SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 142
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श. ८ : उ ८ : सू. ३०५,३०६ ३०५. जइ भंते! अवगयवेदो वा बंधइ, अवगयवेदा वा बंधंति तं भंते! किं १. इत्थीपच्छाकडो बंधइ ? २. पुरिसपच्छाकडो बंधइ ? ३. नपुंसगपच्छाकडो बंधइ ? ४. इत्थीपच्छाकडा बंधंति ५. पुरिस-पच्छाकडा बंधंति ? ६. नपुंसग पच्छाकडा बंधंति ? उदाहु इत्थी - पच्छाकडो य पुरिसपच्छाकडो य बंधइ ४ ? उदाहु इत्थीपच्छाकडो य नपुंसग - पच्छाकडो य बंधइ४ ? उदाहु पुरिसपच्छाकडो य नपुंसग पच्छाकडो य बंधइ ४ ? उदाहु इत्थीपच्छाकडो य पुरिसपच्छा-कडो य नपुंसगपच्छाकडो य बंधइ ८ एवं एते छव्वीसं भंगा जाव उदाहु इत्थीपच्छाकडा य पुरिसपच्छाकडा य नपुंसगपच्छाकडा य बंधंति ? गोयमा ! १ इत्थीपच्छाकडो वि बंध २. पुरिसपच्छाकडो वि बंधड़ ३. नपुंसगपच्छाकडो वि बंधइ ४. इत्थी - पच्छाकडा वि बंधंति ५. पुरिसपच्छाकडा वि बंधंति ६. नपुंसगपच्छाकडा वि बंधंति ७. इत्थीपच्छाकडो य पुरिसपच्छाकडो य बंधs, एवं एए चेव छव्वीसं भंगा भाणियव्वा जाव २६. अहवा इत्थीपच्छाकडा जय पुरिसपच्छाकडा य नपुंसगपच्छा कडा य बंधंति ॥ अहवा ३०६. तं भंते! किं १. बंधी बंधइ बंधिस्सइ ? २. बंधी बंधइ न बंधिस्सइ ? ३. बंधी न बंधइ बंधिस्सइ ? ४. बंधी न बंधs न बंधिस्सइ ? ५. न बंधी बंधइ बंधिस्सइ ? ६. न बंधी बंधइ न बंधिस्सइ ? ७. न बंधी न बंधइ बंधिस्सइ ? ८ न बंधी न बंधइ न बंधिस्सइ ? १२० यदि भदन्त ! अपगतवेदः वा बध्नाति, अपगतवेदाः वा बध्नन्ति तत् भदन्त ! किं १. स्त्रीपश्चात्कृतः बध्नाति ? २. पुरुषपश्चात् - कृतः बध्नाति ? ३. नपुंसकपश्चात्कृतः बध्नाति ? ४. स्त्रीपश्चात्कृताः बध्नन्ति ? ५. पुरुषपश्चात्कृताः बध्नन्ति ? ६. नपुंसक पश्चात्कृताः बध्नाति ? उताहो स्त्रीपश्चात्कृतश्च पुरुषपश्चात्कृतश्च बध्नाति ४ ? उताहो स्त्रीपश्चात्कृतश्च, नपुंसकपश्चात्कृतश्चबध्नाति ४ ? उताहो पुरुषपश्चात्कृतश्च नपुंसकपश्चात्कृतश्च बध्नाति४ ? उताहो स्त्रीपश्चात्कृतश्च पुरुष पश्चात्कृतश्च नपुंसकपश्चात्कृतश्च बध्नाति८ ? एवम् एते षड्विंशतिः भंगाः यावत् उताहो स्त्रीपश्चात्कृताश्च पुरुषपश्चात् कृताश्च नपुंसकपश्चात्कृताश्च बध्नन्ति ? Jain Education International गौतम ! १. स्त्रीपश्चात्कृतः अपि बध्नाति २. पुरुषपश्चात्कृतः अपि बध्नाति ३. नपुंसकपश्चात्कृतः अपि बध्नाति ४. स्त्रीपश्चात्कृताः अपि बध्नन्ति ५. पुरुष - पश्चात्कृताः अपि बध्नन्ति ६. नपुंसक - पश्चात्कृताः अपि बध्नन्ति ७. अथवा स्त्री- पश्चात्कृतश्च पुरुषपश्चात्कृतश्च बध्नाति एवम् एते चैव षड्विंशतिः भंगाः भणितव्याः यावत् २६. अथवा स्त्रीपश्चात्कृताश्च पुरुषपश्चात्कृताश्च नपुंसकपश्चात्कृताश्च बध्नन्ति । तत् भदन्त किं १. बंधी बध्नाति भन्त्स्यति ? २. बन्धी बध्नाति न भन्त्स्यति ? ३. बन्धी न बध्नाति भन्त्स्यति ? ४. बन्धी न बध्नाति न भन्त्स्यति ? ५. न बन्धी बध्नाति भन्त्स्यति ? ६. न बन्धी बध्नाति न भन्त्स्यति ? ७. न बन्धी न बध्नाति भन्त्स्यति ? ८. न बन्धी न बध्नाति न भन्त्स्यति ? गोयमा ! भवागरसं पडुच्च अत्थे गतिए गौतम ! भवाकर्षं प्रतीत्य अस्त्येककः बन्धी For Private & Personal Use Only भगवई ३०५. भंते! यदि वेद रहित बंध करता है अथवा वेद रहित बंध करते हैं तो क्या भंते! १. स्त्री पश्चात्कृत बंध करती है। २. पुरुष पश्चात्कृत बंध करता है ३. नपुंसक पश्चात् कृत बंध करता है ४. स्त्री पश्चात्कृत बंध करती हैं ५. पुरुष पश्चात्कृत बंध करते हैं ६. नपुंसक पश्चात्कृत बंध करते हैं ७. अथवा स्त्री पश्चात्कृत और पुरुष पश्चात्कृत बंध करता है (चार) ? अथवा स्त्री पश्चात् कृत और नपुंसक पश्चात्कृत बंध करता है (चार) ? अथवा पुरुष पश्चात्कृत और नपुंसक पश्चात्कृत बंध करता है (चार) ? अथवा स्त्री पश्चात्कृत, पुरुष पश्चात्कृत और नपुंसक पश्चात्कृत बंध करता है (आठ) ? इस प्रकार ये छब्बीस भंग होते हैं यावत् अथवा स्त्री पश्चात् कृत, पुरुष पश्चात्कृत नपुंसक पश्चात्कृत बंध करते हैं ? गौतम ! १. स्त्री पश्चात्कृत भी बंध करती है २. पुरुष पश्चात्कृत भी बंध करता है ३. नपुंसक पश्चात्कृत भी बंध करता है ४. स्त्री पश्चात्कृत भी बंध करती हैं । ५. पुरुष पश्चात्कृत भी बंध करते हैं । ६. नपुंसक पश्चात्कृत भी बंध करते हैं। ७. अथवा स्त्री पश्चातकृत और पुरुष पश्चात्कृत बंध करता है, इस प्रकार ये छब्बीस भंग वक्तव्य हैं यावत् २६. अथवा स्त्री पश्चात् कृत, पुरुष पश्चात्कृत और नपुंसक पश्चात्कृत बंध करते हैं। ३०६. भंते! क्या जीव ने उस ऐर्यापथिक कर्म का बंध किया, करता है और करेगा ? २. क्या बंध किया, करता है और नहीं करेगा ? ३. क्या बंध किया, नहीं करता है और करेगा ? ४. बंध किया, नहीं करता है और नहीं करेगा ? ५. बंध नहीं किया, करता है और करेगा ? ६. बंध नहीं किया, करता है और नहीं करेगा ? ७. बंध नहीं किया, नहीं करता है और करेगा ? ८. बंध नहीं किया, नहीं करता है और नहीं करेगा ? गौतम! भवाकर्ष की अपेक्षा किसी जीव ने www.jainelibrary.org
SR No.003595
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 03 Bhagvai Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2005
Total Pages600
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy