बांधता है। अनेक नपुंसक पश्चात्कृत जीव बांधते हैं। २४. अनेक स्त्री पश्चात्कृत जीव, एक १५. एक पुरुष पश्चात्कृत जीव और एक पुरुष पश्चातकृत जीव और अनेक नपुंसक पश्चात्कृत जीव बांधता है। | नपुंसक पश्चात्कृत जीव बांधते हैं। १६. एक पुरुष पश्चात्कृत जीव और अनेक २५. अनेक स्त्री पश्चात्कृत जीव, अनेक नपुंसक पश्चात्कृत जीव बांधते हैं। पुरुष पश्चात्कृत जीव और एक नपुंसक १७. अनेक पुरुप पश्चात्कृत जीव और एक | पश्चात्कृत जीव बांधता है। नपुंसक पश्चात्कृत जीव बांधता है। २६. अनेक स्त्री पश्चात्कृत जीव, अनेक १८. अनेक पुरुष पश्चात्कृत जीव और अनेक पुरुष पश्चात्कृत जीव और अनेक नपुंसक पश्चात्कृत जीव बांधते हैं। नपुंसक पश्चात्कृत जीव बांधते हैं।
१. (क) भ. वृ.८/३०२॥
(ख) द्रष्टव्य सूयगडो २/२/१६ का टिप्पण। (ग) ठाणं,२/२-३६ का टिप्पण।
२. भ. वृ. ८/३०५-भावप्रधानत्वान्निदेशस्य स्त्रीत्वं पश्चात्कृतं भूतता नीतं येनावेदकेनासी स्वीपश्चात्कृतः।
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