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भगवई
श.८: उ. ६ : सू. २५८-२६४
मल्ल-भीत को टिकाने वाला खंभा।
छिन्वर-बांस की खपाची। बलका-बांस को बांधने के लिए प्रयुक्त होने वाली वट आदि छाण-दर्भ आदि का पटल। की छाल। किरिया-पदं क्रियापदम्
क्रिया पद २५८. जीवे णं भंते! ओरालिय- जीवः भदन्त! औदारिकशरीरात् २५८. 'भन्ने! जीव औदारिकरशरीर से सरीराओ कतिकिरिए? कतिक्रियः?
कितनी क्रिया वाला है? गोयमा! सिय तिकिरिए, सिय चउ- गौतम ! स्यात त्रिकियः, स्यात् चतुष्क्रियः, गौतम! स्यात् तीन क्रिया वाला, स्यात किरिए, सिय पंचकिरिए, सिय स्यात् पञ्चक्रियः, स्यात् अक्रियः।
चार क्रिया वाला, स्थात् पांच क्रिया वाला. अकिरिए॥
स्यात् अक्रिय-क्रिया रहित है।
२५९. नेरइए णं भंते! ओरालिय-सर- नैरयिकः भदन्त! औदारिकशरीरात राओ कतिकिरिए?
कतिक्रियः? गोयमा! सिय तिकिरिए, सिय गौतम ! स्यात् त्रिक्रियः स्यात् चतुष्क्रियः, चउकिरिए, सिय पंचकिरिए।
स्यात् पञ्चक्रियः।
२५९. भन्ते! नैरयिक औदारिकशरीर से कितनी क्रिया वाला है? गौतम! स्यात् तीन क्रिया वाला, स्यात् चार क्रिया वाला, स्यात् पांच क्रिया वाला।
२६०. असुरकुमारे णं भंते! ओरालियसरीराओ कतिकिरिए? एवं चेव। एवं जाव वेमाणिए, नवरंमणुस्से जहा जीवे॥
असुरकुमारः भदन्त ! औदारिकशरीरात् कतिक्रियः? एवं चैव। एवं यावत् वैमानिकः, नवरंमनुष्यः यथा जीवः।
२६०. भन्ते ! असुरकुमार औदारिकशरीर से कितनी क्रिया वाला है? नैरयिक की भांति वक्तव्यता, इयी प्रकार यावत् वैमानिक की वक्तव्यता, इतना विशेष है-मनुष्य जीव की भांति वक्तव्य
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२६१. जीवे णं भंते ! आरोलियसरीरेहितो कतिकिरिए? गोयमा! सिय तिकिरिए जाव सिय अकिरिए।
जीवः भदन्त! औदारिकशरीरेभ्यः २६१. भन्ते! जीव औदारिकशरीरों से कतिक्रियः?
कितनी क्रिया वाला है? गौतम! स्यात् त्रिक्रियः यावत् स्यात् गौतम! स्यात् तीन क्रिया वाला यावत् अक्रियः।
स्यात् अक्रिय।
२६२. नेरइए णं भंते ! आरोलिय-सरीरे- हिंतो कतिकिरिए? एवं एसो वि जहा पढमो दंडओ तहा भाणियव्वो जाव वेमाणिए, नवरंमणुस्से जहा जीवे॥
नैरयिकः भदन्त! औदारिकशरीरेभ्यः २६२. भन्ते! नैरयिक औदारिकशरीरों से कतिक्रियः?
कितनी क्रिया वाला है? एवम् एषोऽपि यथा प्रथमः दंडकः तथा यह प्रथम दण्डक (नैरयिक सू.२५८) की भणितव्यः यावत् वैमानिकः, नवरं-मनुष्यः भांति वक्तव्य है। यावत् वैमानिक, इतना यथा जीवः।
विशेष है-मनुष्य जीव की भांति वक्तव्य
२६३. जीवा णं भंते! ओरालिय-सरीर- जीवाः भदन्त ! औदारिकशरीरात कति- ओ कतिकिरिया?
क्रियाः? गोयमा! सिय तिकिरिया जाव सिय गौतम! स्यात् त्रिक्रियाः यावत् स्यात् अकिरिया।।
अक्रियाः।
२६३. भन्ते! जीव औदारिकशरीर से कितनी क्रिया वाले हैं? गौतम! स्यात् तीन क्रिया वाले यावत अक्रिय हैं।
औदारिकशरीरात्
२६४. नेरझ्या णं भंते! ओरालियसरीराओ कतिकिरिया?
नैरयिकाः भदन्त ! कतिक्रियाः?
२६४. भन्ते! नैरयिक औदारिकशरीर से कितनी क्रिया वाले हैं?
१. भ. बृ.८.२५०-भगारं-कुटीगृहं कुहुनि भित्तयः कड़णति त्रटिकाः धारणनि बलहरणाधारभूत स्थूण, बलहरणेति धारणयोरुपरिवर्नितिर्यगायतकाष्ठं मोम' इति यन्प्रसिद्ध वंसति वंशाश्छिन्वगधारभूताः मल्लनि मल्ला:कुड्यावष्टम्भस्थाणय: बलहरणा धारणाश्रितानि वा छिन्वराधारभतानि
ऊर्ध्वायनानि काष्टानि वागत्ति वल्का-वंशादि बंधनभूतावटादित्वचः छिनरनि छिन्वराणि-वंशादिमयानि छादनाधारभूतानि किलिजानि छान-छादनं दर्भादिमयं पटलमिति।
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