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भगवई
श.८ : उ. ६ : सू. २५१ तओ पच्छा थेराणं अंतियं आलोए- यिष्यामि यावत् तपःकर्म प्रतिपत्स्यत। रूप तपःकर्म स्वीकार करूं, तत्पश्चात् स्सामि जाव तवोकम्म पडिवज्जि- १.सः च संप्रस्थितः असम्प्राप्तः, स्थविराः स्थविरों के पास जाकर आलोचना स्सामि।
च पूर्वमेव अमुखाः स्युः। सः भदन्त ! किम् करंगा यावत् तपःकर्म स्वीकार करूंगा। १. से य संपट्ठिए असंपत्ते, थेरा य आराधकः ? विराधकः?
१. उसने आलोचना के संकल्प के साथ पुव्वामेव अमुहा सिया। से णं भंते! किं
प्रस्थान किया, अभी स्थविरों के पास आराहए? विराहए?
पहुंचा नहीं, उससे पहले ही स्थविर अमुख (बोलने में असमर्थ) हो गए। भंते! इस अवस्था में क्या वह आराधक है अथवा
विराधक? गोयमा! आराहए, नो विराहए। गौतम! आराधकः, नो विराधकः।
गौतम ! वह आराधक है, विराधक नहीं। २. से य संपढ़िए असंपत्ते, अप्पणा य २. सः च संप्रस्थितः असम्प्राप्तः, आत्मना २. उसने आलोचना के संकल्प के साथ पुवामेव अमुहे सिया। से णं भंते! किं च पूर्वमेव अमुखः स्यात्। सः भदन्त ! किम् प्रस्थान किया, अभी स्थविरों के पास आराहए? विराहए? आराधकः ? विराधकः?
पहुंचा नहीं, उससे पहले ही स्वयं अमुख (बोलने में असमर्थ) हो गया। भंते ! इस अवस्था में क्या वह आराधक है अथवा
विराधक? गोयमा! आराहए, नो विराहए। गौतम ! आराधकः, नो विराधकः।
गौतम ! वह आराधक है, विराधक नहीं। ३. से य संपट्ठिए असंपत्ते, थेरा य कालं ३. सः च संप्रस्थितः असम्प्राप्तः, ३. उसने आलोचना के संकल्प के साथ करेज्जा। से णं भंते! किं आराहए? । स्थविराः च कालं कुर्युः। सः भदन्त ! किम् प्रस्थान किया, अभी स्थविरों के पास विराहए? आराधकः? विराधकः?
पहुंचा नहीं उससे पहले ही स्थविर काल कर गए। भंते! इस अवस्था में क्या वह
आराधक है अथवा विराधक ? गोयमा आराहए, नो विराहए। गौतम ! आराधकः, नो विराधकः।
गौतम! वह आराधक है, विराधक नहीं। ४. से य संपट्ठिए असंपत्ते, अप्पणा य । ४. सः च संप्रस्थितः असम्प्राप्तः आत्मना ४. उसने आलोचना के संकल्प के साथ पुवामेव कालं करेज्जा। से णं भंते! किं च पूर्वमेव कालं कुर्यात्। सः भदन्त ! किम् प्रस्थान किया, अभी स्थविरों के पास आराहए? विराहए? आराधकः ? विराधकः?
पहुंचा नहीं, उससे पहले ही स्वयं काल कर गया। भंते! इस अवस्था में क्या वह
आराधक है अथवा विराधक? गोयमा! आराहए, नो विराहए। गौतम! आराधकः, नो विराधकः ।
गौतम! वह आराधक है विराधक नहीं। ५. से य संपट्ठिए संपत्ते, थेरा य अमुहा ५.सः च संप्रस्थितः सम्प्राप्तः, स्थविराः च ५. उसने आलोचना के संकल्प के साथ सिया। से णं भंते! किं आराहए? अमुखाः स्युः। सः भदन्त! किम् प्रस्थान किया, वह स्थविरों के पास पहुंच विराहए? आराधकः? विराधकः?
गया, उस समय स्थविर अमुख हो गए। भंते ! इस अवस्था में क्या वह आराधक है
अथवा विराधक? गोयमा! आराहए, नो विराहए। गौतम! आराधकः, नो विराधकः।
गौतम ! वह आराधक है, विराधक नहीं। ६.से य संपट्टिए संपत्ते अप्पणा य अमुहे। ६. सः च संप्रस्थितः सम्प्राप्तः, आत्मना च. ६. उसने आलोचना के संकल्प के साथ सिया। से णं भंते! किं आराहए? अमुखः स्यात्। सः भदन्त! किम् । प्रस्थान किया, वह स्थविरों के पास पहुंच विराहए? आराधकः? विराधकः?
गया, उस समय स्वयं अमुख हो गया। भंते ! इस अवस्था में क्या वह आराधक है
अथवा विराधक? गोयमा! आराहए, नो विराहए। गौतम! आराधकः, नो विराधकः। गौतम! वह आराधक है, विराधक नहीं। ७. से य संपट्ठिए संपत्ते, थेरा य कालं ७. सः च संप्रस्थितः सम्प्राप्तः, स्थविराः च ७. उसने आलोचना के संकल्प के साथ करेज्जा। से णं भंते! किं आराहए? कालं कुर्युः। सः भदन्त ! किम् आराधकः ? प्रस्थान किया, वह स्थविरों के पास पहुंच विराहए? विराधकः?
गया, उस समय स्थविर काल कर गए।
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