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श. ८ : उ. ३ : सू. २२१
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भगवई
कहलाता है। अस्थि का अर्थ बीज अथवा गुठली हैं।
प्रस्तुत आगम में वनस्पति के संख्येयजीविक, असंख्येयजीविक बहुबीजक-जिस फल में बहुत बीज होते हैं, वह बहबीजक अथवा और अनंतजीविक-ये तीन भेद किए गए हैं। प्रज्ञापना, जीवाजीवाभिगम अनेकास्थिक कहलाता है।
और उत्तराध्ययन में वनस्पति के मुख्य भेद दो किए गए हैं-प्रत्येक दशवैकालिक में बहुबीजक के अर्थ में बहु अठियं का प्रयोग शरीरी और साधारण शरीरी। देखें तालिकामिलता है।
(भगवती ८/२१६-२२१)
वनस्पति
संख्येयजीविक वृक्ष
असंख्येयजीविक वृक्ष
अनंतजीविक वृक्ष
एक अस्थि वाले
बहुबीज वाले
(प्रज्ञापना १/३३-४७)
वनस्पति
प्रत्येक वनस्पति
साधारण वनस्पति
साधारण वनस्पति
१
२
३
४
५
६
७
८
९
१०
११
१२
वृक्ष
गुच्छ गुल्म
लता
वल्ली पर्वज
तृण
वलय
हरित
औषधि जलरुह कुहण
एक अस्थि वाले
बहुबीज वाले
(उत्तराध्ययन ३६/९३-९९)
वनस्पति
प्रत्येक वनस्पति
साधारण वनस्पति
वृक्ष
गुच्छ
गुल्म
लता
पर्वज
कुहुण जलरुह औषधि हरित
वल्ली तृण लता-वलय (जीवाजीवाभिगम १/६८-७२)
वनस्पति
प्रत्येक वनस्पति
साधारण वनस्पति
वृक्ष
गुच्छ गुल्म लंता वल्ली पर्वज तृण
वलय
हरित
औषधि जलरुह कुहण
बहबीज वाले
एक अस्थि वाले १. दसवे. ५३
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