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भगवई
ठाणं ठाइ ५/१३४, १३५
णवि ५/३-१२
हारू (स्नायु) ५/१३४, १३५
डमर ३ / २५८
डाल कर (आगुत्ताणं) ६ / १२६-१३१
डिंब ३/२५८
डूंगर (डोंगर) ७/११७
तंतुग्गव ६/२०-२३ तंत्री ३/४
5
वनस्पतिकायिक ७/११७ - हस्तक ३/१४३-१४८ त्रपु - आकार (तउयागरा) ३ / २६८ त्रिपदी का छेद करता है ३/११२
ड
तत, वितत, घन, शुषिर ५ / ६४
तत्तकव्वेलयभूया ३ / ४८; ७ /११८
तत्तसमजोतिभूया ३ / ४८; ७ /११८ तत्पाक्षिक (तप्पक्खिय) ३ / २५२ तत्पाक्षिक ५/६४-६६
भक्ति (तमत्तिए) ३/२५२
तदभा (तभारिए) ३/२५२
थिल्ली ३ / १६४ - १७१
तथाभाव ३ / २२२-२३०
तमस्काय और कृष्णराज ६/७०-११८
दग्ध (झाम) ७/११६ दद्दुकिडिभसिभ ७/११६ दर्शन विपर्यय ३/२२२-२३०
ण
तरच्छ ३ / २०६ -२२०
तसिय ३/४६
तहेब ३/११४
तापस-पात्र तुल्य पात्र (किढिणपडिरूवग) ७/१८६
ताल ३/४
तावत्त्रिंशक ३/४
तिगिंछिकूडे उप्पायपव्वए (तिगिंछिकूट उत्पातपर्वत) ३ / ११२
तिप्पावण ३/१४३ - १४८
तिल ६/१२६-१३१
तुरियाए ..... उद्ध्याए ३/३८
तृण ७/११७
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थ
द
४२३
! दानामा ३ / १०२
दिग्दाह ३ / २५३
दिडा
३/३६
दीक्षा पर्याय का साथी (परियायसंगतिए) ७/१९१
दीवचंप ७ / १५८, १५६
दीविय ३/ २०६ - २२०
दुन्दुभि (दुंदुभि) ५/६४
दुर्गम ५/१३८
दुर्बल शरीर वाले का भोग परित्याग ७/१४६-१४६
दुर्भिक्ष भक्त ५/१३६ - १४६
दुर्भूत ३/२५८
दुर्दृष्टि ३/२६२
दुःखवाद ६/१८३-१८५
दुःखापन ३/१४३-१४८
दुःखी के दुःख का स्पर्श आदि ७/१६-१६
दुःषम - दुःषमा काल में होनेवाली पर्यावरणीय परिस्थिति ७/११७-१२३
दुःसह ५/१३८
दृष्टिप्रतिघात ३/११३
देवकुल ५१८२ - १६०
देवराज ईशान को दिव्य ऋद्धि कैसे प्राप्त ३/३०
देववाद का सिद्धान्त ३ / २५०-२७७
ति ३/२२२-२३०
द्विधा पताक ३/१६४-१७१
भाष्य-विषयानुक्रम
धन ३/३३
धणुपद्ध (धनु: पृष्ठ) ५/१३४, १३५ धान्दों की योनि और स्थिति ६ / १२६-१३१
धूमिका, महिका ३/२५३ ध्यानान्तरिका ५/८३-८८
ध
न
न असार होते हैं (नो कुच्छेज्जा ६/१३२,१३४
नगर की तत्त्वपरक व्याख्या ५/२३५, २३६ नगरनिद्धमण ३/२६८
नन्दीश्वर द्वीप पर जाने के हेतु ३/८६,८७
नवकोटिपरिसुद्ध ७/२५
नाट्यविधि ३ / ७८
नाभि ३/४
नारकीय जीवों की वेदना ३/६२
नारकीय जीवों को वेदना कौन देता है ३/८४
नारकीय जीवों की वेदना ७/१६२
निःसत्य किए हुए ६/१-४
निगोद ७/११६
निजक ३/३३
निद्रुहंति ३/४५
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